अनजान से बचो-पंचतंत्र की कहानियां

Apr 03,2021 07:35 AM posted by Admin

एक बार एक राजा के सोने वाले कमरे में एक सफेद जूं रहती थी। एक तो राजा के सुन्दर महल, दूसरे राजा का मज़ेदार खून, जू को भला और क्या चाहिए था ! महलों में रहने वालों का तो जीवन वैसे ही सुखी होता है किसी प्रकार से उस कमरे में एक खटमल घुस आया। जूं ने खटमल को राजा के पलंग में घुसते देखकर कहा___ “अरे भाई ! तुम राजा के बिस्तर में कैसे घुस आए ? कहीं राजा को पता चल गया तो हम दोनों की खैर नहीं, इसलिए तुम यहां से शीघ्र चले जाओ।"

खटमल बड़ा चालाक था। उसने दोनों हाथ जोड़ते हुए कहा-“अरी बहन ! देख लोग घर आए शत्रु के साथ भी ऐसा व्यवहार नहीं करते ।” कहा भी गया है“आइये विराजिये, यह आसन है, आराम कीजिए, बहुत दिनों से आये, कहां रहे ? कहो कुशल से तो रहे । ऐसे शब्दों से घर आए मेहमान का स्वागत करते हैं । विद्वानों द्वारा गृहस्थियों का यह सर्वदाता छोटा धर्म कहा गया है। मैंने आज तक अनेक प्रकार के छोटे-बड़े इन्सानों का खून पीया है, जिसमें खट्टा मीठा, कड़वा सभी प्रकार के खून थे। किन्तु आज तक मैंने किसी राजा का खून नहीं पीकर देखा है । यदि तुम कहो तो मैं कुछ दिनों के लिए तुम्हारा मेहमान बन कर राजा के खून का आनन्द ले लूं।"

खटमल की मीठी-मीठी बातों में जूं आ गई थी। उसने कहा, “देखो भाई, मैं इस राजा का खून बड़े ही नियोजित ढंग से और प्यार से चूसती हं । जब राजा सो जाता है तो मैं इतने प्यार से खून चूसती हूं कि इसे बिल्कुल पता नहीं चलता। इसलिए तुम्हें भी इतनी ही होशियारी से यह काम करना होगा।" "मेरी बहन ! तुम किसी प्रकार की चिन्ता मत करो। मैं राजा का खन उसी समय चूसना आरम्भ करूंगा, जब तुम उसका खून पी लोगी।" खटमल ने विश्वास दिलाया।

दोनों यह बातें कर ही रहे थे कि इतने में राजा भी अपने कमरे में आ गया। जैसे ही राजा पलंग पर बैठा तो खटमल के मुंह में पानी भर आया और उसने झट से राजा को काट खाया और उसका खून चूसने लगा। किसी ने ठीक कहा है उपदेश से स्वभाव नहीं बदलता । पानी को जितना चाहे गर्म कर लो वह फिर से ठंडा हो जाएगा। । इसी तरह चाहे आग ठंडी हो जाए और शीतल किरणों वाला चांद जलने वाला बन जाए, तो भी मनुष्य के स्वभाव को नहीं बदला जा सकता।

अतः जैसे ही राजा को खटमल ने काटा तो वह तड़प कर उस पलंग से उठ खड़ा हुआ और चीख कर बोला, “इस पलंग में जूं अथवा खटमल ज़रूर हैं जिन्होंने मुझे काटा है।" 40 राजा के नौकर उसकी बात सुनकर भागे हुए आए और पलंग पर से बिस्तर उठा कर देखने लगे। चूंकि खटमल बड़ा होशियार था अतः वह झट से किसी लकड़ी की दरार में घुस गया। जूं बेचारी कपड़े की सिलविट में चिपकी हुई थी, जो झट से उन नौकरों को नज़र आ गई।

बस फिर क्या था । नौकरों ने जू को हाथ में लेते हुए उसे मसल कर सदा के लिए उसकी जीवन-लीला समाप्त कर दी । इस तरह जूं बेचारी तो मर गई चालाक खटमल बच गया। इसलिए तो आपसे कहता हूं महाराज, आप अपनी जाति के लोगों पर ही विश्वास करें, बाहर के लोगों से बचें। बाहर के लोगों से ही आदमी धोखे में मारा जाता है जैसा कि आपने सुना होगा कि राजा कमुद्रम।”
“मैंने नहीं सुना मित्र, तुम उस राजा की कहानी बता दो ।” शेर बोला।