राजा की पहचान - अकबर बीरबल की कहानी

राजा की पहचान - अकबर बीरबल की कहानी

Apr 16,2021 09:31 AM posted by Admin

उस समय बादशाह अकबर के दीवान बीरबल के किसी दूर तक मशहूर हो चुके थे। यहां तक कि फारस का बा की बुद्धि और चतुराई की काफी प्रशंसा करता था।वह बीरबल को देखने के लिए बहुत लालायित था। उसन अकबर के पास एक दूत द्वारा सन्देश भिजवाया, जिसमें बीरबल की बात लिखी थी। दूत कई दिनों का रास्ता तय करके दिल्ली पर बादशाह अकबर को बड़े अदब से सलाम करके फारस के बादशा अत्र दे दिया। अकबर ने बड़ी राजसी ठाट-बाट के साथ बीरबल को फार की ओर रवाना कर दिया।

इस प्रकार फारस पहुंचकर बीरबल ने शहर से बाहर एक बाग़ में अपना डेरा जमाया और उस दूत को अपने आगमन की सूचना देने के लिए फारस के बादशाह के पास भेजा। जब बादशाह ने सुना कि बीरबल शहर के बाहर मेरे हुक्म का इन्तज़ार कर रहा है, तो वह अपने कर्मचारियों को अपने जैसे वस्त्राभूषणों से सजाकर सबके साथ दरबार में आ बैठा और बीरबल को वहां ले जाने का हुक्म दिया। दूत द्वारा बादशाह के बुलाने का पत्र पाकर बीरबल राजभवन में उससे मिलने पहुंचा। वहां की अजीब हालत थी।

सब लोग एक जैसी पोशाक पहने बैठे थे। बीरबल एक तरफ से सबको देखता हुआ धीरे-धीरे बादशाह के पास पहुंचा और उसे अदब से सलाम करके एक तरफ खड़ा हो गया।बादशाह ने उन्हें अपने पास बिठाया तथा उसकी बड़ी खातिर की। बाद में उसने पूछा-"बीरबल यह तुम कैसे जान पाए कि हम ही फारस देश के बादशाह हैं?" तब बीरबल ने उत्तर दिया-"गरीबपरवर! आपकी निगाह सब पर था और सबकी निगाह आप पर थी, इसलिए मैंने आपको आसानी से पहचान लिया।" फारस के बादशाह ने बीरबल की बुद्धि की खब प्रशंसा की और ढेरों इनाम दिए।