वाराणसी का वास्तविक व पौराणिक नाम 'काशी' है। ब्रिटिश उपनिवेशिक काल में इसे बनारस' नाम दिया गया। स्वतंत्रता के पश्चात वरुणा एवं असी नदियों के बीच बने इस शहर का नाम इन दोनों नदियों के नाम पर वाराणसी' कर दिया गया। गलियों और मंदिरों का शहर' के नाम से विख्यात यह शहर साहित्य, कला एवं संगीत के लिए विश्व प्रसिद्ध है। वास्तव में इस शहर ने विश्व को कई मशहूर साहित्यकार, कलाकार एवं संगीतज्ञ दिए। इस शहर में गंगा नदी का किनारा अर्द्धचंद्राकार है और इस पर 80 घाट हैं। इनमें । एक ऐसा घाट है, जहां 24 घंटे चिताएं जलती रहती हैं। इस शहर के संदर्भ में यह माना जाता है कि यहां मरने से स्वर्ग की प्राप्ति होती हैं।
वाराणसी के पर्यटन स्थल - Tourist places in Varanasi in Hindi
वाराणसी के घाट, काशी विश्वनाथ मंदिर, ज्ञानवापी मस्जिद, भारत माता मंदिर, यश.वी. सेंटर, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय, रामनगर दुर्ग, जयसिंह वेधशाला, नेपाली मंदिर, तुलसीदास घाट, चुनार, राजदरी व देवदरी जलप्रपात।
वाराणसी के घाट - Ghats in Varanasi Tourist place
गंगा नदी के तट पर बने वाराणसी के घाट सुबह के समय अपनी अलग ही छटा बिखेरते हैं। 'सुबह बनारस' का दृश्य मन को शांति पहुंचाता है।
काशी-विश्वनाथ मंदिर - Shri Kashi Vishwanath Tourist place
मुगलों के आक्रमण के शिकार इस मंदिर के वर्तमान स्वरूप का निर्माण सन् 1717 में महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने करवाया था। सन् 1889 में पंजाब के महाराजा रणजीत सिंह ने 15.5 मीटर ऊंचे इस मंदिर के शिखर को 820 किलोग्राम के स्वर्ण पत्रों से मंडित करवाया था। वर्तमान समय में सुरक्षा की दृष्टि से इस मंदिर के सभी भागों पर धातु खोजी यंत्र लगे हुए हैं। इस मंदिर से सटी विश्वनाथ गली में साड़ियों की और कलात्मक चीजों की बहुत-सी दुकानें हैं जिनमें मोलभाव करके बढ़िया चीजें खरीदी जा सकती हैं।
ज्ञानवापी मस्जिद - Gyanvapi Masjid Tourist place
कहा जाता है कि प्राचीन विश्वेश्वर मंदिर को ध्वस्त कर मुगल शासक औरंगजेब ने इस मस्जिद का निर्माण करवाया था। इस मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर आज भी प्राचीन मंदिर के अवशेष दिखाई देते हैं। अयोध्या विवाद के बाद मस्जिद के चारों ओर सुरक्षा के प्रबंध किए गए हैं।
भारत माता मंदिर - Bharat Mata Temple Tourist place
महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में स्थित भारत माता मंदिर का निर्माण राष्ट्रभक्त बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने करवाया था। यह मंदिर पर्यटकों में राष्ट्रीय भावनाएं जाग्रत करता है। यहाँ संगमरमर को तराशकर अखंड भारत का त्रिआयामी मानचित्र बनाया गया है, जो विशेष रूप से दर्शनीय है।
यश वी. सेंटर - Yash. V. Centre Tourist place
आधुनिक मनोरंजन के लिए मशहूर यश वी. सेंटर की स्थापना सन् 2000 में की गई थी। यहां खानपान, मनोरंजन, विश्राम व खेलों की उत्तम व्यवस्था है। इनके अलावा पर्यटक यहां जल-विहार का भी आनंद ले सकते हैं।
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय - Banaras Hindu University Tourist place
लगभग 3000 एकड़ में फैला यह विश्वविद्यालय एशिया महाद्वीप का सबसे बड़ा आवासीय विश्वविद्यालय है। इसे पं. मदनमोहन मालवीय ने स्थापित किया था। यहाँ कला, विज्ञान, संस्कृत आदि विषयों की उच्चस्तरीय शिक्षा दी जाती है। इसी विश्वविद्यालय के परिसर में बिड़ला द्वारा निर्मित संगमरमर का विश्वनाथ मंदिर भी देखने योग है।
रामनगर दुर्ग - Ram Nagar Durg Tourist place
बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से 2 किलोमीटर दूर गंगा नदी के पार स्थित यह किला काशी नरेश का पैतृक निवास है। किले के एक हिस्से में संग्रहालय है जहां पुराने जमाने के हथियार, तीर, तलवार, सिक्के, राजसी परिधान और बंदूकें देखने लायक हैं। इस संग्रहालय में एक धर्म-घड़ी है, जो तिथिवार नक्षत्रों की ठीक-ठीक जानकारी देती है।
जयसिंह वेधशाला - Tourist place
इस वेधशाला का निर्माण राजा सवाई जयसिंह ने 1600 ई. में करवाया था। यह वेधशाला राजेंद्र प्रसाद घाट के ऊपर स्थित है। यहां अनेक प्रकार के यंत्र हैं, जिनकी सहायता से प्राचीन समय में ग्रहों और नक्षत्रों की गतिविधियों के बारे में जाना जाता था।
नेपाली मंदिर - Nepali Temple Tourist place
नेपाल के राजा द्वारा बनवाया गया यह मंदिर वैसे तो छोटा है, लेकिन कला का अद्भुत नमूना है। यहां खजुराहो के मंदिरों की तरह कुछ विशिष्ट मूर्तियां भी हैं, जो दर्शनीय हैं।
तुलसीदास घाट - Tulsi Ghat Tourist place
यह घाट अस्सी घाट के पास है। यहां गोस्वामी तुलसीदास ने रामचरित मानस के आखिरी अंशों एवं विनय पत्रिका की रचना की थी।
चुनार - Chunar Tourist place
वाराणसी से 45 किलोमीटर मिर्जापुर जनपद में बाबू देवकीनंदन खत्री के उपन्यास 'चंद्रकांता' में वर्णित चुनारगढ़ स्थित है। यह स्थान चीनी मिट्टी व पीतल के बरतनो के लिए भी प्रसिद्ध है।
राजदरी व देवदरी जलप्रपात - Devdari Waterfall Tourist place
ये जलप्रपात वाराणसी से 70 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। यहां का शांत वातावरण व प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों का मन मोह लेता है।
वाराणसी कैसे जाएं? -
वायु मार्ग : वाराणसी आने के लिए आगरा, दिल्ली, मुंबई व काठमांडू से इंडियन एयरलाइंस की और मंबई, दिल्ली, लखनऊ से सहारा इंडिया की उड़ानें मिलती हैं। यहां का निकटतम हवाई अड्डा बावतपुर है जो वाराणसी शहर से लगभग 22 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग : वाराणसी देश के कई छोटे-बड़े शहरों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
सड़क मार्ग : वाराणसी राष्ट्रीय राजमार्ग 27 व 29 पर स्थित है तथा देश के विभिन्न भाग हुआ है। यहां का बस स्टैंड (रोडवेज) कैंट रेलवे स्टेशन के पास स्थित है। बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व उत्तरांचल से सीधी बस सेवाएं उपलब्ध है
बनारस कब जाएं?
यहां जाने के लिए सितंबर से मार्च तक का समय उत्तम है। बरसात में यहां जाना असुविधाजनक है। सर्दियों में यहां ठंड पड़ती है। साथ में गर्म कपड़े अवश्य ले जाएं।