हरियल और परियल-दादी माँ की कहानी
May 17,2021 10:56 AM posted by Admin
किसी जंगल में बरगद का एक घना पेड़ था। रंग-बिरंग के पक्षी उलस पर घोंसले बनाकर रहते थे। उन्हीं दो कौआ भी था। एक का नाम था हरियल और दूसरे का नाम परियल। दोनों सगे भाई थे। सारे दिन मौज-मस्ती करते। उन्हें आज्ञा दी बहुत अच्छी लगती थी। - एक दिन बहेलिया आया और बरगद पेड़ पर अपना जाल बिछा दिया। जब वे दोनों भाई जाल में फंस गए तो बहेलिया दोनों को बाजार में लेकर पहुँचे। बहेलिये ने दोनों कौए की बोली लगाई। तभी वहां से एक आदमी पहुँचा।
उसे कौए पालने का बहुत शौक था। उसने कौए को खरीद लिया कौए हरियल था। तो बहेलिया ने कहा-ऐ भैया ये कौए भी ले लो आदमी ने कहा-नहीं।बहेलिया बोला-तुम दो रुपया में ही ले लो, क्योंकि दोनों भाई हैं। तो दोनों तड़प-तड़प करमर जाएंगे। उस आदमी को दया आ गई। उसने परियल को भी खरीद लिया। जब सुबह हुई तो दोनों पिंजरे को अपने पास रखा। हरियल तो राम-राम का नाम जपता परन्तु तो गाली बकता था। वह आदमी को गुस्सा आया और अन्दर जाकर छड़ी लाई परियल को मारने के लिए। तभी हरियल ने कहा-मत मारो, मत मारो ये मेरा भाई है। नहीं तो हम भी मर जाएँगे। मैं माफी मांगता हूँ। तो वह आदमी परियल को नहीं माराऔर परियल बहुत शर्मिन्दा हुआ। उसे एहसास हो गया कि मीठी बोली बोलने से सब खुश रहते हैं।