गंगोत्री के पर्यटन स्थल

Mar 12,2021 05:36 AM posted by Admin

हिमालय की गोद में बसा यह स्थल गंगा के उद्गम स्थल के लिए प्रसिद्ध है। सदियों पहले गंगा नदी की उत्पत्ति इसी स्थल पर हुई थी। पर्वतारोहण के लिए यह स्थान अत्यंत आकर्षक है। सर्दियों के मौसम में बर्फ से ढके रहने के कारण इस जगह पर पर्यटकों का आना-जाना कम रहता है। बाकी समय में यहां घूमा जा सकता है। यहां के दर्शनीय स्थलों में गंगोत्री मंदिर, नंदनवन, तपोवन, मनेरी, गोमुख, केदार ताल आदि महत्त्वपूर्ण हैं। 

गंगोत्री के पर्यटन स्थल - Tourist places in Gangotri in hindi

हरसिल, सात ताल, डोडी ताल, दयार बुग्याल, नंदनवन तपोवन, केदार ताल, गोमुख, गंगोत्री मंदिर इत्यादि।

हरसिल - Harsil Tourist place

हरसिल एक बहुत ही शानदार जगह है, अगर आपको प्राकृतिक सुंदरता देखनी है तो यह स्थान सबसे उचित है। अगर बात करे इसके प्रसिधी की तो यह स्थान अपनी प्राकृतिक सुंदरता व सेबों के लिए प्रसिद्ध है। 

सात ताल - Sattal Tourist place

यहां सात झीलें हैं. इसलिए यह स्थल ‘सात ताल' के नाम से जाना जाता है। पर्यटकों को यह खूबसूरत जगह दूर से ही आकर्षित करती है।

डोडी ताल - Dodital Tourist place

डोडी ताल जंगलों से घिरी स्वच्छ जल वाली बहुत ही खूबसूरत झील है। यहां हिमालय की प्रसिद्ध मछली ट्राउट बहुतायत में पाई जाती है।

दयार बुग्याल Dayara Bugyal Tourist place

अत्यधिक ऊंचाई पर स्थित घास के मैदान को स्थानीय लोग 'बुग्याल' कहते हैं। दयार बुग्याल' मखमली घास के मैदानों से भरपूर एक बहुत ही खूबसूरत जगह है। 

नंदन वन-तपोवन - Tapovan-Nandanvan Tourist place

यह स्थल गंगोत्री से 6 किलोमीटर दूर है व अपने मनोहारी दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। 

केदार ताल - Kedartal Tourist place

गंगोत्री से 18 किलोमीटर दूर केदार ताल समुद्र-तल से 4,425 मीटर ऊंचा है। केदार ताल पर्यटकों को दूर से ही आकर्षित करता है। चूंकि यहां पहुंचने के लिए दुर्गम चढ़ाई चढ़नी पड़ती है।

गोमुख - Gaumukh Tourist place

गंगा की उत्पत्ति इसी स्थल पर हुई थी। चूंकि यहां पहुंचने के लिए 18 किलोमीटर खड़ी चढ़ाई पार करनी पड़ती है, इसलिए पर्यटकों के बीच यह स्थान भी ज्यादा लोकप्रिय नहीं है। 

गंगोत्री मंदिर Gangotri Temple Tourist place

कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना मराण नरेश ने इंदौर की महारानी लक्ष्मीबाई के अनुरोध पर सन् 1794 में की थी। यह मंदिर सन् 1803 में भूकंप की वजह से नष्ट हो गया था। तब गोरखा नरेश अमरसिंह थापा ने सन् 1807 में इसे फिर से बनवाया था।

गंगोत्री कैसे जाएं?

सड़क मार्ग : गंगोत्री जाने के लिए दिल्ली, चंडीगढ़, ऋषिकेश, हरिद्वार, देहरादून, टिहरी, श्रीनगर आदि शहरों से नियमित बस सेवाएं उपलब्ध हैं।