पिथौरागढ़ एक सुंदर घाटी में बसा हुआ है। समुद्र-तल से इसकी ऊंचाई 1650 मीटर है। यहां के दूर-दूर तक फैले सुंदर सीढ़ीनुमा खेत सैलानियों को बेहद पसंद आते है। यहां से नंदादेवी (7434 मीटर), त्रिशूल (7045 मीटर), पंचचूली ग्रुप ( 6904 मीटर) आदि चोटियों को साफ-साफ देखा जा सकता है। यहाँ की नदियों का कलकल करता स्वर प्रकृति-प्रेमियों को अपनी ओर आकर्षित करता है।
पिथौरागढ़ का पुराना नाम सोर घाटी है। सोर का अर्थ होता है सरोवर। कहा जाता है कि बहुत पहले इस घाटी में 7 सरोवर थे, जो धीरे-धीरे सूख गए और यहा पठारी भूमि का जन्म हो गया। इसी पठारी भूमि की वजह से इस शहर का नाम पिथौरागढ़ पर गया।
पिथौरागढ़ के पर्यटन स्थल - Tourist places in Pithoragarh in hindi
चंडाक, थल केदार, ध्वज, धारचूला, बेरीनाग, जौलजीवी, गंगोली हाट, नारायण आश्रम, कस्तूरी मृग विहार, पाताल भुवनेश्वर, मिलम-रालाम
चंडाक - Chandak Tourist place
समुद्र-तल से 6000 फुट की ऊंचाई पर स्थित चंडाक पिथौरागढ़ से 7 किलोमीटर दूर है। यह एक रमणीक स्थल है। पर्यटक यहां का सौंदर्य देखकर हत्प्रभ रह जाते हैं। आप पिथौरागढ़ की घाटी की बेमिसाल खूबसूरती का नजारा कर सकते हैं।
थल केदार - Thal Kedar Temple Tourist place
पिथौरागढ़ से मात्र 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित थल केदार में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर है, जो दर्शनीय है। इसके अलावा आप यहां के मोहक वातावरण में पिकनिक भी मना सकते हैं।
ध्वज - Dhwaj Tourist place
पिथौरागढ़ से 16 किलोमीटर दूर तथा 7000 फुट ऊंची यह चोटी पर्यटकों को खूब भाती है। इस रमणीक स्थल को पिथौरागढ़ का ध्वज भी कहा जाता है। यहां से हिमालय पर्वत बहुत ही खूबसूरत दिखाई देता है।
धारचूला - Dharchula Tourist place
पिथौरागढ़ से 102 किलोमीटर की दूरी पर स्थित धारचूला नेपाल सीमा से सटा हुआ है। यह कस्बा ऊनी वस्त्रों एवं ऊन की अन्य सामग्रियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां कुमाऊं और नेपाल की मिली-जुली संस्कृति देखने को मिलती है। यह स्थल कैलाश मानसरोवर यात्रा का मुख्य शिविर (पड़ाव) भी है।
बेरीनाग - Berinag Tourist place
पिथौरागढ़ से 102 किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस कस्बे को उत्तराखण्ड का असम भी कहा जाता है, क्योंकि यहां चाय के बागान बहुतायत में पाए जाते हैं। पर्यटन के लिहाज से यह स्थल बहुत महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि यहां से गगनचुम्बी हिमालय बहुत ही साफ व आकर्षक दिखाई देता है।
जौलजीवी - Jauljibi Tourist place
गोरी और काली नदी के संगम पर स्थित जौलजीवी पिथौरागढ़ से 73 किलोमीटर दूर हैं। यहां 14 नवंबर से 15 दिनों तक एक व्यापारिक मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें शौका, कुमाऊंनी, नेपाली और मैदानी क्षेत्रों के हजारों व्यापारी समिति का आयोजन व्यापारी सम्मिलित होते हैं।
गंगोली हाट - Gangolihat Tourist place
गंगोली हाट पिथौरागढ़ से 78 किलोमीटर दूर है । यह कस्बा अपनी लोक-संस्कृति संगीत और धार्मिक परंपराओं के कारण प्रसिद्ध है।
मुंस्यारी - Munsyari Tourist place
समुद्र-तल से 7000 फुट की ऊंचाई पर स्थित मुंस्यारी अपने अप्रतिम सौंदर्य के लिए पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है। मिलम, नामिक और रालाम ग्लेशियरों की साहसिक का केंद्र रहा है ट्रैकिंग यहीं से आरंभ की जाती है, इसलिए यह स्थल ट्रैकिंग के शौकीनों का नाम ओर आकर्षित करता है।
नारायण आश्रम - Narayan Ashram Tourist place
यह आश्रम कैलास मानसरोवर मार्ग पर पिथौरागढ़ से 129 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य पर्यटकों को खूब भाता है। इस आश्रम की वास्तुकला को देखने के लिए भी पर्यटक यहां दूर-दूर से आते हैं।
कस्तूरी मृग विहार - Musk Deer Sanctuary Tourist place
चौकोडी से 5 किलोमीटर दूर घने जंगल के बीच स्थित यह स्थल कस्तूरी मृगों के लिए प्रसिद्ध है। यहां के अनुसंधान केंद्र में 14 कस्तूरी मृग हैं।
पाताल भुवनेश्वर - Patal Bhuvaneshwar Tourist place
पिथौरागढ़ से 147 किलोमीटर दूर पाताल भुवनेश्वर की अद्भुत गुफाएं पर्यटकों को अजंता-एलोरा की याद दिला देती हैं। इन गुफाओं में प्रकाश की उचित व्यवस्था है। पर्यटक इन गुफाओं को निहारते ही रह जाते हैं।
मिलम-रालाम - Milam- Ralaam Tourist place
ये दोनों ग्लेशियर मुंस्यारी से कुछ ही दूर हैं। मिलम ग्लेशियर की समुद्र-तल से ऊंचाई जहां 7182 मीटर है, वहीं रालाम ग्लेशियर 6465 मीटर ऊंचा है। इन ग्लेशियरों तक बहुत कम पर्यटक पहुंच पाते हैं।
पिथौरागढ़ कैसे जाएं?
वायु मार्ग : निकटतम हवाई अड्डा नैनी-सैनी है, जो पिथौरागढ़ से मात्र 5 किलोमीटर दूर है।
रेल मार्ग : निकटतम रेलवे स्टेशन टनकपुर है, जो पिथौरागढ़ से 150 किलोमीटर दूर है। टनकपुर से बस अथवा टैक्सी द्वारा पिथौरागढ़ पहुंचा जा सकता है।
सड़क मार्ग : सड़क मार्ग द्वारा पिथौरागढ़ देश के कई शहरों से जुड़ा हुआ है। यहां के लिए दिल्ली, लखनऊ, बरेली, देहरादून, नैनीताल आदि शहरों से सीधी व नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।
पिथौरागढ़ कब जाएं?
अप्रैल से जून तथा सितंबर से नवंबर तक का समय पिथौरागढ़ भ्रमण के लिए उपयुक्त है।