भाग्य की शक्ति-पंचतंत्र की कहानियां

Apr 06,2021 02:11 AM posted by Admin

एक राजा के घर तीन स्तनों वाली कन्या पैदा हुई तो राजा ने उसे मुसीबत समझकर अपने नौकरों से कहा कि इसे जंगल में फेंक आओ। मंत्री ने राजा से कहा-“महाराज! यह तो ठीक है कि तीन स्तनों वाली कन्या भारी होती है लेकन इसे फेकने से पहले पंडित से तो पूछ लेना चाहिए क्योंकि प्राचीन काल में एक राक्षस द्वारा पकड़ा हुआ एक पंडित पूछने से ही बच गया था। “वह कैसे?' राजा ने पूछा। लो मैं आपको बताता हूं। एक जंगल में पंडित अकेला जा रहा था। एक राक्षस उसे शिकार समझ तक कंध पर चढ़ बैठा कहने लगा कि आगे चलो। पंडित ने घबराकर उसकेकोमल चरणों  को देखकर कहा-“अरे वाह! आपके पांव कितने कोमल और सुन्दर है।" "हा, मैंने यह पूछ लिया है कि गीले पांव धरती पर नहीं रखूगा।"पंडित अपन बचाव की बात सोचते हए एक तालाब पर पहुंच गया और ला महाराज ! मुझे भोजन बनाने से पूर्व आप नहा ले।' । झट से तालाब में नहाने लगा। पंडित को तो पता था कि यह अपने गीले पांव धरती पर नहीं रखेगा, इसलिए यहां से भागने से सबसे बड़ी मौका देख, पंडित वहां से भाग निकला। पंडित पहले ही उसे राक्षस का चुका कि वह गीले पांव धरती पर नहीं रखता।

राजा ने ब्राह्मणों को बुलाकर पूछा- “हे ब्राह्मणों, मेरे यहां तीन स्तनो वाली कन्या हुई है इसका मैं क्या करूं?" ब्राह्मणों ने एक मत होकर कहा- “महाराज, आप इस कन्या के दर्शन करें। हां, यदि कोई उससे शादी कर ले तो शादी करके उसे अपने देश से निकाल दें।" ब्राह्मणों की बात सुनकर राजा ने सारे शहर में घोपणा करवा दी कि जो कोई इस कन्या से शादी करके देश से बाहर जायेगा, उसे लाखों मुद्राएं दी जायेंगी। पर बहुत सालों तक भी कोई उससे शादी के लिए नहीं आया। इस बीच लड़की जवान हो गई। उसी शहर में एक अंधा रहता था। लाठी पकड़कर चलने के लिए एक कुबड़ा उसका साथी था। इस दोनों ने सोचा कि क्यों न हम ही उस राजा की लड़की से शादी कर लें। इससे इतना धन प्राप्त हो जाएगा कि हमारा सारा जीवन सुखी हो जाएगा। यदि उससे शादी करके हमारी मृत्यु भी हो गई तो हमें इस दुखी जीवन से छुटकारा मिल जाएगा।  यह सोच वह अंधा अपने साथी को लेकर राजा के पास पहुंचा और उसने लड़की से शादी करने को कहा। इस प्रकार यह अंधा, उसका साथी कुबड़ा उस कन्या को लेकर किसी दूसरे देश चले गए। वहां जाकर उन्होंने एक बढ़िया मकान खरीदा। अंधा और उसकी स्त्री दोनों घर में पड़े रहते और कुबड़ा बेचारा सारा दिन काम करता।  कुछ  ही समय के पश्चात् उस राजकन्या का कुबड़े से मेल हो गया। तभी  के यदि आग ठंडी हो जाए, चांद जलने लगे, सागर का जल मीठा हो ।स्त्रियां सती रह सकती हैं

एक दिन कुबड़े ने राजकन्या से कहा कि क्यों न इस अंधे को जहर देकर भार डालें जिससे हम दोनों मजे मारेंगे। यह सुनकर कुबड़ा कहीं से एक मरा हुआ काला सांप उठा लाया और राजकन्या से बोला- "इसे भूनकर अंधे को यह कहकर दे देना कि यह मछली का मांस है क्योंकि अंधा मछली का मांस खुश होकर खाता है।" राजकन्या ने सांप का मांस एक बड़े पतीले में डाल चूल्हें पर चढ़ा दिय घर के दुसरे काम करने लगी। उसने अंधे से कहा कि आप थोड़ी देर के बैठकर उसे हिलाते रहे ताकि मांस जल न जाए। उसकी तेज अँधा पतीले के पास जाकर करछी से उसे हिलाने लगा। उस जाखों में लगने लगी। अंधे ने महसूस किया कि इस भांप में स्वयं घर के दूसरे काम करने लिए उस पतीले के पास बैठकर  अंधा उस पतीले के पास भांप उस अंधे की आंखों में लगा उसकी आंखें ठीक हो रही है। वह धीरे-धीरे ठीक हो गया। जैसे ही उसकी आंखों से दिखने लगा तो मछली के मांस की बजाय राजकन्या ने उसे मारने ।उसकी आंखों से दिखन लगा तो उसने देखा कि इस पतीले में तो मांस की बजाय साप का मास है। वह समझ गया. इस ने उसे मारने का षड़यंत्र रचा है। अब मैं उसे जीवित नहीं छोटंगा यही सोचकर अंधा जो अब देखने लगा था, एक कोने में का उसे कुबड़े का इंतजार करने लगा। से ही वह कुबड़े घर के अंदर आया तो अंधे न उसे दोनों हाथों पर उठा और जोर से उस राजकन्या की छाती पर दे मारा। कबड जैसे ही राजकन्या की छाती पर जाकर टकराया तो उसका तीसरा स्तन शरीर के अन्दर घुस गया। कबड़ जैसे ही धडाम से फर्श पर गिरा तो उसकी कमर सीधी हो गई। तभी तो कहा गया है कि बड़ों की बात माननी चाहिए। इस विषय में तुम्हें कहानी सुनाता हूं