जादू की छड़ी-दादी माँ की कहानी
Apr 09,2021 01:27 AM posted by Admin
एक लड़का था वह बहुत गरीब था। वह बुद्धिमान और तेजस्वी था। गरीब होने के कारण वह पढ़ नहीं पा रहा था। उसका नाम चतुरानन्द था। एक बार की बात है, वह अपने दोस्तों के गाय चराने गया। वह गाय को एक ओर चरने के लिए छोड़ दिया और अपने दोस्तों के साथ कबड्डी खेलने लगा। अब चतुरानन्द को प्यास लग गई, वह पानी पीने एक ओर चल दिया जिधर नदी थी। नदी कुछ ही दूर पे थी। वह नदी किनारे गया तो उसने पानी पिया और ज्योंही नजर घुमाया कि उसकी नजर एक छड़ी पर पड़ी। वह जाकर छड़ी को उठा लिया, क्योंकि छड़ी बहुत सुन्दर थी। वैसे तो चतुरानन्द साधा-सादा था। जब वह घर आया, तो छड़ी अचानक बोली-मैं जादू की ड़ा हूँ। तुम मुझसे जो बोलोगे वही होगा। चतुरानन्द को बड़ा आश्चर्य लगा। चतुरानन्द ने कहा : ऐ जादू की छड़ी, तुम्हारा जन्म कब हआ बोली-करीब 60 वर्ष पूर्व मुझे एक धनी व्यापारी ने खरीदा था। एक दिन की बात है, वह धनी व्यापारी मुझे एक झाड़ी में छपा दिया उसने सोचा जब लोटूंगा तब लेके घर चला जाऊँगा। उस समय यह देश गुलाम था। व्यापारी जंगल से लेकर गुजर रहा था। एक दुष्ट अंग्रेज ने उसे मार डाला और मैं उसी झाड़ी में दुबकी रही और आज तुम मुझे लाये हो।
चतुरानन्द को यह सुनकर बड़ा आश्चर्य लगा। एक दिन छड़ी और चतुरानन्द एक घना जंगल में प्रविष्ट किया।छड़ी ने कहा-ये जंगल नहीं है यह माया जाल है। तुम्हें यहाँ के राक्षस को नष्ट करना है।काप चतुरानन्द-मगर वह राक्षस तो बहुत बलवानं होगा और मैं साधारण लड़का उस राक्षस का नाश कैसे करेंगे? छड़ी ने कहा-तुम डरो मत, उस राक्षस को मारने का एक सरल तरीका है। छड़ी बोली-उसके पास एक मणि है जिससे तुम उसका नाश करोगे। अगर वह राक्षस समझ गया तुम्हारे पास मणि है तो वह तुम्हें छोड़ेगा नहीं। तुम उस मणि को अपने मुँह में दबा लेना और नौटंकी करके उसके शरीर से मणि को स्पर्श व चतुरानन्द बोला-मैं समझ गया। मुझे यह बताओ कि मणि कैसे मिलेगी। छड़ी बोली-इसकी चिन्ता मत करो, मैं तुम्हें मणि के पास पहुँचा दूंगी। फिर चतुरानन्द ने चलना प्रारम्भ किया कि तभी आँधी आई। आँधी इतनी तेज थी कि चतुरानन्द कहीं चला गया। चतुरानन्द देखा कि पूरा प्रकाश ही प्रकाश और आँधी भी कहाँ गई इसका भी पता न चला।
चतुरानन्द तुरंत समझ गया कि यह प्रकाश मणि से आ रही है। वह फुर्ती से मणि को मुँह में अच्छी तरह से दबा लिया और चल दिया राक्षस को मारने। कुछ ही देर में वह राक्षस के पास पहुँच गया और गूंगा का नाटक करते हुए उसके पैर पर गिर पड़ा और मुँह में दबी मणि को पैर में स्पर्श करा दिए। उसके मरते ही पूरा जंगल सोने का भवन हो गया था। जब उसे छड़ी की याद आई। तो वह मणि से कहाऐ मणि जादू की छड़ी के पास ले चलो। कुछ देर में वह एक खूबसूरत लड़का के पास जाता है और वह लड़की 'जादू की छड़ी' थी। उसे श्राप था कि तुम्हें एक लड़के के साथ प्रेम करना होगा और उसी के साथ तेरी शादी होगी। वह लड़का उस राक्षस को मारेगा तब तुम फिर लड़की हो जाओगी।