गोमती नदी के किनारे बसा यह ऐतिहासिक नगर अपनी तहजीब के लिए दुनिया भर में मशहूर है, इसलिए इस शहर को 'शहर-ए-अदब' भी कहा जाता है। अपने मेहमानों की खातिरदारी में यहां के लोग कोई कसर नहीं छोड़ते। यहां की मेहमाननवाज़ी बेमिसाल है। लखनऊ को उत्तर प्रदेश की राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। अवध के नवाबों के शासनकाल में इस शहर ने विशेष ख्याति अर्जित की थी। इस नगर में कला, संस्कृति और सभ्यता का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
लखनऊ के पर्यटन स्थल - Tourist places in Lucknow in Hindi
बड़ा इमामबाड़ा (भूल भुलैया), रूमी दरवाजा, छोटा इमामबाड़ा, घड़ी मीनार, रेजीडेंसी, पिक्चर गैलरी, दीनदयाल पार्क, टिकैतराय तालाब पार्क, गौतम बुद्ध पार्क, हाथी पार्क, डॉ. अम्बेडकर पार्क, लक्ष्मण टीला, चिड़ियाघर, बोटेनिकल गार्डन, मकबरे, हजरतगंज, चौक बाजार, विश्वविद्यालय, कुकरैल।
लखनऊ समीपवर्ती स्थल : नवाब गंज पक्षी विहार (लखनऊ शहर से 45 किमी. दूर), शिवगढ़ रिसॉर्ट (लखनऊ से 34 किमी. दूर) अयोध्या (13) किमी. दूर), नीमसर मित्रिख (90 किमी. दूर)।
बड़ा इमामबाड़ा (भूलभुलैया) - Bara Imambara Tourist place
बड़ा इमामबाड़ा वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है। जगत प्रसिद्ध इस इमारत का निर्माण नवाब आसिफूदौला ने सन् 1784 में करवाया था। यह इमारत बाहर से एक किले की तरह दिखाई देती है। इस इमारत में एक विशाल कमरा है। जिसकी लम्बाई 49.4 मीटर चौड़ाई 16.2 मीटर व ऊंचाई 15 मीटर है। इस कमरे की विशेषता है कि इसके एक कोने में कागज फाड़ने की आवाज दूसरे कान में साफ-साफ सुनी जा सकती है।
बड़े इमामबाड़े के ऊपरी भाग में भूलभुलैया बनी है। इस भूलभुलैया में 10 दरवाजे रहित गलियारे हैं। इसका निर्माण सुरक्षा की दृष्टि से करवाया गया था। यहां वाला शख्स लाख कोशिशों के बावजूद भी रास्ता भटक जाता है, इसलिए इसे भूलभुलैया कहा जाता है।
रूमी दरवाजा - Rumi Darwaza Tourist place
रूमी दरवाजा बड़े इमामबाड़े के समीप ही है। इस दरवाजे की ऊंचाई 60 फुट है। इसका निर्माण भी आसिफउद्दौला ने करवाया था। यह दरवाजा मुगल स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। इस दरवाजे में कहीं भी लकड़ी व लोहे का इस्तेमाल नहीं किया गया है। लखनऊ में रूमी दरवाजे के साथ-साथ शेर दरवाजा और गोल दरवाजा भी देखने योग्य हैं।
छोटा इमामबाड़ा - Chota Imambara Tourist place
इसे 'हुसैनाबाद का इमामबाड़ा' के नाम से भी जाना जाता है। इस भव्य इमारत का निर्माण अवध के तीसरे नवाब मुहम्मद अलीशाह ने सन् 1840 में करवाया था। आंतरिक व बाहरी सज्जा की दृष्टि से यह इमारत लाजवाब है। यहां मुहम्मद अली शाह और उनकी वालिदा की कब्रे हैं। इस इमारत की खासियत यह है कि यहां एक शाही हम्माम है, जो अपने आप में बेजोड़ है। इसमें गोमती नदी से पानी आता है। इसमें बने 2 हौजों में पहुंचकर यह पानी एक में गर्म तथा दूसरे हौज में ठंडा हो जाता है। इस इमारत में लगे झूमर भी सैलानियों को आकर्षित करते हैं।
घड़ी मीनार - Ghadi Minar Tourist place
छोटे इमामबाड़े के पास ही क्लॉक टावर है। इसका निर्माण सन् 1881 में कराया गया था। यह भारत का सबसे ऊंचा क्लॉक टावर है। इसकी ऊंचाई 221 फुट है तथा इसका पेंडुलम 14 फुट लंबा है। चारों ओर घंटियां लगी इस घड़ी का डायल 12 पंखुड़ियों वाला है। आज रख-रखाव के अभाव में यह घड़ी बंद पड़ी है।
रेजीडेंसी - The Residency Tourist place
चारबाग रेलवे स्टेशन से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित रेजीडेंसी का निर्माण 1780 में नवाब आसिफुद्दौला ने करवाया था। पहले इसे 'बेलीशारद' के नाम से जाना जाता था। सन् 1857 के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेजों ने इसे अपने कब्जे में करके इसमें रहना शुरू कर दिया था, तब से यह रेजीडेंसी के नाम से जाना जाता है। रेजीडेंसी के पास ही शहीद स्मारक है, जो दर्शनीय है
पिक्चर गैलरी - Picture Gallery Tourist place
यह गैलरी छोटे इमामबाड़े के सामने मौजूद है। इस गैलरी में अवध के ऐतिहासिक गौरव व नवाबों से संबंधित चीजें संग्रहीत हैं। इसका निर्माण मुहम्मद शाह ने कराया था।
दीनदयाल पार्क - Deen Dayal Park Tourist place
यह पार्क चारबाग रेलवे स्टेशन से मुश्किल से आधा किलोमीटर दूर है। यहां एक संगीतमय फव्वारा है। गर्मी के मौसम में शाम के बाद यहां का दृश्य देखते ही बनता है।
टिकैतराय तालाब पार्क - Tikait Rai Talab Tourist place
लखनऊ को 'बागों का शहर' भी कहा जाता है। इस शहर में खूबसूरत बागों की कमी नहीं है। दीनदयाल पार्क के अलावा यहां टिकैतराय तालाब स्थित पार्क में संगीतमय फव्वारे का आनंद उठाया जा सकता है। इसमें संगीत के सभी स्वर सुनाई देते हैं।
गौतम बुद्ध पार्क - Gautam Buddha Park Tourist place
शहीद स्मारक के पास स्थित यह पार्क बच्चों-बड़ों दोनों के घूमने लायक है।
हाथी पार्क - Hathi Park Tourist place
हाथी पार्क में हंसी का फुहारा बना हुआ है। ‘हंसी का फुहारा' से तात्पर्य यह है कि यहाँ कुछ ऐसे आईने रखे हुए हैं, जिनमें आपको अपनी शक्ल टेढ़ी-मेढ़ी दिखाई देगी और आप हंसे बिना नहीं रह सकेंगे। इस पार्क में अप्पू घर स्टाइल के झूलों के अलावा एक झील भी है, जहां आप बोटिंग
का आनंद उठा सकते हैं।
डॉक्टर अम्बेडकर पार्क - Dr. Ambedkar Park Tourist place
डॉक्टर अम्बेडकर पार्क में घूमने और देखने लायक बहुत कुछ है। इसके अंदर भीमगंगा नहर बनाई गई है। अंदर का दृश्य बौद्ध स्तूप सा है।
लक्ष्मण टीला - Lakshman Tila Tourist place
यह बडे इमामबाड़े के उत्तर में स्थित है। कहा जाता है कि इस टीले को भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने बनवाया था। अब यहां आलमगीर मस्जिद है, जिसका निर्माण औरंगजेब के शासनकाल में अवध प्रांत के सूबेदार सुल्तान अलीशाह कुली खां ने करवाया था।
चिड़ियाघर - Zoo Tourist place
लखनऊ का चिड़ियाघर विशेष रूप से दर्शनीय है। यह चारबाग रेलवे स्टेशन से मात्र 4 किलोमीटर की दूरी पर है। बच्चों की रेलगाड़ी यहां का मुख्य आकर्षण है। इसके अलावा यहां जानवरों की अनेक किस्मों के साथ-साथ एक संग्रहालय भी है, जिसे देखने के लिए यहां काफी लोग आते हैं।
बोटेनिकल गार्डन - Botanical Garden Tourist place
यह वनस्पति उद्यान अत्यंत प्राचीन है। यहां पेड़-पौधों की अनेक किस्में तो हैं ही, साथ-साथ यहां गुलाब के विभिन्न प्रकार के फूलों का नजारा भी किया जा सकता है।
मकबरे - Mausoleum Tourist place
लखनऊ में बेगम हजरत महल पार्क के समीप स्थित है सआयत अली के मकबरे। इन मकबरों को सआयत अली के बेटे गाजीउद्दीन हैदर ने बनवाया था। सन् 1857 में अंग्रेजों के विरुद्ध स्वतंत्रता सेनानियों ने इसी स्थल पर लड़ाई लड़ी थी।
हजरतगंज - Hazratganj Tourist place
हजरत बाजार लखनऊ का दिल है, शाम के समय इस बाजार की रौनक देखते ही बनता है। इसी बाजार में 'लव लेन' नाम की ऐसी जगह है, जो युवक-युवतियों का प्रिय मिलन-स्थल है।
चौक बाजार - Chowk Bazar Tourist place
यह बाजार चिकन उद्योग के लिए विश्व-भर में प्रसिद्ध है।
ला मार्टिनियर इमारत - La Martiniere Main Building Tourist place
यह इमारत 18वीं शताब्दी में अंग्रेज मेजर जनरल क्लायड मार्टिन ने अपने निवास के लिए बनवाई थी, जो यूरोपीय स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। इस महल के लॉन में एक झील भी है। मार्टिन को पेंटिग्स और झाड़-फानूसों का बहुत शौक था। उसने इस महल को अनेक फानूसों और पेंटिगों से सजाया था।
सन 1800 में क्लायड मार्टिन की मृत्यु के बाद उसे इस महल में ही दफनाया गया मार्टिन ने अपनी वसीयत में लिखा था कि मेरी मृत्यु के बाद मेरे इस महल में ' ला मार्टिनियर स्कूल' की स्थापना की जाए। अतः 1840 में इस महल में ला मार्टिनियन स्कूल की स्थापना हुई। आज भी यह स्कूल भारत के अंग्रेजी स्कूलों में अपनी खास पहचान रखता है।
विश्वविद्यालय - University Tourist place
लखनऊ का विश्वविद्यालय भारत के प्राचीन विश्वविद्यालयों में से एक है। इस विश्वविद्यालय ने भारत देश को कई महान साहित्यकार, वैज्ञानिक, राजनेता व खिलाड़ी दिए हैं। शहर से लगभग 2 किलोमीटर दूर स्थित लखनऊ विश्वविद्यालय की भव्य इमारत देखने लायक है।
कुकरैल - Kukrail Reserve Forest Tourist place
कुकरैल चारबाग रेलवे स्टेशन से 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक खूबसूरत पिकनिक स्थल है। यहां वन विभाग द्वारा घड़ियालों की विभिन्न जातियों को विकसित किया जाता है। इन्हीं घड़ियालों की वजह से यह स्थल देखने लायक है।
लखनऊ समीपवर्ती स्थल:
शहीद चंद्रशेखर आज़ाद पक्षी - Chandra Shekhar Azad Bird Sanctuary Tourist place
लखनऊ से लगभग 43 किलोमीटर की दूरी पर कानपुर रोड पर स्थित इस पक्षी विहार में साइबेरियन पक्षी आते हैं। यहां पर्यटन विभाग द्वारा ठहरने की भी उत्तम व्यवस्था है।
शिवगढ़ रिसॉर्ट - Shivgarh Resort Tourist place
लखनऊ से लगभग 34 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शिवगढ़ रिसॉर्ट पैराग्लाइडिंग के लिए प्रसिद्ध है। यह क्लब अपने सदस्यों व गैर सदस्यों दोनों के लिए खुला रहता है। इसके कई ऑफिस लखनऊ में भी हैं। यहां आने के लिए इन ऑफिसों से संपर्क किया जा सकता है।
अयोध्या - Ayodhya Tourist place
लखनऊ से 130 किलोमीटर दूर स्थित अयोध्या राम जन्मभूमि को लेकर विश्व में प्रसिद्ध है। यहां रुकने के लिए हर तरह की व्यवस्था है। फैजाबाद जनपद से इस धार्मिक स्थल में सरयू नदी की खूबसूरती देखते ही बनती है।
नीमसार मिश्रिख - Misrikh-cum-Neemsar Tourist place
यह एक पौराणिक स्थल है तथा लखनऊ से 90 किलोमीटर दूर है। धार्मिक मान्यता वाले पर्यटक इस स्थल पर जाना पसंद करते हैं। यहां ठहरने की सारी सुविधाएं हैं।
लखनऊ कैसे जाएं?
वायु मार्ग : यह शहर वायु मार्ग द्वारा पूरे देश से जुड़ा हुआ है। यहां के लिए इंडियन एयरलाइन्स के साथ-साथ अन्य प्राइवेट एयरलाइंस की सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।
रेल मार्ग : लखनऊ शहर रेल मार्ग द्वारा पूरे देश से जुड़ा हुआ है। इस शहर में आने के देश के किसी भी कोने से रेलवे आरक्षण करवाया जा सकता है। यहां 'चारबाग' मुख्य रेलवे स्टेशन के अलावा बादशाह नगर, सिटी स्टेशन, डालीगंज और ऐशबाग अन्य रेलवे स्टेशन भी हैं।
सड़क मार्ग : यहां पहुंचने के लिए देश के कई छोटे-बड़े शहरों से सीधी बस सेवा उपलब्ध हैं। चारबाग और कैसरबाग यहां के दो प्रमुख बस अड्डे हैं।
स्थानीय भ्रमण : स्थानीय यातायात में बस, टाटा सूमो, ऑटोरिक्शा, टैक्सी व साइकिल रिक्शा हैं। छोटी दूरी के लिए रिक्शा सबसे सस्ता और और उत्तम साधन है। अधिक दूरी के लिए आप स्थानीय बसों व टाटा सूमो का उपयोग कर सकते हैं। पर्यटन विभाग द्वारा यहां भ्रमण करने के लिए कुछ टूरिस्ट बसों की भी व्यवस्था है, जो लखनऊ घूमने के लिए अच्छी साबित होती हैं।
कब जाएं?
वैसे तो लखनऊ में किसी भी मौसम में जाया जा सकता है, किंतु सितंबर से मार्च का समय यहां घूमने के लिए अच्छा माना जाता है।