नाग देव-दादी माँ की कहानी
Apr 09,2021 03:01 AM posted by Admin
चन्द्रनगर में एक लड़का था, वह अभी बहुत छोटा था। तभी उसके बाप उसे छोड़ गए क्योंकि उसके माँ-बाप बहुत गरीब थे। वह लड़का बिंध्या मंदिर के पंडित के साथ काम करता था। उस लड़के का नाम वरुन था।रोज सुबह और शाम में वह जंगल से लकड़ी काट कर लाता था। शाम में वह जब कड़ी काट कर ला रहा था। तभी एक आदमी उसे अपने हाथ ले जाने लगा। वह लड़का चिल्लाता रहा। तभी एक साँप ने देखा तो उसे दया आ गई. वह उस आदमी के पैर में डस लिया और वह मर गया। तभी वह साँप इंसान के रूप में आ जाता है। वह बोला-रुको बच्चे, वह बच्चा रुक गया। उस लडके ने पीछे देखा, तो उस इच्छाधारी साँप ने कहा-तुम अब उस मंदिर मत जाओ। उस लड़के ने पूछा-क्यों ? नागदेव ने कहा-उस मंदिर का पुजारी तुम्हें इसके हाथ से बेच दिया था. अगर तुम वहाँ जाओगे तो वह तुम्हें नहीं छोड़ेगा। मैं तुम्हें यहीं कुटिया बना देता हूँ। तुम यहीं रहोगे और तुम्हें रोज भोजन आ जाया करेगा। तुम्हारा कोई बाल भी बांका नहीं करेगा।
लड़का बोला-ठीक है नागदेव, आज से मैं यहीं रहूँगा परन्तु नागदेव बोले-परन्तु क्या ?वह लड़का बोला-परन्तु कुटिया बनाने में तो समय लगेगा। नागदेव बोले-इसकी चिन्ता मत करो। तुम सिर्फ यहीं रहो और भगवान का भजन करो। तुरंत ही नागदेव कुटिया बना दिये और वह लड़का वरुण वहीं रहनेलगा। कुछ दिन बाद नागदेव उस बच्चे की परीक्षा लेने आए। वे नागदेव भूत का रूप लेकर उस बच्चे को डराने आए। वे उस लड़के को बहुत जांचे परन्तु वह लड़का वरुण सफल रहा। तभी नागदेव ने उस बच्चे को
बहुत प्यार किया और बोले-तुम ऐसे ही कभी भी अडिग रहना। अब वह लड़का जवान हो गया, एक दिन वह कहीं घूमने जा रहा था तो उसने देखा कि दो मनुष्य बहुत ही करुण भरी नज़र से रो रहे हैं। जब उस लडके ने पछा-कि आप क्या रा रहे हो। तो उस बूढ़े ने बोला-क्या कहूँ बेटा ? मेरा भी एक बेटा था। हम लोग गरीबी की हालत में उसे छोड़ दिए। वरुण ने पूछा-कहाँ ?तभी बढी बोल पड़ी-विन्ध्या मंदिर के पंडित को पालने दे दिया।तो वरुण उस बूढ़े और बूढ़ी के चरणों में गिर पड़ा और बोला-म हार लडका हूँ और अपने माता-पिता को आदर के साथ घर लाया।