चतुर मेमना-दादी माँ की कहानी
Apr 07,2021 07:04 AM posted by Admin
सुबह होते ही बकरी ने जंगल की ओर जाने की तैयारी की जाते समय उसने अपने बच्चे से कहा बीटा किवाड़ बंद कर लो देखो, कहीं किवाड़ खोलकर चले जाना। यदि कोई घर पर आकर तुम्हें बुलाये और कहे कि भेड़ये का हो जाए तो उसे अपना मित्र समझना और उसी से मिलना। यदि कोई यह न कहे तो उसे अपना सत्रु समझना और उससे मिलने-जुलने की कोशिश मत करना। समझगए न। यह कहकर बकरी चल दी और बच्चे ने किवाड़ बन्द कर लिये। बकरी के जाते ही एक भेड़िया वहाँ आ पहुँचा। वह चुपचाप बकरी की सभी बातें मन चका था। वह उसके बच्चे को खाने की तलाश में था। दरवाजे पर पहुँचते ही उसने आवाज लगाई-"क्या कर रहे हो, मित्र ? किवाड़ तो खोलो। हाय-हाय, इन भेड़ियों ने कितना उधम मचा रखा है ? इसका सत्यानाश हो।"भेड़िये की आवाज सुनते ही बकरी के बच्चे के कान खड़े हो गए। उसने मन ही मन सोचा-"यह कैसा मित्र है। न बकरी के समान बोलता है, न ही बकरे के समान।"
फिर वह किवाड़ की दरार से बाहर झांकने लगा। सामने भेड़िया खड़ा था। उस पर नजर पड़ते ही बकरी का बच्चा बुरी तरह डर गया। उसने मन में कहा-"यह तो भेड़िया है। यदि मैं इसकी बोली पर विचार किये बिना किवाड़ खोल देता तो यह अब तक मुझे चीर-फाड़कर खा डालता।" तभी बकरी का बच्चा जोर से बोला-"यह तो बताओ तुम हो कौन ?" भेड़िये ने उत्तर दिया-“अरे, तुम मुझे नहीं जानते। मैं बकरा हूँ, तुम्हारा मित्र। किवाड़ खोलो मित्र। बाहर ये भेडिये ऊधम मचा रहे हैं। सत्यानाश हो इनका।"बकरा के बच्चे ने कहा-"अच्छा. तम बकरे हो। फिर तम्हारी दाढी कहाँ है और यह आवाज भेडिए जैसी क्यों है ?" ता भेड़िया बहत लज्जित हआ और वहाँ से भाग गया। | का बच्चा बोला-"भगवान का शक है, जो मैं भेड़िये की आवाज पहचान " था मुझे बुद्धू बनाने । यदि मैं अक्ल से काम न लेता तो मारा जाता।