आम का पौधा-अकबर बीरबल की कहानी

Apr 10,2021 12:34 AM posted by Admin

अकबर बादशाह के दरबार में दो आदमियों का आपसी लेन-देन का मुकद्दमा पेश हुआ।पहला-साहब, उस आदमी ने मेरे से 100 अशर्फियाँ उधार ली थीं. पर अब वापिस करने के लिए मना कर रहा है। । दूसरा-साहिब, मैंने इस से कभी अशर्फियाँ उधार नहीं लीं। यह बिल्कुल झूठ बोल रहा है। - इस मुकद्दमे का फैसला करने के लिए बादशाह ने बीरबल को कहा। बीरबल ने पहले आदमी से पूछा-तुमने इसको अशर्फियाँ किस जगह पर दी थीं? पहला आदमी-साहब, जंगल में। बीरबल-उस जगह पर तेरा कोई गवाह है, जिसके सामने तुमने इस को अशर्फियाँ दी थीं? पहला आदमी-हां साहिब, आम का पौधा, जिसके सामने मैंने इस को अशर्फियां दी थीं।


बीरबल-फिर जाओ, उस आम के पौधे को लाकर दरबार में पेश करो।बीरबल की आज्ञा सुनकर वह आदमी आम के पौधे को लेने चला गया। जब पहले आदमी को गए बहुत देर हो गई तो दूसरा आदमी कहने लगासाहिब, क्यों आप समय बर्बाद कर रहे हो, वह आज नहीं आ सकता। आज क्यों नहीं आ सकता? बीरबल ने दूसरे आदमी को पूछा। दूसरा आदमी-क्योंकि आम का पौधा बहुत दूर है।इस बात का सुनना था कि बीरबल बोल पडा-शायद इस आदमा न पहले आदमी से अशर्फियां ली थीं तो अब देने से मना कर रहा है। इसलिए यह आदमी दोषी है इसको दंड मिलना चाहिए। तुमने ऐसे कैसे पता लगाया कि यह आदमी दोषी है? अकबर ने बीरबल से पूछा।आम के पौधे की दूरी से। बीरबल ने कहा-इस को पता था कि आम का पौधा बहुत दूर है। इससे सब दरबारी बीरबल की बद्धि की प्रशंसा करने लगे।