भाग्य की शक्ति-पंचतंत्र की कहानियां

Apr 05,2021 07:42 AM posted by Admin

एक बार एक राजा के घर में तीन स्तनों वाली कन्या पैदा हुई तो राजा ने उसे मुसीबत समझकर अपने नौकरों से कहा कि इसे जंगल में फैंक आओ। मन्त्री ने राजा से कहा कि महाराज यह तो ठीक है कि तीन स्तनों वाली कन्या भारी होती है लेकिन इसे फैंकने से पहले पंडितों से तो पूछ लेना चाहिए। क्योंकि प्राचीनकाल में एक राक्षस द्वारा पकड़ा हुआ एक पंडित पूछने से ही बच गया था।“वह कैसे” राजा ने पूछा। “लो मैं आपको बताता हूं।"एक जंगल में पंडित अकेला जा रहा था। एक राक्षस उसे शिकार समझकर उसके कंधे पर चढ़ बैठा और कहने लगा कि चलो आगे चलो। पंडित ने घबराकर उसके कोमल चरणों को देखकर कहा-अरे वाह !आपके पांव कितने कोमल और सुन्दर हैं हां, मैंने यह प्रण किया है कि मैं गीले पांव धरती पर नहीं रखता। पंडित अपने बचाव की बात सोचते हुए एक तालाब पर पहुंच गया और बोला—“लो महाराज, मेरे भोजन करने से पूर्व आप नहा लें।”राक्षस झट से तालाब में नहाने लगा। पंडित को तो पता था कि वह अपने गीले पांव धरती पर नहीं रखेगा। इसीलिए यहां से भागने का सबसे बढ़िया मौका देख, पंडित वहां से भाग निकला। पंडित पहले ही उस राक्षस का भेद ले चुका था कि वह गीले पांव धरती पर नहीं रखता। राजा ने ब्राह्मणों को बुलाकर पूछा-“हे ब्राह्मणो, मेरे यहां तीन स्तनों वाली कन्या हुई है इसका मैं क्या करूं?"ब्राह्मणों ने एक मत होकर कहा-"महाराज आप इस कन्या के दर्शन न करें। हां, यदि कोई उससे शादी कर ले तो शादी करके उसे अपने देश से निकाल दें।”ब्राह्मणों की बात सुन राजा ने सारे शहर में घोषणा करवा दी कि जो कोई इस कन्या से शादी करके देश से बाहर ले जाएगा उसे लाखों मोहरें दी जाएंगी।पर बहुत सालों तक भी कोई उससे शादी करने के लिए नहीं आया। इस बीच लड़की जवान हो गई। उसी शहर में एक अन्धा रहता था। लाठी पकड़कर चलाने के लिए एक कुबड़ा उसका साथी था।

इन दोनों ने मिलकर सोचा कि क्यों न हम ही उस राजा की लड़की से शादी कर लें। इससे इतना धन प्राप्त हो जाएगा कि हमारा सारा जीवन सुखी हो जाएगा। यदि उससे शादी करके हमारी मृत्यु भी हो गईतो हमें इस दुःखी जीवन से छुटकारा मिल जाएगा। यही सोच वह अन्धा अपने साथी को लेकर राजा के पास पहुंचा और उसने लड़की से शादी करने को कहा। इस प्रकार उस अंधे से उस कन्या की शादी करके उसे दिल भर कर धन देकर राजा ने अपने देश से निकाल दिया। इस तरह यह अन्धा उसका साथी कुबड़ा उस कन्या को ले किसी दूसरे देश में चले गए। वहां जाकर उन्होंने अपने लिए बढ़िया मकान खरीदा। अन्धा और उसकी स्त्री दोनों घर में पड़े रहते। कुबड़ा बेचारा सारा काम करता। कुछ ही समय के पश्चात् उस राजकन्या का कुबड़े से सम्पर्क हो गया। तभी कहा है कि यदि आग ठंडी हो जाए, चाँद जलाने लगे, सागर का जल मीठा हो जाए, तभी स्त्रियां सती रह सकती हैं। एक दिन कबड़े से राजकन्या ने कहा कि क्यों न इस अन्धे को जहर देकर मार डालें जिससे हम दोनों मजे करेंगे। यह सुन कुबड़ा कहीं से एक मरा हुआ काला सांप उठा लाया और राजकन्या से बोला इसे भूनकर अन्धे को यह कहकर दे देना कि यह मछली का मांस है । क्योंकि यह अन्धा मछली का मांस खुश होकर खाता है। राजकन्या ने सांप का मांस एक बड़ी पतीले में रखा और स्वयं घर के काम करने लगी। उसने अन्धे से कहा कि आप थोड़ी देर के लिए उस पतीले के पास बैठकर उसे हिलाते रहें ताकि यह मांस जल न जाए। अशा उस पतीले के पास जाकर चम्मच से उसे हिलाने लगा जिसकी उस अन्धे की आँखों में लगने लगी। अन्धे ने महसूस किया कि इस भाप से उसकी आँखें ठीक हो रही हैं। वह धीरे-धीरे ठीक हो गया। 

जैसे ही उसकी आँखें देखने लगी तो उसने देखा कि इस पतीले में तो मछली के मांस की बजाए सांप का मांस है । वह समझ गया । इस कुबड़े और राजकन्या ने मिलकर उसे मारने का षड़यन्त्र किया है। अब मैं भी उसे जीवित नहीं छोडूंगा। यही सोचकर अन्धा जो अब देख सकता था, एक कोने में छुपकर खड़ा हो उस कुबड़े का इन्तजार करने लगा। बस जैसे ही कुबड़ा घर के अन्दर आया तो अन्धे ने उसे दोनों हाथों पर उठाकर ज़ोर से उस राजकन्या की छाती पर दे मारा । कुबड़ा जैसे ही राजकन्या की छाती से जाकर टकराया तो उसका तीसरा स्तन शरीर के अन्दर घुस गया। कुबड़ा जैसे धड़ाम से फर्श पर गिरा तो उसकी कमर सीधी हो गई। तभी कहा है कि बड़ों की बात माननी चाहिए। इस विषय में तुम्हें एक पक्षी की कहानी सुनाता हूं। “सुनाओ।"