मूर्ख को शिक्षा मत दो-पंचतंत्र की कहानियां
Apr 03,2021 08:26 AM posted by Admin
एक बार किसी पहाड़ पर बन्दरों का एक झुंड रहता था। एक बार काफी वर्षा और बर्फ पड़ने के कारण ठण्ड बहुत ही अधिक हो गई। इस ठण्ड से बचने के लिए बन्दरों ने एक ऐसे फल को आग समझकर इकट्ठा कर लिया जिसकी शक्ल आग से मिलती थी। इस आग को सुलगाने के लिए सभी बन्दर फूंक मारने लगे, बाकी के बन्दर उसे आग समझ चारों ओर तापने के लिए बैठ गये।
इन बन्दरों को देखकर एक पक्षी बोला “अरे तुम सब पागल हो गए हो, यह अंगारी नहीं, यह तो उससे मिलता-जुलता फल है, इससे भला सर्दी कहां दूर होगी ? तुम लोग किसी पहाड़ी गुफा में छुपने की बात सोचो, क्योंकि अभी तो बर्फ और गिरेगी।”बन्दरों का सरदार बोला, “अरे तू हमें क्या बताएगा?
हम सब समझते हैं, हम सब जानते हैं।" पक्षी ने एक बार फिर कहा, “अरे भैया, मैं तुम्हारे ही हित की बात कह रहा हूं, तुम इस भयंकर ठण्ड से बचने के लिए कहीं पर भी छिप जाओ नहीं तो मारे जाओगे।"
उस पक्षी की बात सनकर एक बन्दर को क्रोध आ गया उसने उस पक्षी के पर नोंचकर उसे पत्थर पर दे मारा । यह मिला था उस बेचारे को फल भलाई का और शिक्षा देने का।
“मैंने तुम्हें कहा न कि मूर्ख को शिक्षा देने का कोई लाभ नहीं । देखो एक मूर्ख बन्दर ने सुन्दर घर वाले को बेघर कर दिया।"
“यह कैसे ?” दमनक बोला। सुनो