पंजाब के महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य
1. भारत में आर्यों के आगमन के समय पंजाब का इतिहास मिलता है ।
2. प्रारंभिक वैदिक काल में आर्यों ने इसे अपना कार्य-स्थल बनाया।
3. ई. पू. 522 में फारस के सम्राट डेरियस ने इस क्षेत्र पर विजय पताका लहराया ।
4. ई.पू. 326 में सिकंदर ने इस पर आक्रमण किया। कुछ समय तक मेसीडोनिमा के शासकों का पंजाब पर नियंत्रण रहा। बाद में चंद्रगुप्त मौर्य ने उन्हें पराजित कर पंजाब को अपने राज्य में मिला ।
5. तत्पश्चात सीपिथनों, पार्थिमनों तथा कुषाणों का इस क्षेत्र पर आधिपत्य रहा ।
6. 15वीं तथा 16वीं शताब्दी में यहां सिख धर्म का अभ्युदय हुआ।
7. गुरु नानक देव ने एक नए धर्म के रूप में सिख धर्म की स्थापना की। 8. सन 1937 में पंजाब को भारत का पृथक राज्य घोषित किया गया।
पंजाब में घूमने वाली जगह - Tourist places in Punjab in hindi
अमृतसर, स्वर्ण मंदिर, सिख संग्रहालय, अजायबघर, अकाल तख्त, दुर्याना मंदिर. जलियांवाला बाग
अमृतसर - Amritsar Tourist place
ऐतिहासिक नगर अमृतसर पंजाब के प्रमुख नगरों में से एक है। यहां का स्वर्ण मंदिर भारत का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। लगभग 400 साल पुराने इस शहर का अपना इतिहास व संस्कृति है। देश की उत्तर-पश्चिमी सीमा पर स्थित यह शहर पाकिस्तान से आने वाले यात्रिय का प्रवेश द्वार है। बाघा सीमा चैक पोस्ट से इस शहर की दूरी मात्र 29 किलोमीटर ह इस शहर की नींव सिखों के चौथे गुरु रामदास ने सन 1579 में रखी थी। कहा जा है कि इस नगर की स्थापना के लिए बादशाह अकबर ने गुरु रामदास का जमा भेटस्वरूप दी थी।
रामदास ने बादशाह अकबर द्वारा भेंट में मिली जमीन पर एक सरोवर का निर्माण करवाया था और इस सरोवर को अमृत सरोवर मानकर शहर का अमृतसर रख दिया था। उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र अर्जुनदेव ने सरोवर के बीच मंदिर का निर्माण करवाया था तथा इसमें सिखों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब नामित किया था। यह शहर धीरे-धीरे सिखों के पवित्र स्थल के साथ-साथ प्रमुख व्यापारिक एवं पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया।
स्वर्ण मंदिर - Sri Harmandir Sahib Tourist place
यह मंदिर अमृतसर नगर के बीचो बीच स्थित है। इसे 'दरबार साहिब' भी कहा जाता का यह मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। सन् 1803 में पंजाब के शासक महाराजा रणजीत सिंह ने इस मंदिर का आधा हिस्सा संगमरमर तथा आधा हिस्सा तांबे ने बनवाया था. पर बाद में इस पर शुद्ध सोने की परत चढ़ाई गई थी, तभी से इसे स्वर्ण मंदिर कहा जाने लगा। इस मंदिर की दीवारों तथा कलशों पर सोना मढा हआ है। कहा जाता है कि इस मंदिर के निर्माण में लगभग 400 किलो सोना लगा है। सरोवर के मध्य में स्थित इस चमकीले मंदिर का प्रतिबिम्ब इसके पावन जल में अत्यंत मनोहारी दिखाई देता है। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए पानी पर संगमरमर का रास्ता बना हुआ है।
सिख संग्रहालय - Sikh Museum Tourist place
यह संग्रहालय स्वर्ण मंदिर के पास ही है। यहां अनेक पेंटिंग्स लगी हुई हैं, जिनमें सिखों द्वारा किए गए युद्धों के दृश्यों को दर्शाया गया है।
अजायबघर - Ajaybghar Tourist place
यह अजायबघर बेहद सुंदर है। यहां सिख इतिहास से संबंधित कई कलाकृतियां व आकर्षक चित्र संग्रहीत हैं।
अकाल तख्त - Akal Takht Tourist place
यह स्वर्ण मंदिर के परिसर में ही स्थित है। यह एक ऐतिहासिक इसका निर्माण सिखों के छठे गुरु हरगोविंद सिंह ने सन् 1606-1645 में करवाया था ।
दुर्याना मंदिर - Duyerna temple Tourist place
पुराने अमृतसर शहर में स्थित इस मंदिर की स्थापत्य कला स्वर्ण मंदिर ही है। यह मंदिर चारों ओर से सरोवर से घिरा है।
जलियांवाला बाग - Jallianwala Bagh Tourist place
यह बाग करीब 2000 सिख व हिंदुओं की शहादत का गवाह है, जिन पर ब्रिटिश जनरल डायर ने 13 अप्रैल, 1919 को अंधाधुंध गोलियां चलाने का आदेश दिया था। इस बाग की दीवारों पर गोलियों के निशान आज भी मौजूद हैं। यहां शहीदों की याद में एक स्मारक बनाया गया है, जहां हरदम एक ज्योति प्रज्वलित रहती है।
अमृतसर कैसे जाएं?
वायु मार्ग : यहां के लिए चंडीगढ़ एवं दिल्ली से सीधी हवाई सेवाएं उपलब्ध हैं। यहां का नजदीकी हवाई अड्डा राजासांसी है।
रेल मार्ग : अमृतसर रेलमार्ग द्वारा देश के सभी प्रमुख नगरों से जुड़ा हुआ है। कई मुख्य नगरो से यहां के लिए सीधी रेल सेवाएं उपलब्ध हैं। प्रमुख रेल सेवाएं उपलब्ध हैं।
कब जाएं?
वैसे तो पर्यटन के लिए अमृतसर कभी भी जाया जा सकता है, लेकिन वैशाखा में कहा आकर इस पर्व का संपूर्ण आनंद लिया जा सकता है। यहां सर्दियों में अधिक ठंड रहता है, इसलिए गर्म कपड़े साथ लेकर जाएं।