बेगमों के बाग-दादी माँ की कहानी

Apr 09,2021 02:48 AM posted by Admin

एक दिन बादशाह अकबर जंगल में शिकार खेलने जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने एक जंगली औरत के लड़का पैदा होते देखा, वह औरत लड़का जनते ही उसे टोकरे में रखकर सिर पर उठा लिया और खुशी-खुशी गाँव की ओर चल दी। बादशाह ने उसकी ऐसी लापरवाही देखकर मन में सोचा। आखिर यह भी औरत ही है, फिर बेगम लड़का पैदा होते समय इतना नखरा क्यों दिखलाती है? बादशाह का मन बेगम की तरफ से फिर गया औरउसी दिन से उनसे बोलनाचलना बंद कर दिया।

बेगम बादशाह के इस अकारण क्रोध से बहत घबराई और लाचार होकर बीरबल की शरण में गई। बीरबल ने उन्हें आश्वासन देकर उनका दुख दूर करने का वचन दिया और बोला-"बागोंबानों से बाग सींचने की मनाही कर दो।"बेगम ने वैसा ही किया। कुछ दिनों में पानी के अभाव में बाग के सारे पौधे मुरझा गये। यह देखकर बादशाह बहुत क्रोधित हए और बेगमों से पूछा-"मनाही क्यों की गई और किसने की?बेगम बोली "स्वामी हमारी आज्ञा से मालियों ने बाग सींचना बंद कर दिया है। हम लोगों ने विचार किया कि जब जंगल के पेड-पौधे बिना सींचे ही हरे-भर रहते है तो इन बाग के पेड़ों को सींचने की क्या आवश्यकता है ?"बादशाह अकबर बेगमों की मंशा समझ गए और कुछ न बोले।