एक से दो भले-पंचतंत्र की कहानियां

Apr 05,2021 07:48 AM posted by Admin

एक स्थान पर ब्रह्मदत्त नाम का एक पंडित रहता था। एक दिन वह किसी ज़रूरी काम से जाने लगा तो उसकी मां ने कहा-“देखो बेटा ! सफर में अकेले नहीं जाते। यदि तुम्हारे साथ और कोई नहीं तो मैं तुम्हें एक केकड़ा लाकर देती हूं उसे अपने साथ ले जाओ।" बेटे ने मां की बात मानी और एक बर्तन में डालकर उस केकड़े को अपने साथ ले चल पड़ा।

देर तक चलते-चलते जब वह थक गया तो एक वृक्ष के नीचे आराम करने के लिए लेट गया। लेटते ही उसे गहरी नींद आ गई। इस बीच उस पेड़ की जड़ से एक काला सांप निकला तो केकड़े ने उस सांप को देखकर सोचा यह सांप मेरे मालिक को ही खाएगा। अपने मालिक की जान बचाने के लिए उस केकड़े ने अपना विशेष दांव मारा और देखते-ही-देखते उस सांप के टुकड़े-टुकड़े कर दिये।

ब्रह्मदत्त जैसे ही सोकर उठा तो उसने काले सांप के टुकड़ों को देखकर समझ लिया कि इस केकड़े ने मारा होगा। आज यदि यह केकड़ा मेरे हाथ न होता तो मैं अवश्य ही मर जाता। मेरी माँ ने ठीक ही कहा था कि सफर में एक साथी ज़रूर होना चाहिए।