पिंजरे का शेर-अकबर बीरबल की कहानी
Apr 10,2021 12:29 AM posted by Admin
पुराने समय में बादशाह एक दूसरे की बुद्धि की परीक्षा अपने-अपने ढंग से लेते थे। एक बार फारस के बादशाह ने अकबर को नीचा दिखाने के लिए मोम का एक शेर बना कर उसको एक पिंजरे में बंद करके अपने दूत के हाथ बादशाह अकबर के पास भेजा और कहा कि अगर आपके दरबार में कोई समझदार आदमी हो तो इस शेर को बिना पिंजरा खोले बाहर निकाल कर दिखाए। बादशाह अकबर पिंजरे में बंद शेर को देख कर चिन्ता में डूब गए कि एक शेर को बिना पिंजरा खोले किस तरह बाहर निकाला जाए? जब बादशाह को कोई समझ न आई तो उन्होंने अपने दरबारियों की राय ली. लेकिन कोई भी दरबारी शेर को बिना पिंजरा खोले, बाहर निकालने का उपाय न बता सका। आखिर सब तरफ से निराश होकर बादशाह ने बीरबल को सन्देश भेजा।
बीरबल ने दरबार में हाज़िर हो कर बादशाह से पूछासाहिब, इस गुलाम के लिए क्या हुक्म है, जो दास को याद किया। बादशाह ने उस समय बीरबल को शेर के पिंजरे के पास ले जा कर कहा कि क्या तुम इस शेर को बिना पिंजरा खोले बाहर निकाल सकते हो। बीरबल ने पिंजरे में बंद शेर को अच्छी तरह देख कर कहा-साहिब, मैं इस शेर को बिना पिंजरा खोले बाहर निकाल सकता हूं। यह कौन सी मुश्किल बात है? बादशाह सहित सब दरबारी बीरबल के मुँह की तरफ देखने लगे कि वह बिना पिंजरा खोले किस तरह शेर को बाहर निकालेगा।बीरबल ने उसी समय लोहे की सलाखों को गर्म किया तो बना हुआ शेर पिंजरे में ही गायब कर दिया। इस प्रकार बीरबल ने का की इज्ज़त रखी और बादशाह सहित दरबारी भी तारीफ किए बिना सके।