फूट से लाभ-पंचतंत्र की कहानियां
Apr 05,2021 03:58 AM posted by Admin
एक शहर में एक पंडित रहता था। उसका कार्य दान लेना था जिससे उसके घर का खर्च चलता था। इसी कारण वह अपने सिर के बाल, दाढ़ी नाखून बढ़ाए रहता था । तप और त्याग से उसका शरीर काफी सूख गया था जिसके कारण वह अधिक भाग-दौड़ नहीं कर सकता था।उसे एक जजमान ने दो बछड़ियां दान में दे दी थीं। जिन्हें पाल-पोस कर उसने बड़ा किया । एक दिन एक चोर ने सोचा कि इन दोनों गायों को मैं चोरी कर लं । यही सोच वह घर से रस्से लेकर निकला तो रास्ते में उसे एक बहत बडा भयंकर व्यक्ति मिला ।
उसे देखकर चोर डर गया । चोर ने उससे पछा“तुम कौन हो ?" “मैं ब्राह्मण का राक्षस हूं और तुम कौन हो ?” उसने चोर से पूछा“मैं चोर हैं और इस शहर के प्रसिद्ध पंडित की दो गायें चराने जा रहा "देखो भाई ! मैंने रात्रि का भोजन करना है और आज मैं उसी पंडित को खाने जा रहा हूं। यह तो और भी खुशी की बात है कि हम दोनों का शिकार एक ही है।” इस प्रकार वह दोनों मिलकर पंडित के घर पहंच गये। जैसे पंडित सो गया तो राक्षस पंडित को खाने के लिए चल पड़ा, । “ठहरो भाई ! पहले मुझे यह गायें ले जाने दो । इसके पश्चात् तुम पंडित को खाना ।” चोर बोला।“अरे. यह कैसे हो सकता है ? यदि गाओं की आवाज़ सुनकर पंडित जाग उठा तो मेरा काम बिगड़ जाएगा।"
"भाई राक्षस, जब तुम पंडित को खाने जाओगे यदि उस समय वह बच गया तो मैं गायें न चुरा पाऊंगा, इसलिए पहले मुझे अपना काम करने दो।" इस प्रकार वह दोनों झगड़ने लगे। चोर बोला, “मैं पहले।" राक्षस बोला, “मैं पहले।" “मैं पहले.... "मैं पहले....!" इस प्रकार की आवाजें सुनकर पंडित भी जाग उठा । तब चोर ने उससे कह दिया। "पडित जी ! यह राक्षस तुम्हें खाना चाहता है।
“पंडित जी ! यह चोर तुम्हारी इन दोनों गायों को चुराना चाहता है।" यह सुनकर उस पंडित ने अपने देवता की पूजा करके उस राक्षस को भगा दिया। इसलिए मैं कहता हूं कि आपस में लड़ते हुए शत्रु का लाभ उठा लेना चाहिए । फूट में ही सदा हार होती है। उसकी बातें सुनकर उल्लू राज ने अपने बड़े मंत्री से पूछा-“अब आप ही बताएं इनकी बातों से आप क्या फैसला करते हैं ?"वह बोला, “महाराज ! न मारने योग्य ही यह है क्योंकि कहा गया है, जो प्राणी एक दूसरे की रक्षा नहीं करते व बांबी में रहने वाले सांप की भांति मोत को प्राप्त होते हैं।" “क्या तुम मुझे उस सांप की कहानी सुना सकते हो ?” -"जी हां महाराज, सुनिये-"