सारा कैसे पीऊंगा-दादी माँ की कहानी
Apr 07,2021 08:09 AM posted by Admin
पाक कोटा-सा गाँव था जिसकी आबादी बहुत कम थी। लोग वहीं पैदा हमारा जीवन अपना वहीं व्यतीत कर देते। बाहर आना-जाना बड़ी बातदूर-दराज एक छोटा-सा गाँव होते. बडे होते, सारा जीवन अपन मानी जाती थी।उसी गाँव में भोला नाम का एक नौजवान रहता था जो बहुत सीदा-साधा था। एक से किसी काम से गाँव सेबाहर जाना पड़ा। पहली बार गाँव से बाहर से निकला था इसलिए कुछ सहमा हुआ था। फिर घने जंगल का सूना रास्ता। कुछ ही देर में वह भक गया और उसे प्यास लगने लगी। उसने देखा जंगल खत्म होने वाला है वह तेजआज कदमों से चलने लगा। जंगल पार करते ही एक लम्बी-चौड़ी नदी थी। पानी देख उसकी जान में जान आई क्योंकि उसे प्यास लगी थी। पर उसने पानी नहीं पिया, न ही अपनी प्यास बुझाई। बस, यों ही किनारे पर कड़ा पानी को ताकता रहा। थोडी देर बाद एक नाबिक नाव खेता
पास से गुजरा। उसने अजनबी को यों खड़े देख पूछा-"क्यों, भाई पार उतरना चाहते हो क्या ?" उस नौजवान ने सिर हिलाते हुए कहा-"ना, मुझे तो बस इसी किनारे से कुछ दूर बसे गाँव तक ही जाना है।"
नाविक ने आगे पूछा-"फिर यों किनारे पर क्यों खड़े हो ?" 94 नौजवान ने उत्तर दिया-"प्यास लगी है इसलिए।"नाविक सुनकर चकराया-"प्यासे हो तो पानी की क्या कमी है ? सामने लम्बीचौड़ी नदी है। पानी ठंडा भी है, मीठा भी। पीते क्यों नहीं, यो टाप क्यों रहे हो?"नौजवान को बचपन में सिखाया गया था कि लोटा भर पानी दिया जाएगा तो बकार नहीं करना चाहिए। सारा पी जाना चाहिए। उसने अपने मन की शंका नाविक से कह दी-"भाई नदी में इतना सारा पानी है। कैसे पिऊँ सारा ?"नाविक ने सिरफिरे नौजवान को हंसते हुए छेड़ा-हमारे देश में नदी का पूरा पानी नहीं पी जाने पर राजा सजा नहीं देता।भोले नौजवान को उसकी बात समझ में न आई और वह भौचक्का सा वहीं खड़ा रह गया।