सबसे सफेद कौन-अकबर बीरबल की कहानी

Apr 10,2021 02:04 AM posted by Admin

एक दिन की बात है कि बादशाह अकबर अपने दरबार में थे। बीरबल भी सभा में उपस्थित थे। बादशाह ने अनायास ही अपने दरबारियों से प्रश्न किया-"कोई बता सकता है कि सर्वाधिक सफेद और
इस प्रश्न को सुनते ही पल भर के लिए सभी एक-दूसरे का मंह, लगे। कुछ देर तक सोच-विचार करके दरबारियों में से किसी ने बर्फ कहा किसी ने कपास बताया तो किसी ने फूल को सफेद माना। कलर ने अन्य चीजों के नाम बताए। अधिकतर ने कपास तथा दूध को अधिक सफेद माना।अभी तक बीरबल मन-ही-मन शांत बैठे कुछ सोच रहे थे। उनकी चप्पी को देखकर बादशाह से न रहा गया, वह कहने लगे-"इस बारे में तम क्या कहना चाहते हो बीरबल?" तब बीरबल ने कहा- हुजूरे आला! मेरी राय में तो सूर्य का प्रकाश ही सर्वाधिक उज्ज्वल है।"बादशाह ने कहा कि क्या तुम अपने उत्तर की पुष्टि कर सकते हो? "बेशक हुजूरे आला! लेकिन इसके लिए कल तक का समय चाहिए।"


"ठीक है बीरबल!" अकबर ने रौब के साथ कहा-"हम तुम्हें कल शाम तक का समय देते हैं।"अगले दिन दोपहर के समय, जब बादशाह अकबर आराम कर रहे थे, तब बीरबल ने एक कटोरा दूध तथा दो-चार कपास के खिले हुए फूल ले जाकर उनके कमरे के दरवाज़े पर रख दिए। यह कमरा चारों ओर से बन्द था, इसमें सूर्य की रौशनी बिल्कुल नहीं आ रही थी। बीरबल ने यह कार्य सावधानी से किया था। बादशाह अकबर जैसे ही उठे, तो वह सीधे दरवाज़े की ओर गए। उनक पैर की ठोकर लगते ही सारा दूध फर्श पर बिखर गया। द्वार खुलत है। सूर्य का प्रकाश कमरे में पहुंचा, तो अकबर को ठीक दरवाजे क पास कपास के फूल एवं कटोरा देखकर बड़ा आश्चर्य हुआ। बादशाह से बाहर आए, तो बीरबल को वहां पाकर समझ गए कि यह सब का ही किया-धरा है। बादशाह ने बीरबल से इस सब का कारण पूछा तो बीरबल ने विनम्रतापूर्वक कहा-"जहांपनाह! कल आपने मुझे अपने उत्तर की पुष्टि करने का हुक्म दिया था। आज मैंने आपके उसी हक्म का पालन किया है। मैंने अपनी बात सच्च साबित कर दी है। मुझे पूरी उम्मीद है कि अब तो आप समझ ही गए होंगे कि इन तीनों चीजों में सर्वाधिक सफेद कौन है?"मैंने दूध व कपास को इसीलिए यहां रखा था कि इनकी उज्ज्वलता का किसी को शक न हो, फिर भी आपको ये चीजें नज़र नहीं आईं। अतः अब तो आपको यह स्वीकार करना ही होगा कि सूर्य का प्रकाश ही सर्वाधिक सफेद है, क्योंकि आपके कमरे का द्वार खुलते ही सूर्य का प्रकाश अन्दर आ पहुंचा तथा आपने सब चीजों को देख लिया। .
अगले दिन बादशाह अकबर ने दरबार में बीरबल की इस चतुराई के विषय में जिक्र किया, जिसकी सभी दरबारियों ने दिल से प्रशंसा की।