उल्टी राय का फल-दादी माँ की कहानी
Apr 08,2021 04:04 AM posted by Admin
किसी आदमी ने गधा और बकरा पाल रखा था। वह गधे पर बोझ ढोता था। इसलिए उसे घास दाना पानी आदि देने का विशेष ध्यान रखा गधे पर मालिक की विशेष कृपा देख-देखकर बकरा मन ही मन कुढ़ता रहता था और सोचने लगता था कि गधे को मालिक की नजर से गिराने के लिए उसे क्या करना चाहिए?इसी तरह सोच-विचार करते-करते बकरे की समझ में एक उपाय आया उसने एक दिन गधे से कहा-"भाई, मालिक ने मुझे तो खुला छोड़ रखा है। मैं जहाँ चाहता हूँ, वहीं जाता हूँ और मनमानी से उछल-कूद मचाता हूँ, परन्तु मेरी समझ में नहीं आता कि तुम्हारे साथ क्यों इतना बुरा व्यवहार करता है। रोज तुम्हारी पीठ पर बोझ लादता है, फिर तुम्हें न जाने कहां-कहां घसीटता फिरता है।
"यह सुन गधा बोला-"भाई! मालिक का यह व्यवहार मुझे भी बहुत अखरता है,लेकिन उससे बचने का क्या उपाय है ?"बकरे ने कहा-"उपाय! अरे, उपाय तो बहुत सरल है। एक दिन तुम बीमारी का बहाना बनाओ,किसी गढ़े में गिर पड़ो और फिर मजे कुछ दिन तक आराम करो, बैठे-बैठे खाओ पियो और मौज मनाओ।"गधा बेचारा तो बिल्कुल सीधा-सादा था। वह बकरे की बातों में आ गया। जब मालिक उसे काम के लिए बाहर लेकर गया तो वह उसी दिन गढ़े में जान-बूझकर गिर गया। परिणाम स्वरूप वह इतना घायल हो गया कि कुछ दिन तक चलने-फिरने लायक भी न रहा।आखिर, मालिक ने पशुओं के डाक्टर को बुलाया। डाक्टर ने आकर गधे को देखा और फिर उसके मालिक से कहा-"कुछ दिन तक इसे आराम से पड़ा रहने दा और इसके घावों पर बकरे की चर्बी की मालिश करो। धीरे-धीरे अच्छा हो जाएगा।अब क्या था, मालिक ने बकरे को काटने के लिए छरी उठाई। वह देखते हैं। बकरे ने रोते-रोते कहा-"हाय-हाय मेरी मति मारी गई थी. जो मैंने गधा को उल्टा दी। मुझे क्या मालूम था कि जो दूसरों को गिराने के लिए छल-फरेब से कामला वह स्वयं ही चक्कर में फंस जाता है।"