दिल्ली के पर्यटन स्थल

Apr 03,2021 06:19 AM posted by Admin

दिल्ली के महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक तथ्य

1. दिल्ली की स्थापना 1 वीं शताब्दी में तोमर वंश के राजपूत सम्राट ने की थी।
2. तोमर वंश के बाद यहां चौहान वंश का साम्राज्य रहा। 
3. सन् 1191 में पृथ्वीराज चौहान व मुहम्मद गौरी के बीच जंग हुई, जिसमें गौरी की बुरी तरह हार हुई। 
4. सन् 1192 में मुहम्मद गौरी ने चौहान साम्राज्य पर विजय प्राप्त की और पृथ्वीराज चौहान को बंदी बनाकर मौत के घाट उतार दिया। 
5. इसके बाद से दिल्ली पर मुगलों के शासन की शुरुआत हुई। जो लगभग 600 तक बरकरार रही। 
6. सन 1857 में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान मुगल साम्राज्य के अंतिम बादशाह बहादुरशाह जफर को गद्दी से उतार दिया गया और दिल्ली को ब्रिटिश साम्राज्य में मिला लिया गया।
7. सन् 1912 में भारत की राजधानी कोलकाता के बजाय दिल्ली घोषित की गई।
8. 1 नवंबर, 1956 को दिल्ली को संघशासित प्रदेश माना गया। 
9. दिल्ली के विकास हेतु सन् 1966 में संसद द्वारा 'दिल्ली प्रशासन एक्ट 1966 पारित किया गया। इस एक्ट के अंतर्गत दिल्ली में एक महानगर परिषद की व्यवस्था की गई। 
10. दिसंबर 1991 में संसद ने संविधान संशोधन अधिनियम के तहत दिल्ली को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र घोषित किया।
11. वर्तमान में दिल्ली को 'भारत का दिल' कहा जाता है।

दिल्ली के पर्यटन स्थल - Tourist places in Delhi in hindi

लाल किला, जामा मस्जिद, पुराना किला, निजामुद्दीन का मकबरा, हुमायूं का मकबरा, सफदरजंग का मकबरा, फिरोजशाह कोटला, कुतुब मीनार, जंतर मंतर, इंडिया गेट, बिड़ला मंदिर, तुगलकाबाद का किला, काली मंदिर (कालकाजी मंदिर), लोटस टेम्पल, योगमाया का मंदिर, कात्यायनी मंदिर, राष्ट्रीय संग्रहालय, राष्ट्रपति भवन, तीन मूर्ति भवन, संसद भवन, डॉल्स म्यूजियम, प्रगति मैदान, अप्पू घर, चिड़िया घर, लोधी गार्डन, राजघाट एवं अन्य समाधियां, अक्षरधाम, मैट्रो रेल, चांदनी चौक, क्नॉट प्लेस।

समीपवर्ती स्थल - सूरज कुंड, सोहना।

दिल्ली - Delhi Tourist places

यमुना नदी किनारे पर बसे महानगर दिल्ली को यदि भारत देश का दिल कहा जाए तो कोई अनुचित बात नहीं होगी। यह भारत गणराज्य की राजधानी है तथा भारत के मध्य में स्थित है। यह शहर प्रत्तेक देशी-विदेशी नागरिकों को अपने दिल में बसाता है। संभवतः इसलिए इस महानगर का नाम दिल्ली है। यहाँ पर सब देशों के दूतावास तथा हाई कमीशनों के कार्यालय हैं। इस ऐतिहासिक महानगर ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं।

दिल्ली को बसाने में मुगल शासकों का बहुत बड़ा योगदान रहा है। 15 से 17वीं शताब्दी तक मुसलमानों के अधीन रही दिल्ली का आधुनिक स्वरूप अंग्रेजों की देन माना जाता है। भारत के स्वर्णिम इतिहास को समेटे महानगर दिल्ली हमेशा से ही देशी-विदेशी पर्यटकों को लुभाता रहा है।

लाल किला - Lal KIlla Tourist places

अपने सौंदर्य व स्थापत्य कला के अनूठे उदाहरण के कारण लाल किला विश्व-भर में प्रसिद्ध है। इसका निर्माण शहंशाह ने सन् 1638 में आरंभ करवाया था, जो सन् 1648 में जाकर पूरा हुआ था। यह किला 2 किलोमीटर के लंबे क्षेत्रफल में फैला हुआ है। मोती मस्जिद, दीवान-ए-आम, दीवान-ए-खास, शाही स्नान-गृह और रंग महल इस किले के मुख्य आकर्षण हैं। इसके अलावा यहां स्थित संग्रहालय में मुगलकाल के अस्त्र-शस्त्र, वस्त्राभूषण व चित्रकला की उत्कृष्ट कृतियां आज भी सुरक्षित हैं।

जामा मस्जिद - Jama Masjid Tourist places

जामा मस्जिद लाल किले के सामने स्थित है। यह मुगल स्थापत्य कला का जीता-जागता उदाहरण है। इसका निर्माण शाहजहां ने सन् 1650 में आरंभ करवाया 1658 में यह मस्जिद बनकर तैयार हुई थी। 40 मीटर ऊंची तथा 3 प्रवेश दुआर वाली इस मस्जिद में 25000 लोग एक साथ बैठकर नमाज अदा कर सकते हैं। इस मस्जिद के पूर्वी छोर से लाल किला बेहद आकर्षक दिखाई देता है।

पुराना किला - Purana Qila Tourist places

पुराना किला हमारे पौराणिक अतीत को अपने में समेटे है। माना जाता है कि इसे महाभारत काल में पांडवों ने बनवाया , बाद में शेरशाह सूरी ने इसे अपनी पसंद से दोबारा बनवाया था। लाल किले की तरह यह किला भी 2 किलोमीटर की परिधि में फैला हुआ है। यह किला दिल्ली आने वाले सैलानियों को आकर्षित किए बिना नहीं रहता। इस किले के पास ही एक झील है, जहां नौका विहार का भरपूर आनंद उठाया जा सकता

निजामुद्दीन का मकबरा - Humayun’s Tomb Tourist places

मुसलमानों का यह पवित्र तीर्थ स्थल हजरत निजामुद्दीन के मकबरे के नाम से जाना जाता है। इसे मुहम्मद तुगलक ने सन (1324-51) में बनवाया था। यहीं पर शाहजहां की बेटी जहांआरा बेगम की कब्र है। उन दिनों में यहां कव्वालियों का आयोजन होता है।

हुमायूं का मकबरा - Humayun’s Tomb Tourist places

यह मकबरा मथुरा रोड पर स्थित है। इस किले का निर्माण शहंशाह अकबर की माता बेगम हमीदा ने सन् 1564-73 में करवाया था। इस मकबरे में हुमायूँ , हुमायूँ  की पत्नी,  दारा शिकोह, फारुक शायर व आलमगीर द्वितीय की भी कब्रे हैं।

सफदरजंग का मकबरा - Safdarjung Tomb Tourist places

सफदरजंग अवध का दूसरा नवाब था और सन् 1739 में अपने चाचा सादत खान का उत्तराधिकारी बना था। उसकी मृत्यु सन् 1753 में हुई थी। सफदरजंग का सन् 1753 में बनना आरंभ हुआ था और इसे बनने में कई साल लगे थे।

फिरोजशाह कोटला - Feroz Shah Kotla Tourist places

फिरोजशाह कोटला, सम्राट फिरोजशाह तुगलक ने सन् 1354 में निर्मित करवाया था। यहां पर 36 फुट 8 इंच लंबा अशोक का स्तंभ भी है। इसके चारों ओर 30 चौड़ी दीवार है।

कुतुब मीनार - Qutab Minar Tourist places

महरौली में स्थित कुतुब मीनार विशेष रूप से देखने लायक है। इसका निर्माण कुतुबुद्दीन ऐबक ने करवाया था। पांच मंजिला इस मीनार का निर्माण मुख्यतः नक्षत्रों अध्ययन के लिए कराया गया था। यहां एक लौह स्तंभ भी है, जिसमें आज तक जंग नहीं लगा है। यह स्तंभ राजा चंद्र ने बनवाया था।

जंतर-मंतर - Jantar Mantar Tourist places

संसद मार्ग पर स्थित जंतर-मंतर एक सुंदर वेद्यशाला है। इसे आब्जर्वेट्री भी कहा जाता है। इसका निर्माण सन 1725 में जयपुर के राजा सवाई जयसिंह ने करवाया था। यह स्थल वैज्ञानिक एवं ऐतिहासिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।

इंडिया गेट - India Gate Tourist places

दिल्ली का इंडिया गेट विश्व-भर में प्रसिद्ध है। इसे सन् 1921 में द्वितीय विश्वयुद्ध में शहीद हुए भारतीय सैनिकों की याद में बनाया गया था। यह 42 मीटर ऊंचा है। इस पर शहीदों के नाम भी अंकित हैं। यहां पर दिन-रात अमर जवान ज्योति जलती है। इसके पास ही एक बोट क्लब भी है, जहां पर्यटक नौकायन का आनंद उठा सकते हैं।

बिड़ला मंदिर - Birla Mandir Tourist places

बिड़ला मंदिर को लक्ष्मी नारायण मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर कनॉट प्लेस से मुश्किल से 2 किलोमीटर दूर है। इसका निर्माण प्रसिद्ध उद्योगपति बिड़ला ने सन् 1938 में करवाया था। यह मंदिर देश-भर में प्रसिद्ध है।

तुगलकाबाद का किला - Tughlakabad Fort Tourist places

इस किले का निर्माण ग्यासुद्दीन तुगलक ने सन् 1324 में करवाया था। इसमें 13 दरवाजे, सात तालाब तथा एक कुआं है। यह कुआं 80 फुट गहरा है। 

काली मंदिर (कालकाजी मंदिर) - Kalkaji Mandir Tourist places

तुगलकाबाद किले से लगभग 2-3 किलोमीटर उत्तर की ओर काली माई का मंदिर है। इसे कालकाजी मंदिर भी कहते हैं। यह बहुत प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में मां काली की मूर्ति स्थापित है। 

लोटस टेम्पल - Lotus Temple Tourist places

काली माई के मंदिर के पास ही पश्चिम की ओर लोटस टेम्पल है। कमल के फूल की तरह बने इस मंदिर को 'बहाई मंदिर' भी कहा जाता है। 80 के दशक में बना यह कमलाकृति मंदिर पर्यटकों के आकर्षण का मुख्य केंद्र है।

योगमाया का मंदिर - Yogmaya Temple Tourist places

महरौली में स्थित इस मंदिर का निर्माण युधिष्ठिर ने करवाया था। कहा जाता है कि जब कंस ने योगमाया को पृथ्वी पर पटककर मारना चाहा था, तो वह उसके हाथ से छटकर आकाश में चली गई थी और उसने कंस को श्रीकृष्ण के गोकुल में जन्म लेने का समाचार दिया था। आकाश से योगमाया इसी स्थान पर गिरी थी।

कात्यायनी मंदिर - Katyayani Shaktipeeth Mandir Tourist places

यह मंदिर महरौली में स्थित है तथा सफेद संगमरमर से बना हुआ है। इस मंदिर की भव्य मूर्तियां देखने लायक हैं।

राष्ट्रीय संग्रहालय - National Museum Tourist places

राष्ट्रपति भवन के समीप बने राष्ट्रीय संग्रहालय की नींव सन् 1958 में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी। इस संग्रहालय में पत्थर, धातु एवं विशिष्ट लकड़ियों से बनी कलात्मक वस्तुएं देखने लायक हैं।

राष्ट्रपति भवन - Rashtrapati Bhavan Tourist places

देश के सर्वोच्च संवैधानिक पदाधिकारी राष्ट्रपति का आवास राष्ट्रपति भवन कनाट प्लेस से मात्र 1 किलोमीटर की दूरी पर है। यह भवन अपनी भव्यता व मुगल गार्डन के लिए प्रसिद्ध है।

तीनमूर्ति भवन - Teen Murti Bhavan Tourist places

किसी समय में भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का आवास स्थल रहा तीनमूर्ति भवन अब एक संग्रहालय का रूप धारण कर चुका है। यहां एक पुस्तकालय भी है, जिसमें लगभग 30 हजार पुस्तकें हैं। इस भवन के भीतर ही नेहरू तारामंडल है। इसमें खगोल संबंधी कार्यक्रम एवं गतिविधियां देखी जा सकती हैं। 

संसद भवन - Parliament Of India Tourist places

यह देश की राजनीति का मुख्य केंद्र है। इसका निर्माण ब्रिटिश सरकार ने सन् 1927 में करवाया था। राष्टपति भवन के समीप स्थित इस भवन का व्यास 171 मीटर है। यह भवन वास्तुशिल्प का स्थापत्य कला का उत्कृष्ट उदाहरण है।

डॉल्स म्यूजियम - Dolls Museum Tourist places

दिल्ली के बहादुरशाह जफर मार्ग पर स्थित इस म्यूजियम में देश-विदेश की लगभग 80 हजार गुड़ियाओं का संग्रह है। इस संग्रहालय की स्थापना मशहूर कार्टूनिस्ट शंकर पिल्लै द्वारा सन् 1965 में की गई थी। 

प्रगति मैदान - Pragati Maidan Tourist places

प्रगति मैदान दिल्ली की शान है। यह राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनियों का केंद्र है। यहां विभिन्न राज्यों के भव्य भवन बने हुए हैं जहां हर साल नवंबर के महीने में विभिन्न प्रकार की प्रदर्शनियों व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

अप्पू घर - Appu Ghar Tourist places

अप्पू घर हर आयु के पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है। बच्चों के लिए बनाया गया यह स्थान बड़े-बूढ़ों का भी मनोरंजन करता है। यहां लगे विभिन्न प्रकार के झूले पर्यटकों को खूब भाते हैं।

चिड़िया घर - Chidiya Ghar Tourist places

यह दिल्ली का जुओलाजिकल पार्क है। इसका निर्माण सन् 1959 में किया गया था। यहां विभिन्न जातियों के जीव-जंतु व पशु-पक्षी देखे जा सकते हैं। यह गर्मियों में सुबह 8 बजे से सायं 6 बजे तक तथा सर्दियों में सुबह 9 बजे से सायं 5 बजे तक खुला रहता है।

अक्षरधाम मंदिर - Akshardhaam Mandir Tourist places

भारत की राजधानी के ललाट पर जगमगाता लगभग 100 एकड़ में फैला अक्षरधार अद्भुत शिल्पकलाओं की एक ऐसी सम्मोहक प्रस्तुति है, जो भारतीय संस्कृति की प्रमाणित धरोहर है।
अक्षरधाम में निम्न स्थल देखने लायक है-

हैंदशद्वार : दशद्वार दसों दिशाओं के प्रतीक हैं, जो वैदिक शुभकामनाओं को प्रतिबिंबित करते हैं। 
भक्तिद्वार : भारतीय परम्परागत शैली का भक्तिद्वार हमें भक्तिभाव के अनोखे संसार में ले जाता है।
मयूर द्वार : अक्षरधाम के इस स्वागत द्वार में हम 869 कलामंडित स्तंभों में मयूरों की झांकियां देख सकते हैं।
श्रीहरि चरणारविंद : दो मयूरद्वारों के मध्य में 16 मांगलिक चिन्हों से अंकित ये श्रीहरि-चरणारविंद : इस धरा पर भगवान श्रीहरि-चरणारविंद इस धरा पर भगवान श्री स्वामी नारायण के दिव्य अवतरण की स्मृति में स्थापित किए गए हैं।
अक्षरधाम महालय : विशाल परिसर के केंद्र में है भव्य महालय अक्षरधाम । गुलाबी पत्थर और श्वेत संगमरमर के संयोजन से बनाए गए इस महालय में 234 कलामंडित स्तंभ, 9 कलायुक्त घुमट-मंडपम्, 20 चतुष्कोण शिखर और 20,000 से भी अधिक कलात्मक शिल्प हैं। इसकी ऊंचाई 141 फुट तथा चौड़ाई 316 फुट है।
मूर्ति : महालय के मध्य में भगवान स्वामी नारायण की पंचधातु से निर्मित, स्वर्ण मंदिर, 11 फुट ऊंची मूर्ति नमनाभिराम है। कलामंडित सिंहासनों में विराजमान भगवान श्री लक्ष्मी नारायण श्री रामचंद्र-सीताजी, श्रीकृष्ण-राधाजी और श्री महादेव-पार्वतीजी की संगमरमर की मूर्तियां दर्शनीय हैं।
गजेंद्र पीठ : अक्षरधाम का भव्य महालय 1070 फुट लंबी गजेंद्र पीठ पर स्थित है। यह 3000 टन पत्थरों से बना है और संसार में मौलिक एवं अद्वितीय शिल्पमाला है।
यज्ञ पुरुष कुंड एवं संगीतमय फव्वारे : लाल पत्थरों से निर्मित यह कुंड प्राचीन भारतीय कुंड परम्परा का विशालतम कुंड है। 300x300 फुट लम्बा यह कुंड भारत में सबसे बड़ा है। कुंड के मध्य में कमल के आकार के संगीतमय फव्वारे विशेष रूप से दर्शनीय हैं।
अक्षरधाम घाट : यहां से आप अमृत हर्बल औषधियों के अलावा पूजा का सामान भी खरीद सकते हैं।
भारत उपवन-सांस्कृतिक उद्यान : अक्षरधाम के सामने 22 एकड़ में फैले भारत उपवन में ऊंची हरी ढलानों के बीच वृक्षों और पुष्प-पौधों का कलात्मक अभियोजन किया गया है। यहां दोनों ओर भारत के महान व्यक्तित्वों के 8 फुट ऊंचे 65 कास्यशिल्प राष्ट्रीय गौरव की अनुभूति कराते हैं। 

लोधी गार्डन - Lodhi Garden Tourist places

लोधी गार्डन पर्यटकों के लिए एक उपयुक्त पिकनिक स्थल है। यहां प्रकृति की मनोहारी छटा देखते ही बनती है। इस गार्डन में मुहम्मद शाह का मकबरा, बड़ा गुम्बद, शीश गुम्बद व सिकंदर शाही मकबरा नाम की चार इमारतें हैं, जो कि दर्शनीय हैं। 

राजघाट एवं अन्य समाधियां - Rajghat and Samadhi Tourist places

अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी की समाधि उनके सादे एवं संघर्षपूर्ण जीवन का स्मरण कराती है। यहां हरे-भरे बाग भी हैं, जहां सैलानी यहां के मोहक वातावरण का लुत्फ भी उठा सकते हैं। राजघाट के निकट ही गांधी संग्रहालय है, जहां महात्मा गांधी से संबंधित कई वस्तुओं का अनूठा संग्रह पर्यटकों को लुभाता है।

राजघाट के पास ही पंडित जवाहरलाल नेहरू की समाधि शांति वन, लाल बहादुर शास्त्री की समाधि विजय घाट एवं श्रीमती इंदिरा गांधी की समाधि शक्ति स्थल देखने योग्य है।
मैट्रो रेल : राजधानी दिल्ली के गर्भ से बाहर निकलकर कई फुट ऊंचे खंभों पर धड़धड़ाती मैट्रो रेल की सवारी अपने आप में अनोखा मजा है। - यदि आप घूमने के लिए दिल्ली आएं तो मैट्रो ट्रेन में अवश्य बैलें। इसकी सवारी आप कई वर्षों तक भूल नहीं पाएंगे।

चांदनी चौक - Chandni Chowk Tourist places

यह बाजार जामा मस्जिद से सटा हुआ है तथा इसकी गिनती दिल्ली के प्रमुख बाजारों में की जाती है। यह प्राचीन बाजार दिल्ली का एक महत्त्वपूर्ण स्थल है। थोक सामान की बिक्री के लिए इस बाजार में हमेशा रौनक लगी रहती है। इस बाजार के समीप एक सुंदर पार्क है, जो 'कंपनी गार्डन' के नाम से जाना जाता है। खाने पीने का लुत्फ यहां उठाया जा सकता है।

परांठे वाली गली के परांठे मशहूर हैं। दही-भल्ले, चाट-पकौड़ी, जलेबी, फलूदा आइसक्रीम के शौकीन यहां आकर अपना शौक परा कर सकते हैं। यहाँ कपडे की होलसेल के कई बाजार हैं। चांदनी चौक बाजार के निकट ही लाजपतराय मार्किट है, जो इलेक्ट्रॉनिक आदि सामान का थोक विक्रय बाजार है। यहां से पर्यटक सस्ते व वाजिब दामों में खरीदारी भी कर सकते हैं, यहीं निकट ही नई सडक एवं चावड़ी बाजार भी है

कनॉट प्लेस - Connaught Place Tourist places

यह दिल्ली का मुख्य आधुनिक बाजार है, जिसे अंग्रेजों ने सन् 1920-21 में बनवाया था। इसके चारों तरफ खरीदारी के लिए दुकानें हैं, जहां सबकुछ उपलब्ध है। यहां पर सुपर बाजार एवं भूमिगत पालिका बाजार है, जहां हर आयु-वर्ग के लोग खरीदारी कर सकते हैं।

सूरज कुंड - Surajkund Tourist places

इस ऐतिहासिक पिकनिक स्थल का निर्माण तोमर वंश के राजा अनंगपाल के पुत्र सूरजपाल ने 686 ई. में करवाया था। वैसे आजकल यह स्थान खंडहर का रूप धारण कर चूका है. फिर भी यहां स्थित सरोवर की सीढ़ियां देखकर लगता है कि कभी यहाँ भव्य और विशाल सरोवर रहा होगा। यहां प्रतिवर्ष हस्तशिल्प व अन्य कलात्मक कलात्मक वस्तुओं का मेला लगता है, जो दर्शनीय है।

सोहना - Sohna Tourist places

यह पिकनिक स्थल गुड़गांव के पास स्थित है। स्थानीय लोग इसे एक तीर्थ स्थान भी मानते हैं। यहां की विशेषता गर्म जल का कुंड है, जिसका पानी सर्दियों के मौसम में भी गर्म रहता है। यहां एक हरी-भरी पहाड़ी भी है, जहां पर्यटक सैर करके यहां केमोहक " वातावरण का आनंद उठा सकते हैं।

दिल्ली कैसे जाएं? 

वायु मार्ग : राजधानी दिल्ली के लिए भारत के सभी प्रमुख शहरों से सीधी वायुयान सेवाएं उपलब्ध हैं।

रेल मार्ग : महानगर दिल्ली देश के करीब सभी शहरों से रेल मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।

सड़क मार्ग : दिल्ली देश के लगभग सभी प्रमुख शहरों से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है। जम्मू, चंडीगढ़, देहरादून, आगरा, झांसी, शिमला, जयपुर, अमृतसर आदि समीपी शहरों से यहां के लिए राज्य परिवहन निगम की बसों के अलावा टूरिस्ट बसें व टैक्सियां भी उपलब्ध हैं। दिल्ली मार्ग से कई पर्यटन स्थलों का भली-भांति भ्रमण किया जा सकता है