बेइमान मित्र-दादी माँ की कहानी
Apr 06,2021 04:28 AM posted by Admin
किसी नगर में भद्रसेन नामक एक व्यापारी रहता था। व्यापार में घाटा हो जाने के कारण उसकी हालत कंगालों जैसी हो गई थी। इसलिए उसने परदेश जाने की सोची।
उसके घर में पुरखों की बनवाई हुई एक पीतल की तराजू थी जो बहुत बड़ी और बहुत भारी थी। उसने उस तराजू को एक सेठ के यहाँ गिरवी रख दिया और स्वयं परदेश चला गया। लम्बे समय तक परदेश में रहने से उसने खुब धन कमाया।अब वह अपने नगर वापस आ गया। नगर में आने के बाद वह सेठ के पास आया और बोला-"सेठ जी, मैंने जो तराज आपके यहाँ गिरवी रखी थी, उसे मुझे लौटा दें।"
सेठ के मन में लालच था इसलिए वह उसे तराजू नहीं देना चाहता था। अत: वह बोला- "भैया, तुम्हारी उस तराजू को तो चूहे खा गए। अब वह मेरे पास नहीं है।" भद्रसेन समझ गया कि सेठ के मन में बेईमान आ गई है, अत: इसे सबक सिखाना ही होगा। यह सोचकर वह बोला-"सेठ जी, यदि तराजू चूहे खा गए है तो इसमें भला आपका क्या दोष ? हर चीज़ समय पर नष्ट होती है। खैर मैं नहाने जा रहा हूँ। आप अपने बेटे के हाथ तौलिया और तेल भिजवा दें।"सेठ चोरी के डर से स्वयं वहाँ से हटना नहीं चाहता था, इसलिए उसने अपने बेटे को बुलाकर कहा-"बेटे तुम्हारे चाचा जी नदी पर नहाने जा रहे हैं, इसलिए तुम तेल व तौलिया लेकर चले जाओ।"लड़का खुशी-खुशी सामान लेकर भद्रसेन के साथ चल दिया। नहाने के बाद भद्रसेन ने उस लड़के को पर्वत की एक गुफा में छिपाकर उसका द्वार विशाल शिला से बंद कर दिया और स्वयं अपने घर आ गया। जब लड़का वापस नहीं आया तो सेठ ने भद्रसेन के पास आकर उससे पूछा"अरे भाई, तुम्हारे साथ मेरा बेटा नदी पर गया था, वह कहाँ रह गया ?"वह बोला-"उसे तो नदी के किनारे से एक बाज उठाकर ले गया।"
सेठ गुस्से में बोला-"तुम पगला तो नहीं गये, भला, लड़के को बाज कैसे उठाकर ले जा सकता है ?"भद्रसेन बोला-"वैसे ही, जैसे पीतल की भारी तराजू को चूहे खा सकते हैं। इसलिए लड़का चाहिए तो तराजू वापस करो।"इसी तरह झगड़ा बढ़ गया और दोनों न्यायालय में पहुँचे। न्यायालय में पहुँच कर सेठ ने चिल्लाते हुए कहा-"सरकार, इस बदमाश ने मेरे लड़के का अपहरण कर लिया है और कहता है कि उसे बाज उठाकर ले गया।"यह सुनकर न्यायधीश बोले-क्या बकवास करते हो ? भला बालक को बाज कैसे उठाकर ले जा सकता है ?इस पर भद्रसेन बोला-"हुजूर! जब एक मन की पीतल की तराजू चूहे खा सकते हैं तो बालक को भी बाज उठाकर ले जा सकता है।"न्यायधीश की समझ में बात नहीं आई। वे बोले-"तुम क्या कह रहे हो ?" विस्तारपूर्वक बताओ। इसके बाद उसने न्यायधीश के सामने पूरा किस्सा ब्यान कर दिया। उसकी बात सुनकर न्यायधीश ने साहूकार को डांट लगाई और उसे हक्म दिया कि वह भद्रसेन की तराजू वापस करे। भद्रसेन से उसका पुत्र लौटाने के लिए कहा। इस प्रकार भद्रसेन ने सेठ को अच्छा सबक सिखाया।