सबक-दादी माँ की कहानी

Apr 07,2021 05:56 AM posted by Admin

एक नगर के बाहर एक घाटी के निर्जन स्थान पर एक बूढ़ा अपने चार लड़कों के साथ रहता था । उसका काम राहगीरों को लूटना और ठगना था। इसी काम से वह अपने परिवार का भरण-पोषण करता था। एक समय की बात है कि एक व्यक्ति अपना एक बैल लेकर उसी मार्ग से गुजरा।उसका नाम सोमू था। सोमू बैल को अपने किसी रिश्तेदार को देने जा रहा था क्योंकि उसे तुरंत ही कुछ पैसों की जरूरत थी। उसका विचार था कि रिश्तेदार के पास बैल कुछ रुपया ले आएगा और अपना काम चला लेगा।रास्ते में उस ठग के चारों बेटे किसी शिकार के इंतजार में बैठे थे सोमू जैसे ही उस रस्ते से गुजरा तो उन चारों के चेहरे खिल उठे। वे सोम के करीब पहुंचकर एक भाई बोला-"अरे भाई! तुम्हारा बैल बड़ा शानदार है, अगर यह बैल तम मैं तुम्हें मुँह मांगे दाम करने के लिए तैयार हूँ।"सोम बोला-"ठीक है भैया, यदि उचित पैसे मिलेंगे तो मैं इसे बेच दंगा।"देखो, उस झोंपड़ी में शायद कोई बैठा हो, हम उसके पास चलकर बात कर हैं। ठग के बेटे ने कहा-आखिर इस सौदे का कोई गवाह भी तो होना चाहिए।"चलो भाई, मुझे इसमें भला क्या आपत्ति हो सकती है। सीधा-सादा सोम इस बात पर राजी हो गया।" । अब वह चारों भाई सोमू को लेकर झोंपड़ी में अपने पिता के पास ले आए, वे ऐसा जाहिर कर रहे थे जैसे आपस मेंवे एक-दूसरे को जानते ही न हों। लड़कों ने अपने पिता को बताया-"बाबा! हम इस भाई से यह बैल खरीदना चाहते हैं, क्योंकि हम खरीदने वाले हैं और यह बेचने वाला। हमारे बीच कोई मध्यस्थ नहीं है। अतः हम चाहते हैं कि आप हमारे मध्यस्थ बनो।"

पूरी बात सुनकर बूढ़ा सोचने का नाटक करने लगा, फिर बोला-"भैया, तुम लोग मेरे पास आए हो तो स्वागत है, मगर यह तो बताओ कि पंच बनकर मैं जो फैसला करूँगा, क्या वह तुम सभी को मान्य होगा ?बूढ़े का लड़का बोला-"हाँ-हाँ-हम क्यों नहीं मानेंगे, आप बुजुर्ग आदमी है। आप जो बात कहेंगे, हमारे भले की ही कहेंगे, क्यों भाई ?" उसने सोमू से पूछा। "हाँ, हाँ क्यों नहीं।" सोमू ने भी यह सोचकर सहमति दे दी कि तीसरा जो भी निर्णय करेगा, निष्पक्ष होकर रहेगा। जब सब पंच का फैसला मानने के लिए तैयार हो गए। तब बूढ़े ने कहा-"अब बताओ, क्या बात है ?"बात यह है कि हम इस भाई से यह बैल खरीदना चाहते है। अब आप हमें यह बताएं कि बैल का उचित मूल्य क्या दें ?"बूढ़े ने बैल को देखा फिर कुछ देर परखने का नाटक करता रहा, फिर बोला"भाई यह ल तो दस रुपये से ज्यादा का नहीं है।"क्या ?" यह सुनते ही सोम हैरानी से बूढे को देखने लगा फिर बोला-"सिर्फ दस रुपये।

"लेकिन उसकी ओर किसी ने भी ध्यान नहीं किया। ठग के बेटे ने तुरंत जेब से दस रुपये निकालकर उसके हाथ में पकड़ा दिये और बोला-"लो भाई! हमें पच परमेश्वर का फैसला मंजूर है। सोमू ठगा सा खड़ा रह गया क्योंकि उसने पंच के फैसले के लिए अपनी स्वाकृतदे दी थी। अतः अबर तो चुप रहने में ही उस अतः अब यदि वह कुछ कहता तो बात लडाई-झगडे तक पता उसकी भलाई थी। यही सोचकर उसने खून का सा छूट पिया और कम रुपये लेकर चल दिया। रास्ते में वह तरह-तरह की बाते गया था कि वह उन लोग योजना बनाकर उसे ठगा है। अब रह-तरह की बातें सोचता हुआ जा रहा था। वह इतना तो समझ ही . उन लोगों द्वारा ठगा गया है। वे आपस में एक ही है और उन्होंने से ठगा है। अब सोचता जा रहा था कि ठगी का बदला कैसे ले ? सोच विचार में वह घर पहुँच गया। सारी रात वह उन ठगों से बदला लेने की योजनाएं बनाता रहा, तब कहीं जाकर उसके दिमाग में एक योजना आई। और फिर उसने अपनी योजना के अनुसार दूसरे दिन उसने स्त्री का रूप धारण और उसी रास्ते पर चल पड़ा जिधर से वह कल गुजरा था। कुछ ही देर बाद वह स्थान पर पहँचा तो आज भी बड़ा भाई उसके पास आया और बोला-"मौसी! तम कौन हो और कहाँ जा रही हो?"बेटा! मैं बहत दुखी औरत हूँ, मेरे घर वालों ने मुझे मार-पीटकर घर से निकाल दिया है. और अब मैं मायके जा रही हूँ। पता नहीं वहाँ भी मुझे आसरा मिलेगा या चारों भाइयों ने एक-दूसरे की ओर देखा, फिर आपस में विचार विमर्श करने लगे कि हमारे यहाँ कोई स्त्री भी नहीं है अतः हम इस औरत को अपने घर में रख लें तो यह हमारे लिए काना भी पका दिया करेगी और इस प्रकार हमें पका-पकाया खाना मिल जाया करेगा और हमारे पिता को भी सुख-आराम मिल जाएगा।चारों भाई इस बात पर सहमत हो गए। बड़ा भाई सोमू बनी स्त्री से बोला"मौसी! आज की दुनिया में कोई किसी को सहारा नहीं देता।

यदि आप उचित समझो तो हमारे साथ रहो। यहाँ आपको किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं होगी।" मौसी बना सोमू राजी हो गया। लड़के उसे लेकर खुशी-खुशी अपनी झोंपड़ी में गए और वहाँ आकर उन्होंने अपने पिता को सारी बात बताई तो वह भी बहुत खुश हो गया।  एक दिन उस ठग के लड़ इस प्रकार सोमू स्त्री वेश में उनके साथ रहने लगा। बातों हीबातों में उसने यह भी जान लिया कि यह लोग कौन हैं और इनका धंधा क्या है ? पन उस ठग के लडके शिकार की तालाश में गए थे। तब सोमू ने बूढ़े सेगा, तुम्हारे शरीर से बडी बदब आ रही है. पता नहीं कबसे नहीं नहाये आज मैं अपने हाथों से मसलकर तुम्हें गर्म फानी से नहलाऊ बुध उसकी बात सुनकर खुश हुआ। वह सोचने लगा कि ऐसी सेवाभावी स्त्री तो नसीब वालों को ही मिलती है। इससे कुछ भी छिपाना ठीक नहीं। अतः उन जेवर गहने और नकदी आदि जहाँ-जहाँ भी रखे थे, वह स्थान उसे दिखा निसब कुछ देखकर समझदार सोमू ने कहा-"यह सब तो हुआ, आओ अबसर नहला दूं।"खुशी-खुशी बूढ़ा बाहर आ गया। सोमू बोला-"तुम कपड़े उतारकर चारपाई पर लेट जाओ। मैं तुम्हें रस्सी से बांध दूंगी ताकि शरीर रगड़ते वक्त हिले नहीं।"बूढ़ा तो उसके प्यार में अंधा हो चुका था। वह कपड़े उतारकर तुरंत चारपाई पर लेट गया। तब सोमू ने एक रस्सी से उसे बांध दिया। बूढ़ा उसकी चालाकी बिल्कुल भी न समझ पा रहा था क्योंकि वह उससे प्यार करने लगा था। - उधर सोमू ने गर्म-गर्म पानी का बर्तन उठाकर उस पर उड़ेल दिया। बूढ़ा बूरी तरह चीख उठा। उसकी चीखें सुनने वाला वहाँ कोई नहीं था।सोमू पानी के पतीले उस पर डालता रहा और बूढ़ा चीखता रहा। उसके जिस्म पर छाले पड़ गये। जब पीड़ा बर्दाशत से बाहर हो गई तो वह बेहोश हो गया। __तब मौका पाकर सोमू-झोंपड़ी का सारा माल लेकर वहाँ से भाग या। शाम को जब उसके चारों लड़के घर आए तो बूढ़ा बेहोश अवस्था में चारपाई से बंधा था और उसकी चमड़ी जगह-जगह से जलकरु सकुड़ गई थी। घर के जेवरनकदी सब गायब था औ दूर-दूर तक मौसी का पता नहीं था।

जैसे-तैसे वह अपने पिता को होश में लाए और सारी बात पूछी। तब रोते-रोते बूढ़े ने उन्हें सारी बातबता दी। जब लड़कों ने बताया कि घर का सारा माल गायब है तो बूढ़ा बुरी तरह विलाप करने लगा। लेकिन अब क्या हो सकता था ? इसे कहते हैं सेर को सवा सेर मिलना। इतने पर भी सोमू खामोश न बैठा था। उसने अपने मन में निर्णय कर लिया था कि चाहे कुछ भी हो, लोगों को इन ठगों से छुटकारा अवश्य दिलाकर ही रहेगा। अत: दूसरे दिन उसने मसालों के व्यापारी का वेष बनाया और उसी मार्ग पर चल पड़ा जहाँ वह चारों भाई बैठे रहते थे। आज भी वह चारों भी अपने नियत स्थान पर बैठे थे। सोम ने उनसे एक मित्र की तरह बातचीत की और बातों ही बातों में लड़का ने उसे बताया कि किस प्रकार उन्होंने एक मजबूर औरत को सहारा दिया था और किस प्रकार वह बाप को घायल करके सारा माल-नकदी लेकर गायब हो गई। मांगे । सोमू ने उन्हें बताया कि वह वह वैद्य विद्या जानता है। तब चारों लड़कों ने उसस अपने बाप का इलाज करने का आग्रह किया। सोमू राजी हो गया।