असलियत छिपी नहीं रहती-दादी माँ की कहानी
Apr 08,2021 03:18 AM posted by Admin
एक गधा जंगल में इधर-उधर घूम रहा था रास्ते में उसे कहीं से शेर को खाल मिलगई। बस, वह बहुत प्रसन्न हुआ और सोचने लगा कि अब इस चमड़े का क्या किया जाय | सोचते सोचते गधे की समझ में एक उपाय आया। वह शेर की खाल बोला-"अहा, अब तो मैं शेर बन गया। जंगल का राजा हो गया। अब जंगल में पशु मुझे देखेंगे तो अपना राजा समझेंगे और डर-डरकर इधर-उधर भागेंगे। जंगल में ऊधम मचाऊं और सभी पशुओं को डराऊं तो मजा आ जाए।"यह विचार मन में आते ही गधा यहां-वहाँ छलांगे भरने और दौडने-भान लगा। अब तो जो पशु उसे देखता, अपने प्राण बचाकर भागता। थोड़ी ही देर में हाहाकार मच गया। पशुओं ने आपस में कहना शुरु किया-"आज तो महाराज पागल हो उठे हैं। सारे जंगल में दौड़-दौड़कर ऊधम मचा रहे हैं। भगवान जाने लोगों पर कौन-सी विपत्ति आने वाली है।"गधा इस प्रकार ऊधम मचाते-मचाते एक गीदड़ के सामने पहुंचा और उसे के लिए गला फाड़-फाड़कर रेंगने लगा-"चीपों चीपों।"गीदड़ ने आँखें फाड़-फाड़कर गदे को देखा। फिर खिल-खिलाकर व "अहा, गधे जी है। चले हैं शेर बनकर जंगल में ऊधम मचाते और सभी पशुओं डराने, परन्तु इतना नहीं सोच सकें कि असलियत छिपी नहीं रहेगी। तुम्हारी चौपों चीपों तो तुम्हारा सारा भण्डा फोड़ देती है।"