किसान और तीन ठग-दादी माँ की कहानी
Apr 09,2021 02:40 AM posted by Admin
एक बार बहुत कड़ा सूखा पड़ गया। चारों ओर हाहाकार मच गया। जानवर तो जानवर इंसानों को खाने के लाले पड़ गए। किसानों ने अपने जानवरों से छुटकारा पाने के लिए इन्हें कम दामों में
बेचना आरम्भ कर दिया। रामू किसान ने भी अपनी गाय बेचने का इरादा कर लिया। रामू ने खूटे से गाय की रस्सी खोली. और उसे दुलारता बाजार की और चल दिया। बाजार में अच्छे-बुरे, चोर-ठग सभी आते हैं।रामू के पीछे भी ठग लग गए। एक ठग रामू के पास पहुँचकर बोला - "क्यों भाई, गाय बिकाऊ है ? है तो बूढ़ी परन्तु एक बछड़े को जन्म दे ही देगी।"
रामू ने कहा - "तुमने मेरी गाय को बूढी क्यों कहा ये तो जवान है एक नहीं दस बछड़े जनेगी। मैं तो इसे सौ रूपये में बेचूंगा, सूखे के दिन है वरना इसे पाँच सौ में बेचता। "ठग हँसकर बोला - मैं तो दस रुपये लगाता हूँ। बोल राजी हो तो सौदा पक्का। बूढ़ी गाय के दस रुपये बहुत हैं।'' किसान को क्रोध तो बहुत आया परन्तु चुप रहा और आगे चल दिया। थोड़ी ही दूर चला होगा कि दूसरा ठग मिल गया। देखते ही बोला। "बूढी को बूढ़ी ही कहा जायेगा। नई रस्सी से बाँधन पर बूढ़ी गाय जवान थोड़ी ही हो जायेगी।"कछ भी हो मैं सौ रूपये लँगा, ... लेना हो तो लो वरना अपना रखा नापो।" किसान ने कहा।"पाँच रूपये दूंगा देना हो दो, नहीं तो इसकी रस्सी हाथ में लिए घूमते रहे। इसके पाँच रूपये से अधिक कोई नहीं देगा," ठग ने कहा।
वह अभी थोड़ी ही दूर गया होगा कि तीसरा ठग आया ओर बोला - "क्यों बिकाउ है ? बोलो कितने रुपये में दोगे?' रामू ने चिढकर कहा म तम्हें बढी मालूम पड़ती है। आँखें साफ करके देखो फिर बात बोला"गाय बूढी है इसके तीन रुपये दूंगा। बोला राजी हो?" किसान ने की तरफ देखा, उसे सहलाया और कहा, "मैं तो सौ रूपये लँगा। थोडी ही पर एक कुआं था। कुएं के पास एक घना पेड़ था। किसान वहां पहुंचा। गाय पानी पिलाया,स्वयं पानी पीकर गाय को पेड़ से बाँध दिया और पेड़ के नीचे लेटकर आराम करने लगा। उसी समय वह तीनों ठग वहां आ गये और फिर गाय की बात करने लगे। ठगों ने कहा - "चलो, किसी को पंच बना लें जो मत पंच लगाए उसी कीमत पर हमें अपनी बूढी गाय बेच देना।" रामू को पंच के निर्णय पर भरोसा था उसने कहा कि ठीक है, पंच से फैसला करा लो। वह तैयार हो गया। झट से उठकर पल्थी मारकर बैठ गया। उनकी बातें सुनी फिर गाय को गौर से देखा दुम से सींग तक टटोला फिर बोला - "भाई यह गाय बूढ़ी है दूध देगी नहीं सखे के दिन हैं इस गाय के ढाई रूपये से ज्यादा कीमत नहीं होगी।"किसान बूढ़े कीबात सुनकर हक्का-बक्का रह गया। वह ठगों को जबान दे चुका था, इसलिए हार गया।
गाय को ढाई रुपये में बेच दिया। लेकिन अब उसे मालूम पड रहा था कि ठग लिया गया है। उसने दिल ही दिल में सौगंध खायी अपनी गाय की मुँह मांगी कीमत की तीन गुनी रकम न ली तो रामू मेरा नाम नहीं। रामू अपने गाँव की तरफ चल पड़ा। परन्तु थोड़ी ही दूर तक जाकर एक पेड़ के पीछे छुप गया उसने उन ठगों का पीछा किया तो पता लगा कि वह बूढ़ा और तीनों ठग एक ही परिवार के थे। राम ने उनका घर देख लिया और वापस घर आ गया। अगले दिन रामू ने एक स्त्री का वेश बदला और घूघट निकालकर बूढ़े ठग के पवाज पर जा पहँचा। उसने रो-रोकर अपनी विपता बताई तो बूढ़ा ठग बोला मर किसी बेटे से विवाह कर लो। तीनों जवान ठगों का विवाह नहीं हआ है। विवाह के लिए तैयार हो गया। तब किसान ने कहा मैं तो तीनों में से उससे करूगी जो सबसे अधिक दौडता हो। जहां से पाँच कोस दर एक तलाब सबसे पहले उसमें से एक बालटी पानी लेकर सबसे पहले लौटेगा मैं उसी विवाह करूँगी जो सबसे आध है जो सबसे पहले उसमें से एक से शादी करूँगी। ठग बाल्टियां उठाकर तालाब की और दोड पडे। उधर स्त्री बने किसान कपड़े उतारे और बढे को "ललकारा झूठे बेइमान पंच मेरे साथ धोखा गाय ढाई रूपये की थी?"बढा ठग डर गया। किसान ने जम कर उसकी पिटाई की, बूढ़े ने जान छुड़ाने के लिए सौ रुपये रामू के हवाले रुपये लेकर चलता बना। उधर लड़के पानी की बाल्टियाँ लेकर बूढे ठग ने कहानी सुनाई।
दूसरे दिन किसान ने वैद्य का रूप धा दरवाजे से जोर-जोर से चिलाता हुआ निकला। "दवा ले लो चोटका ले लो, इलाज करवा लो।" बूढ़े ठग ने आवाज सुनी और उसे अंदर का वैद्य ने ठीक उसी स्थान पर हाथ रखा जहाँ कल मारा था। बूढे ने समय बहुत अच्छा है। चोट का ठीक पता लगा लिया। मुझे जल्दी ठीक कर देगा। ने इलाज के नाम पर सौ रुपये बूढ़े से झटक लिए। रामू किसान को अभी परी से संतोष नहीं हुआ था। उसने अंतिम बार इरादा किया कि अभी सौ रुपये लेने है। तीसरे दिन उसने गांव के कुछ नोजवानों को इक्ट्ठा किया और पछा "ता में से कोन सबसे अधिक दौड़ता है।" एक नौजवान आगे आया तो किसान ने उससे कहा "मैं तुमे पाँच रुपये दूँगा। एक काम करो। फला आदमी के घर के सामने जाना और यह कह कर दोड़ जाना कि बूढ़े ठग क्या मेरी गाय ढाई रुपये की थी।" बूढ़े ठग का घर भी उसने दिखा दिया। नौजवान ने ठग के मकान के सामने पहुँचकर जैसे ही कहा बूढ़े ठग क्या मेरी गाय ढाई रुपये की थी।
ठग के लड़के उसे पकड़ने उसके पीछे चले गए। भला व कहां उसके हाथ आने वाला था। इधर किसान बूढ़े ठग के सामने गर्जा "क्या मेरी गाय ढाई रुपये की थी?" बूढ़ा घबराकर हाथ जोड़कर बोलने लगा। "बाबा मेरा पीछा छोड़ो मैं अब किसी से ठगी नहीं करूँगा। ये लो सौ रुपये और मुझे क्षमा कर दो।"रामू किसान प्रसन्न होकर अपने घर लोट आया और अपनी सौगंध पूरी कर ली। जो कीमत अपनी गाय की लगी थी उसकी तीन गुणी रकम वसूल कर ली। ठग के लड़के उस लड़के को पकड़ न सके। जब वह घर लोटे तो बूढ़े ठग ने फिर कहानी सुनाई। बूढ़े के साथ लड़कों ने भी तय कर लिया कि अब ठगी का काम नहीं करेंगे और ईमानदारी से कमाएंगे।