ढोना धुप का-दादी माँ की कहानी
Apr 07,2021 06:43 AM posted by Admin
किसी समय की बात है, एक गांव में एक किसान रहता था। उसके परिवार में उसकी माँ, पत्नी और बच्चा थे। एक दिन जब किसान खेत पर चला गया तो सासबहु बैठकर बतियाने लगीं। अचनक उनके बीच यह युद्ध उठा कि यदि बच्चा मर जाए तो वे कैसे रोएगी ? बस, फिर क्या था, दोनों ने रोना शुरू करदिया। उनके रोने-चीखने की आवाजें सुनकर आस-पड़ोस की महिलाएं भी वहां आ ई और बिना कराण जाने उनकी देखा-देखी रोने लगीं। यह देखकर मोहल्ले की दूसरी स्त्रियां भी आ गई और वह भी रोने लगीं। जब किसान घर आया तो किसी अनिष्ट की कल्पना से कांप उठा। भयभात होकर उसने एक स्त्री से रोने का कारण पूछा।
उस स्त्री ने कहा-"पता नहीं, ये रो रही थी तो हमने सोचा कि कोई अनहोनी हो गई है. इसलिए हम भी रोने लगीं। "फिर किसान ने दूसरी स्त्रियों से पूछा। सबने एक ही उत्तर दिया कि उसे कुछ नहीं मालूम। उसने अपनी एक पड़ोसन से पूछा। उसने भी यही कहा-"तुम्हारी माँ और दी थी, इसलिए साथ निभाने को हम भी रोने लगीं, कारण नहीं मालूम।"तो किसान के गुस्से की सीमा न रही उसने जोर से चीखकर सभी स्त्रियों से हा कि रोना बंद करें, सभी ने रोना बंद कर दिया। अब किसान ने अपनी माँ और पत्नी से पूछा, तब उसकी पत्नी ने बताया कि हम गह देख रही थी कि यदि बच्चा मर जाता तो हम कैसे रोती और उसका क्या असर होता ? बस, हमें रोते देखकर ये सब भी आ गई और रोने लगीं।यह सुनकर किसान को बड़ा गुस्सा आया और बोला-"तुम दोनों मूर्ख हो। मैं आज ही यह घर छोड़कर जा रहा हूँ। उसी दिन लौटूंगा जब तुमसे भी बड़ा कोई मूर्ख मुझे मिलेगा।"ऐसा कहकर किसान घर से चला गया और सास-बहू अवाक सी बैठी रह गई।अन्य स्त्रियां भी अपने-अपने घर चली गईं। वे भी शर्मिन्दा थी कि बिना कारण जाने उन्होंने रोना शुरु किया।
उधर-किसान अपनी राह चला जा रहा था।जब वह एक गांव में एक झोंपड़ी के आगे से गुजरने लगा तो अचानक ठिठक कर रुक गया। उसने देखा कि एक औरत पीतल की टोकनी (एक बर्तन) लिए जौंपड़ी से बाहर आती, टोकन को सूरज की तरफ करती और फिर भीतर चली जाती।जब किसान ने बार-बार उसे ऐसा करते देखा तो उसने इसका कारण पूछा। तब उस महिला ने बताया कि थका-हारा उसका पति खेत से घर आने वाला है और घर में अधरा छाया हुआ है। मैं टोकनी में धूप भर-भरकर अन्दर ले जा रही हूँ ताकि रोशनी हो जाए। मगर अंधकार दूर ही नहीं होता। किसान ने कहा-"मैं पहंचा दूं तुम्हारे घर में धूप।"हा भाई, पहुंचा दो तो तुम्हारी बढ़ी मेहरबानी होगी।" किसान घर में गया और उसने एक बाँस से छप्पर के एक-दो खप्परे हटा दिए । न केवल झोंपड़ी का अंधकार दूर हो गया बल्कि धूप भी आने लगी। यह " उस औरत ने किसान को काफी धन्यवाद किया। न यह सोचकर अपने घर की ओर चल दिया कि उसकी माँ और पत्नी से बड़े मूर्ख इस दुनिया में मौजूद हैं।