बुद्धिहीन विद्वान-पंचतंत्र की कहानियां

Apr 05,2021 06:40 AM posted by Admin

एक गांव में चार ब्राह्मण पुत्र रहते थे। इनमें से तीन तो शास्त्रों के विद्वान थे, किन्तु उनके पास बुद्धि नहीं थी, चौथा शास्त्रों विद्या के बिना था, किन्तु उसके पास बद्धि थी। एक बार उन्होंने सोचा कि हम राजा के पास चलकर क्यों न धन कमाएं। यही सोचकर वे चारों घर से निकले। रास्ते में एक जंगल में पहुंच कर शास्त्र विद्या जानने वाले तीनों ने कहा कि हमारा साथी शास्त्र विद्या नहीं जानता, इसलिए इसे हम अपना कमाया धन नहीं देंगे, लेकिन उनके बड़े साथी ने कहा, यारो कोई बात नहीं, आखिर यह हमारा बचपन का साथी है हम इसे अकेला नहीं समझते । बात समाप्त हुई।

एक बार वे फिर चल पड़े चलते-चलते रास्ते में उन्हें शेर की हड़ियां मिलीं। इन हड़ियों को पाकर चारों ने सोचा हमें अपनी शास्त्र विद्या की शक्ति की परीक्षा लेनी चाहिए, यदि मारे पास सच्ची विद्या है तो इन हड़ियों को इकट्ठा करके हमें शेर बना देना चाहिए। बस फिर क्या था ? लगाया। एक ने उन हड्डियों को इकट्ठा करके जोड़ दिया। दूसरे ने उन पर चमड़ा तीसरा उसमें जान डालने ही लगा था, तभी ज़ोर से चौथा बोला "ठहरो ! पागल मत बनो, क्या तुम्हें नहीं पता कि यह शेर बनने जा रहा है ? यह जान पड़ते ही पहले हमें खाएगा।" तभी तीसरा बोला, तुम तो अज्ञानी हो, तुम्हें क्या पता शास्त्र विद्या में कितनी शक्ति है ? हम तो अपनी शक्ति दिखाकर ही रहेंगे।

चौथा बोला, “ठीक है तुम अपनी शक्ति दिखाओ और मैं तो वृक्ष पर चढ़ रहा हैं।" । जैसे ही उसने उस शेर में जान डाली, भूखा शेर दहाड़ा और देखते ही देखते इन तीनों को खा गया, बुद्धिमान वृक्ष पर चढ़ा होने के कारण बच गया। शेर के वहां से चले जाने के पश्चात् वह वृक्ष से उतरा और अपने घर वापस आ गया। तभी तो कहते हैं विद्या से बुद्धि बड़ी होती है।“अब एक मूर्ख पण्डित की कहानी सुनो-"