तीन चीजें-अकबर बीरबल की कहानी
Apr 09,2021 07:29 AM posted by Admin
एक दिन बादशाह के दरबारियों ने बादशाह के साथ निराशा प्रकट की। हुजूर आप हर खास काम बीरबल को ही क्यों देते हैं। क्या हम कुछ भी नहीं कर सकते? बादशाह ने कहा-ठीक है। मैं अभी इस चीज़ का फैसला कर देता बादशाह ने एक दरबारी को बुला कर कहा कि मैं तुम्हें तीन रुपये देता हूँ। इस की तीन चीजें लेकर आओ। ध्यान रहे कि हर चीज़ की कीमत एक रुपया होनी चाहिए। पहली चीज़ यहाँ की ही होनी चाहिए। दूसरी चीज़ वहाँ की होनी चाहिए। तीसरी चीज़ न ही यहाँ की और न ही वहाँ की होनी चाहिए।
दरबारी ने बाजार में जाकर दुकानदार से ये चीजें मांगी तो दुकानदार उसकी बातों को सुन कर हंसने लगा और कहने लगा कि ये चीजें तुम्हें कभी भी नहीं मिल सकतीं। दरबारी ने ये चीजें जगह-जगह ढूंढीं पर उसको कहीं पर नहीं मिलीं। आखिरकार वह वापिस दरबार में आ गया और बादशाह को बताने लगा कि मुझे ये चीजें कहीं पर भी नहीं मिलीं। अगर बीरबल ये चीजें लेकर आये तो हम उसे समझदार समझेंगे।
अकबर ने बीरबल को बुलाया और कहा कि वह चीजें लेकर आए। बीरबल दूसरे दिन दरबार में पहुंचा और अकबर ने उससे पूछा कि क्या तुम ये चीजें ले आये हो। बीरबल-जी हां, मैंने पहला रुपया यहाँ फकीर को दे दिया और वह भगवान के पास पहुंच गया। दूसरा रुपया मिठाई पर वहाँ खर्च कर दिया जो कि वहां काम आ गया। तीसरे रुपये का मैंने जआ खेला जो न वहाँ पर काम आया न ही यहाँ काम आया।बीरबल की यह सारी बात सुन कर सारे दरबारी हैरान हो गये और अकबर ने बीरबल को बहुत सारा इनाम दिया।