पागल नौकर-पंचतंत्र की कहानियां
Apr 05,2021 06:18 AM posted by Admin
एक बार किसी शहर में एक सेठ रहता था। किसी कारणवश उस बेचारे को अपने कारोबार में घाटा पड़ गया और वह गरीब हो गया। गरीब होने का उसे बहुत दुःख था। इस दुःख से तंग आकर उसने सोचा कि इस जीवन का उसे क्या लाभ ? इससे तो मर जाना अच्छा है।यही सोचकर एक रात को वह सोया तो रात को उसे सपने में एक संन्यासी नज़र आया जो उसे कह रहा था, सुनो सेठ, तुम मरो मत, मैं तुम्हारे सारे दुःख दर करने के लिए कल सुबह तुम्हारे घर पर आऊंगा, तुम मेरे सिर पर डंडा मारना, मैं उसी समय सोने का होऊंगा । संन्यासी की बात सुनकर दुःखी सेठ ने सोचा कि चलो एक बार और देख लेते हैं। यही सोचकर वह सुबह से ही अपने घर पर बैठ संन्यासी की प्रतीक्षा करने लगा था। उसका नौकर नाई भी उस समय उसके पास ही बैठा था, थोड़े दी धागों के पश्चात जैसे ही वह संन्यासीसेठ को आता दिखाई दिया तो उसने झट से अपना डंडा उठाकर उसके सिर पर दे मारा।
बस फिर क्या था, देखते-ही-देखते वह सोने का बनकर गिर पड़ा । उसे वहीं से उठाकर खुशी से नाचता सेठ अन्दर ले गया। उसने नाई को इनाम में कुछ रुपये देकर कहा, “तुम जाओ लेकिन यह बात बाहर जाकर किसी से मत कहना। नाई ने अपने घर जाकर सोचा कि जितने भी यह संन्यासी फिर रहे हैं यदि इनके सिर पर डंडा मारा जाए तो यह सोने के बन जाएंगे, सो मैं भी सुबह उठते ही इन सबके सिर पर डंडे मारूंगा और फिर...मैं भी अमीर बस फिर क्या था सुबह उठते ही उसने एक बड़ा लठ लिया और चल पड़ा संन्यासियों की खोज में और एक स्थान पर जहां बहुत से भिक्षुक ठहरे हुए थे उन्हें अपने घर पर आने का निमंत्रण दिया।
जैसे ही वे खाने के लिए घर पर आए तो नाई पहले से ही द्वार पर लठ लेकर बैठा था। यह संन्यासी भिक्षु नाई की चिकनी-चुपड़ी बातों में आकर और सब घरों को छोड़कर पहले इसके यहां आए। बस फिर क्या था, जैसे ही साधु अन्दर आने लगे, नाई बारी-बारी उनके सिर पर लठ मारता रहा । उनमें से कोई मर गया, कोई गहरे घाव खाए धरती पर तड़पता रहा। यह सूचना राजा की पुलिस तक पहुंच गई। पुलिस ने नाई को बन्दी बना लिया और साथ ही साधुओं की लाशें और घायल साधुओं को लेकर राजा के पास पहुंचे। राजा ने नाई से पूछा, “तूने यह पाप क्यों किया उत्तर में नाई ने सेठ वाली सारी कहानी राजा को सुना डाली, नाई की कहानी सुन राजा ने सेठ को बुलाया और सब बात पूछी तो सेठ ने अपना सारा सपना राजा को बता दिया। सेठ की बात सुन राजा ने कहा, “यह सारा दोष नाई का है, इसे फांसी दे दी जाये।”
इस प्रकार नाई को फांसी दे दी गई। इसीलिए कहा है जो ठीक से देख जाना और सुना न हो, वह न करना चाहिए, जैसा कि नाई ने किया और मारा गया, ठीक ही कहा है-कोई काम अच्छी प्रकार से देखभाल और सोच-विचार के बिना नहीं करना चाहिए नहीं तो बाद में पछताना पड़ता है। जैसे नेवले के लिए ब्राह्मणी को पछताना पड़ा। सेठ ने कहा, “मुझे भी यह कहानी सुनाओ।". “हां ज़रूर, लो सुनो