रोशनदान का जन्म-दादी माँ की कहानी
Apr 09,2021 01:34 AM posted by Admin
बहुत समय पहले की बात, एक राजा था। एक दिन उसने मंत्री से कहा कि राज्य सभा की बैठक के लिए एक बड़ा भवन बनवाया जाए। राजा के हुक्म होते ही कुछ ही दिनों में भवन का निर्माण हो गया। अब भवन का उदघाटन होना था।उद्घाटन का दिन आया, चारों ओर धूमधाम थी।मंत्री सेनापति, कोतवाल, दरबारी सबके साथ राजा राजभवन में दाखिल हुए। लेकिन यह क्या? उसमें जरा सी भी रोशनी नहीं हो रही थी, चारों ओर अंधेरा था।
राजा ने गुस्से से पूछा- किसने यह भवन बनाया है, रोशनी नाम मात्र की भी नहीं है, इसमें सभा कैसे होगी?सब आवक खडे थे। राजा ने मंत्री से कहा-इसमें रोशनी का इंतजाम करो। मंत्री अपने को बहुत बुद्धिमान समझते थे, बोले-"महाराज, आप चिन्ता न में रोशनी अभी आ जाती हैं।'' फिर अन्य लोगों से बोले-ऐसा करो, अंदर से मुट्ठीभर अंधेरा ले चलो और बाहर से एक-एक मुट्टी धूप ले आओ, चारों ओर रोशनी हो जाएगी। लोगों ने अंदर मुट्टी बाँधी और बाहर खोल दी। बाहर से फिर मुट्टी बाँधी और अंदर जाकर खोल दी लेकिन हालत फिर भी वैसी रही।वैसा ही अंधेरा छाया रहा, उस अंधेरे में धूप थी ही नहीं। राजा ने क्रोधित स्वर में पूछा-"मंत्री जी भवन में रोशनी कहाँ हुई ?" मंत्री ने उत्तर दिया-"जी, सारी धूप मुट्टी के छिद्रों से निकल गई।"
राजा ने कहा-जैसे भी हो धूप का इंतजाम करो। मंत्री ने फिर बुद्धि का प्रदर्शन करते हुए कहा-"महाराज छत निकलवा देते हैं।"हुक्म पाते ही राजमिस्त्री आए, मजदूरों ने छत तोड़ डाली। छत के हटते ही चारों ओर रे रोशनी ही रोशनी फैल गई। ।।। सब बहुत प्रसन्न हुए। राज्य सभा बैठी।अचानक आकाश में बादल आ गए। देखते ही देखते बारिश शुरु हो गई और वहाँ बैठे लोग भीगने लगे।राजा ने कहा-"मंत्री जी! छत निकालने का कोई फायदा नहीं हुआ।" बेचारा मंत्री सोच में पड गया. तभी एक दरबारी ने कहा-"एक काम हो सकता है, महाराज, छत को इफाजत से रख दें। जब बारिश हो तो उसे ढक दें, बाद में उतार कर रख लें।"मंत्री ने सोचा, इस तरह तो मैं राजा की निगाह में छोटा हो जाऊँगा। वह बोला-"महाराज, ऐसा तो मैंने भी सोचा था, लेकिन अगर दिन में बारिश हो तो अंधेरे में काम कैसे होगा?"फिर क्या करें ? दरबारी बोला, उस दिन छुट्टी हो जाएगी।"राजा मान गए। एक बार ऐसा हआ कि जब सभा हो रही थी. उस समय बाहर बादल आ '९, कड़-कड बिजली चमकने लगी. पानी बरसने लगा, राजा देख रहे थे। अचानक उन्हें दीवार की एक दरार से बिजली की चमक दिखाई पड़ी, उस स बाहर का दश्य बहुत सुन्दर लगा।
राजा को एक उपाय सूझा, उसने मंत्री को बुलाया और कहा-"मझे उपाय मिल गया है।"क्या महाराज ?" सबने उत्सुकता से पूछा।राजा ने कहा-“दीवारों में से कहीं-कहीं से इंटे निकलवा कर सराव दो, रोशनी तो आएगी ही साथ ही हवा भी।" । जा राजा के कहने के अनुसार वैसा ही किया गया। उनकी मुश्किल आसान हो गई। इस तरह से खिड़की और रोशनदान का जन्म हुआ। लोग आज भी घरों की दीवारों में हवा और रोशनी के लिए खिड़की और रोशनदान का जन्म हुआ। लोग आज भी घरों की दीवारों में हवा और रोशनी के लिए खिड़की और रोशनदान बनवाते हैं।