जादू की लाकेट-दादी माँ की कहानी

Apr 09,2021 01:06 AM posted by Admin

एक स्कूल में चार दोस्त थे। चारों का नाम इस प्रकार है : राम, श्याम, करीम, रहीम। चारों में घनी मित्रता थी। सबसे दया दिलवाला राम था। वह हमेशा अपनी दोस्त को अच्छी सलाह देता था। एक बार की बात है. चारों दोस्त और उनके साथी लोग, एक जंगल में गए, जहाँ बहुत बड़ा मैदान था। उसमें खेलना प्रारम्भ कर दिया खेलते-खेलते सभी दोस्त थक गए थे। मैदान से थोड़ी दूर पर तालाब था आराम करने के लिए यात्री ठहर जाया करते है । सभी दोस्तों ने वही जाने का मन बनाया। सभी दोस्त तालाब में मुँह-हाथ धोये और पेड की " आराम करने लगे। धीरे-धीरे सूरज भी अस्त होने लगा। सभी दोस्ती घर चल दिए। श्याम, करीम और रहीम का घर पास में था। सभी दोन करते हुए अपने राह पर चल रहे थे। अचानक राम की नजर एक पेड की पर गई, उस डाल पर एक चमकती हुई माला लटक रही थी। राम राम पर चढके उसे उतार ली और अपने गले में पहन लिया। जब घर आया उसकी माँ ने राम से पूछा-राम, ये हार तुम्हें किसने दिया। राम ने सारी कहानी माँ को बता दी।माँ बोली-ठीक है। रात बहुत हो चली है तुम अब सो जाओ।राम अपने कमरे में जाकर सो गया।

उसने आधी रात में एक स्वप्न देखा। राम तो वैसे दिल का साफ आदमी था और वह किसी का बुरा भी न चाहता था। राम ने स्वप्न में देखा कि कोई उसे कह रहा था। राम ये हार 'जाद की लॉकेट' है। तुम्हें कल्ली नाम के राक्षस का कत्ल करना होगा। उसे तुम ही मार सकते हो और तुम जो कहोगे वही होगा। अचानक राम की नींद खुल गई। अब राम को नींद ही नहीं आती थी। राम ने सोचा क्यों न हम उस कल्ली का अता-पता कर लेने चाहिए। उससे जल्दबाजी में लडना ठीक नहीं समझा।राम ने कहा-ऐ लॉकेट, मुझे कल्ली नाम के राक्षस के घर ले चलो। तुरंत ही वह राक्षस के घर पहुँच गया। राम ने देखा कि कहीं भी कोई नहीं, वहां अंधकार ही अंधकार है। राम ने सोचा क्यों न हम नीचे बैठ जाएं, तभी राम के पीछे से कोई वार किया। भाग्य था कि राम नीचे बैठ गए नहीं तो वे आज सीधे ऊपर चले जाते। राम पलभर में सब कुछ समझ गए तथा वे बाल लॉकेट, मुझे गायब कर दो कि राम गायब हो गया। अब वह राक्षस राम नहीं देख पाता है लेकिन राम उस राक्षस को देखते ही डर गया। उस रामान का पूरा शरीर काला, चेहरा बिल्कुल भद्दा, तीन आँख, दो नाक, चार हाथ दाढ़ी बड़ा बड़ा, सिर के बाल भी बहुत बड़े थे।

राम तो वहीं पर चक्कर खाक गिर षद्म। जब राम को होश आया तो वह अन्दर आ के सब कुछ पता कर दिया राम घर आया तो देखा कि घर पे सब चिंतित है। राम ने कहा-माँ, मैं गया। परन्तु उसकी आवाज कोई भी न सुनी। क्योंकि बच्चों जब राम दोश हो गया था तब भी वह गायब था। जब वह होश में आया, तब उसे नहीं मालूम की वह गायब है। अब आगे क्या होता है, जरा गौर से पढिए।राम की आवाज जब कोई नहीं सुन रहा था, तब वह बेचैन हो उठा। एकाएक उसे ख्याल आया, क्यों न हम लॉकेट से पूछ लेते हैं। राम ने लॉकेट से कहा-ऐ लॉकेट मेरे आवाज को ये सब क्यों नहीं सुन लॉकेट से आवाज आई-क्योंकि तुम अदृश्य हो। फिर जाकर राम के अक्ल में सुधार हुआ तथा वह बोला-मुझे वास्तविक रूप में ला दो।तुरन्त ही राम वास्तविक रूप में आ जाता है। राम को देखते ही उसकी माँ दौड़ी-दौड़ी आई और बोली-बेटा तुम कहाँ चले गए थे। देख तो मैं कितनी बेचैन हो उठी थी। राम ने बहाना बनाते हुए कहा-दरअसल, माँ मैं बगीचा गया था, वहीं पे मुझे नींद आने लगी और मैं सो गया, जब मेरी नींद खुली तो सुबह हो चुकी थी। राम नहा-धोकर स्कूल चला गया और जब वह स्कूल से आया तो पता चला कि सारे गाँव वाले को कल्ली ने पकड़ लिया। तो राम को बहुत दुःख हुआ। राम ने कहा-ऐ लॉकेट, मुझे अदृश्य कर दो और वहीं पे ले चल। राम तुरन्त अदृश्य हो गया और कल्ली के घर चला गया।

उसने देखा कि सभी राक्षस मौज-मस्ती कर रहे हैं तथा मदिरा पी रहे हैं। राम ने कहा-तलवार आ जाओ, की राम के हाथ में तलवार आ गया तथा साहस के साथ सबका मारते-मारते 'कल्ली' के पास गया। बिना देखें-सुने उसे भी मार दिया। जब कल्ली मरने लगा तो राम ने पछा-कहाँ है मेरे गाँव के लोग। तो कल्ली हिचकते हुए कहा-देवी राज पर्वत और मर गया। राम ने कहा-ऐ लॉकेट, मुझे देवी राज पर्वत पर ले चल । राम तुरंत वहाँ पहुँच गया तथा देखा वहाँ का सिंहासन पड़ बैठे हैं। राम उसे भी मार देता हैं, उसके मरते ही उसे गांव वाले मिल जाते हैं तथा राम वास्तविक रूप में आ जाते हैं और । सब राम की वाह-वाह करते हैं। बहुत दिन बीत गए, अब राम बिलकुल जवान हो गया था। तो वह कमाने के लिए शहर गया। जब वह कमाकर घर आया तो उसके कुछ दिन बाद पत्र आया। उसमें लिखा था। मैं चंद्रनगर का राजा हूँ। मैं अपने बेटे अजय की शादी तुम्हारी बहन से करवाना चाहता हूँ। हम लोग कल आएंगे। दूसरे दिन चद्र नगर के राजा सहित वह राजकमार आया तथा वह राम क परणाम गिर पड़ा। और बोला-अगर आप आज नहीं होते तो मैं आज कल्ली नाम का राक्षस होता। राम बोला-तुम ये क्या कह रहे हो?राजकुमार बोला-मैं एक दिन शिकार खेलने जंगल गया। तो मैं एक शेर को मार गिराया कि तभी एक ऋषि दौडते हए आया और मुझ श्रापमा तुम कल्ला नाम के राक्षस रहोगे। मैंने उनसे बहत प्रार्थना कि तो वे बोले-ये श्राप अब वापस नहीं आ सकता है। मैं तुम्हें ये भी कह देता हूँ कि जब तुम्हें राम नाम का लड़का मारेगा तो तुम फिर राजकुमार हो जाओगे। राम ने अपने पिता और माता से पूछा कि ये शादी मंजूर है तो पिता और माता बोले-बेटा, ये राजकुमार तो बहुत अच्छा है। इसके व्यवहार से हम बहुत खुश है। मुझे यह शादी बिल्कुल मंजूर है तथा शादी धूम-धाम से सम्पन्न हो जाती है।