यूनान के राजा का एक ही बेटा था जो बहुत बुद्धिमान और चतुर था। राजा अब बूढ़ा हो चला था। राजा अब बूढ़ा हो चला था। वह अक्सर बीमार रहता था उसकी मृत्यु नजदीक ही थी। अत: उसे बेटे की शादी की चिंता सताने लगी। उसने एक दिन राजकुमार को बुलाकर उसे अपनी इच्छा बताई।राजकुमार स्वयं भी विवाह करना चाहता था। अत: उसने अपने पिता से कहा"मैं विवाह करने के लिए तैयार हूँ पिता जी, परन्तु मैं एक ऐसी लडकी से विवाह करूँगा जो मेरी तरह चतुर और बुद्धिमान हो और जो मेरी अर्थपूर्ण बातों को मुझे सहा अर्थ समझा सके।"राजा ने तुरंत घोषणा करवा दी कि जो लड़की राजकुमार की बातों का सहा निकालकर अपने को बुद्धिमान साबित करेगी उसी से राजकुमार का विवाह ।घोषणा सुनकर लड़कियाँ अपना भाग्य आजमाने के लिए राजमहल में आई, परराजकुमार की कहावती बांतों को समझने की बुद्धि किसी में नहीं थी। उनके अटपटे उत्तर सुनकर राजकुमार को हंसी आ रही थी और लड़कियाँ झेंपती हुई मँह लटकाकर वापस कलकडहारा लकड़ियाँ बेचने राजमहल में आया। उसने भी राजकुमार पस चली जाती थी। एक दिन एक लकडहारा लकति के विवाह की शर्त सुनी थी। बरा न माने तो एक बात कहूँ।" विसकता घबराता हुआ राजकुमार के पास पहुँचा और बोला-"हुजूर, आप " राजकुमार ने मुस्कुराते हुए कहा-“लकड़हारे, तुम्हें जो कहना है, बेझिझक कहो, कहना चाहते हो?" हम तुम्हारी बात सुनेंगे। तुम्हें अपनी बात कहने का पूरा अधिकार है। बोलो, क्या "हजूर मेरी लड़की बहुत बुद्धिमति है परन्तु. परन्तु।" लकड़हारे ने हकलाते हुए कहा।
राजकुमार लकड़हारे की बात समझ गया। वह सिंहासन से उठा और लकड़हारे के पास आकर बोला-"इसमें संकोच की कोई बात नहीं है। यदि तुम्हारी लड़की मेरी बातों का सही अर्थ बतला देगी तो मैं उससे भी विवाह कर सकता हूँ। मुझे अमरीगरीब, ऊँच-नीच, जाति-पाति से कोई मतलब नहीं।" मैं तो बुद्धिमान और चतुर लड़की से शादी करना चाहता हूँ। हम नि:संदेह तुम्हारी बेटी को अपनी बुद्धिमता सिद्ध करने का अवसर अवश्य देंगे। राजकुमार की बात सुनकर लकड़हारा बहुत प्रसन्न हुआ। उसकी लड़की सुन्दर तो थी ही साथ ही वह बुद्धिमान और चतुर भी थी। वह भी जब कहावतों में बात करती थी तो सुनकर लोग चकरा जाते थे। लकड़हारे को विश्वास था कि राजकुमार की कहावतों का अर्थ उसकी बेटी समझा सकती है। तभी राजकुमार ने लकडहारे से कहा-"तुम अपने घर का पता बता जाओ। हम अपे दूत द्वारा तुम्हारी लडकी के पास संदेश भेजेंगे। यदि उस संदेश का जवाब तुम्हारी लड़की ने सही दे दिया तो हम उससे विवाह कर लेंगे।" लकड़हारा घर का पता देकर खशी-खुशी अपने घर की ओर चल पड़ा। घर पर उसने अपनी लडकी को सारी बात बताते हुए कहा-"बटा, मकान के लिए राजकुमार के सामने साहस कर विवाह का प्रस्ताव रख दिया है। आग तेरी बुद्धिमानी और चतुराई ही काम आएगी।".. पिता को दिलासा देते हए कहा-"पिता जी, आप किसी प्रकार की मार गराब से विवाह करें या न करें परन्त मैं राजकमार के प्रश्ना तर दूगी कि वह निरुतर हो जाएगा। आपको चमकाने के लिए राजकुमार लड़की ने पिता को दिलासा दतचिन्ता न करें। राजकुमार गरनिरुतर हो जाएगा। आप बेफिक्र रहिए आपकी बेटी आपको शर्मिन्दा नहीं होने देगी |
लकड़हारा अपनी बेटी का बात सुनकर संतुष्ट हो गया। उसे अपनी लड़की की बुद्धिमता पर गर्व था। उधर, राजकुमार ने अपने एक गुलाम को बारह रोटियाँ, एक गोल टुकड़ा और दो चमड़े की मशकों में बढ़िया शराब तथा एक कागज का पुरजा देकर की लकड़ी के पास पहुँचा दो कहा-"यह सारा सामान और हमारा संदेश लकड़हारे की लकडी के लौटते वक्त हमारे नाम उसका पैगाम लाना न भूलना।" गलाम, राजकुमार का संदेश और दिए हुए उपहार लेकर लकडहारे के घर की और चल पड़ा ।
दिन भर का सफर तय करके वह शाम को लकड़हारे के घर पहुँच गया। लकड़हारे की लड़की को उपहरा और राजकुमार का संदेश दिया और कहा"राजकुमार के नाम आप अपना पैगाम मुझे दें।"लड़की ने उपहार लेकर संदेश पढ़ा। संदेश के रूप में कागज पर लिखी पंक्तियाँ इस प्रकार थीं-"साल में बारह महीने आकाश में पूर्णमासी का चन्द्रमा और बकरों के पेट ठसाठस भरे पेट।" संदेश पढकर लड़की मुस्काई, फिर वह गुलाम से बोली-"अब रात हो गई है, इसलिए तुम आराम करो। यहाँ से सवेरे चलते समय मुझसे संदेश का उत्तर ले जाना।" यह सुनकर गुलाम आराम करने चला गया। अगले दिन सवेरे लकड़हारे की लड़की ने गुलाम को अपना संदेश इस प्रकार लिख कर दिया-"जनाब, साल में ग्यारह महीने हैं, चन्द्रमा पूर्णमासी का नहीं, अष्टमी का है तथा बकरे भूख से अधमरे हैं, जिनके पेट बिल्कुल पिचके हैं।"
फिर लड़की ने गुलाम से कहा-"देखो, जब यह संदेश तुम अपने राजकुमार का दोगे तो वह गुस्से पागल होकर तुम्हें मारने दौडेगा तब तम राजकुमार से कहना राजकुमार शांत हो जाएंगे।" "सफेद कबूतरी को पाने के लिए काले कौए को न मारें।" तुम्हारा इतना कर पराया, परन्तु लड़की के समझाने पर लड़की की बात सुनकर पहले तो गुलाम घबराया, परन्तु लड़का क वह चुपचाप वहाँ से चल गया। लकड़हारा भा सुन रहा ता किन्त उसकी समझ में कुछ न आ अपनी बेटी से पूछा-"अरे, ये तुम ऊटपटांग बातें क्या कर रही थी। मेरे तो कुछ र में नहीं आया। कुछ न आया तो बात बिल्कुल सीधी और लड़की ने हंसते हुए पिता को समझाया-"पिता जी, बात बिल्कुल स सरल थी। मैंने राजकुमार को उसके संदेश का सही उत्तर भेज दिया है। पिता बोला-"परन्तु मेरी समझ में तो कुछ भी नहीं आया।" लडकी बोली-देखिए, राजकुमार नें उपहार में बारह डबल रान रोटियाँ, पनीर का गोल टुकड़ा, और दो मशको साल में बारह महीने अश और दो मशकों में बढ़िया शराब भेजी थी जिसके लिए उसने लिखा था महीने अर्थात् बारह डबल रोटियाँ, पूर्णमासी का चन्द्रमा अर्थात् पनीर का दा और दो हट्टे-कट्टे बकरे जिसका पेट ठसाठस भरा है अर्थात् शराब से भरी मश्कें। परन्तु रास्ते में इस गुलाम ने गड़बड़ कर दी, यह एक डबल ङ्केत पनीर और दोनों मश्कों की शराब पी गया । मश्कों में बहुत थोड़ी शराब " हने दी। इसीलिए मैंने सन्देश में लिखा-"साल में ग्यारह महीने अर्थात् एक बलरोटी कम। चन्द्रमा पूर्णमासी का नहीं, अष्टमी का है अर्थात् पनीर आधा है। को हटटे-कट्टे नहीं भूखे और पिचके पेट के हैं अर्थात् मश्कों से शराब पी ली गई है।" इतना कहकर लड़की चुप हो गई।
लकडहारे की समझ में सारी बात आ गयी। वह बेटी की प्रसंसा करते हुए बोला"बेटी तुमने तो कमाल कर दिया। तेरा जवाब पढ़कर राजकुमार गुलाम को अवश्य ही दण्ड देगा।" लड़की बोली-आप चिन्ता न करें, मैंने कुछ पंक्तियाँ गुलाम को याद करा दी है। जब वह कहेगा कि सफेद कबूतरी को पाने के लिए काले कौए को न मारें, तो राजकुमार समझ जायेंगे कि मैंने हब्शी को माफ कर देने की लिए प्रार्थना की है और उनका गुस्सा शांत हो जाएगा। लकड़हारा अपनी लड़की की चतुराई भरी बातें सुनकर बहुत खुश हुआ। जब गुलाम ने राजकुमार को लकड़हारे की लड़की का पैगाम लाकर दिया तो राजकुमार उसे पढ़कर गुस्से से पागल हो उठा। वह म्यान से अपनी तलवार खींचकर गुलाम की तरफ लपका। गुलाम राजकुमार के पैरों में गिरकर बोला-"सफेद कबूतरी को पाने के लिए कौए को न मारें।" गुलाम के मुँह से निकले शब्द सुनकर राजकुमार ने तलवार वापस म्यान में रख ली। उसका गुस्सा तुरंत शांत हो गया था। एकाएक ही हंस पड़ा। राजकुमार को हंसते देख सभी हैरान हो गये। जब राजकुमार ने महाराज को लकड़हारे की लड़की की बुद्धिमता के बारे में बताया और उससे शादी करने की इच्छा जाहिर की तो महाराज ने खुशी-खुशी स्वाकृति दे-दी तथा कुछ ही दिनों बाद राजकुमार ने लकडहारे की लड़की से शादी कर ली। वह अपनी बुद्धि के बल पर ही महल की रानी बन गई। राजा भी इतनी बुद्धिमान, सशील. गणवान व सन्दर लडकी को अपनी पत्र-वधु पाकर खुश थे। उन्होंने लकडहारे को अपने राज्य का मंत्री बना दिया।इस प्रकार एक चतुर लड़की ने अपनी बुद्धि के चमत्कार से अपनी तथा अपने परिवार की तकदीर ही बदल दी।