बारहसिंघे के सींग-दादी माँ की कहानी
Apr 07,2021 06:47 AM posted by Admin
एक मोटा-ताजा बारहसिंघा एक जलाशय पर पानी पीने गया। जलाशय का जन शांत तथा स्वच्छ था, अत: उसे उसमें अपनी परछाईं नजर आई। अपने सींगों की परछाईं पानी में देखते ही वह उनकी सुन्दरता पर मुग्ध हो गया, फिर अचानक उसकी नजर अपने पैरों पर पड़ी। उसकी टांगें पतली और सूखी थी। उन्हें देखकर बारहसिंघा उदास हो गया और सोचने लगा कि कैसी सूखी-सूखी और बदसूरत टांगे हैं। तभी उसे कुछ आहट सुनाई दी। उसने पलटकर देखा तो एक शेर को अपनी घात में बैठे पाया। अत: वह प्राण बचाने के लिए तेजी से भाग खड़ा हुआ। उसके पांव पतले और बदसूरत जरुर थे, मगर थे मजबूत। कुछ ही देर में बारहसिंघा एक सुरक्षित स्थान पर पहुंच गया। उसने चैन की सांस ली और एक झाड़ी में घुसकर पत्ते खाने लगा।कुछ देर बाद आहट फिर सुनाई दी। देखा, उसे ढूंढता हुआ शेर वहां आ पहुंचा था। बारहसिंघे ने फिर भागना चाहा, मगर इस बार उसके खूबसूरत सींघ झाड़ियों में फंस गए। लाख यत्न करने पर भी वह अपने सींगों को न छुड़ा सका। उसने सोचा, 'इन खूबसूरत सींगों की वजह से ही आज मैं मारा जाऊँगा। इससे तो अच्छे मेरे बदसूरत पैर ही है।' तभी शेर ने उसे दबोच लिया।