मनहूस कौन-अकबर बीरबल की कहानी

Apr 10,2021 04:23 AM posted by Admin

दिल्ली में देवीदास नाम का एक व्यक्ति रहता था। उसके लिए प्रसिद्ध था कि जो कोई सुबह-सुबह उसका मुंह देख लेता, तो उसे दिन खाना नसीब नहीं होता। यह बात फैलते-फैलते बादशाह अकबर कानों तक भी पहुंची। उन्होंने विचार किया कि यह बात सत्य है अथवा असत्य, इसका निर्णय करना चाहिए। यह विचार करके अकबर बादशाह ने देवीदास को बुलाया और रात में उसको अपने शयनगार के पास एकांत कक्ष में सुला दिया। दूसरे दिन प्रातःकाल उठकर सबसे पहले उन्होंने उसका मुंह देखा और विचार किया कि देखें आज क्या होता है?फिर अकबर बादशाह दरबार में चले गए। सभी आवश्यक कार्यों को निपटा कर वह भोजन करने के लिए पधारे। बावर्ची ने विभिन्न प्रकार के भोजन थाल में भरकर अकबर बादशाह के सामने रख दिए, परन्तु अचानक थाल से एक मरी हुई मकड़ी निकल पड़ी, जिससे अकबर बादशाह को ग्लानि उत्पन्न हो गई और वह भोजन किए बिना ही उठ खड़े हुए। तब तत्काल दूसरा खाना बनाया गया, परन्तु उसमें बहुत देर हो गई थी। अतः उस दिन अकबर बादशाह को सायं चार बजे भोजन मिला। इस संयोग से अकबर बादशाह को विश्वास हो गया कि देवीदास निस्संदेह मनहूस है, इसलिए इसको मरवा डालना चाहिए।


उन्होंने जल्लादों को बुलाकर हुक्म दिया-"इस दुष्ट को तुरन्त फांसी दे दो। यह मनहूस है।"हुक्म पाकर जल्लाद देवीदास को फांसी घर की ओर ले जाने लगे, तभी रास्ते में बीरबल मिल गए। . देवीदास का वृत्तान्त सुन, उसको एकान्त में ले जाकर बीरबल ने समझाया-"जिस समय जल्लाद सूली घर में तुमसे पूछे कि तेरी क्या इच्छा है, तब तुम यह कहना-मेरी यह इच्छा है कि मैं नगर के लोगों के सामने यह प्रकट करूं कि मेरा मुख देखने से तो लोगों को सिर्फ खाना नहीं मिलता था, परन्तु प्रात:काल जो अकबर बादशाह का मुख देखेगा, उसका फांसी होगी, क्योंकि आज प्रात:काल मैंने अकबर बादशाह का मुख देखा था, जिसकी वजह से मुझे अब सूली पर चढ़ाया जा रहा है।यह कहकर बीरबल चले गए। जल्लाद देवीदास को लेकर फांसी घर नादों ने देवीदास से पूछा-"तेरी अन्तिम इच्छा क्या है?" देवीदास ने बीरबल की बातों के अनुसार उनको जवाब दिया, जिसको ने अचंभित रह गए। तब अकबर के समक्ष प्रस्तुत हो. देवीदास की इच्छा बताई गई।अब अकबर बादशाह घबराए और जल्लादों से बोले- उसे फांसी पान दो और मेरे पास ले आओ।"शाह की आज्ञानुसार जल्लाद देवीदास को दरबार में लाए। उसे देखते कबर ने इनाम दिया और कहा कि इस बात को किसी से मत कहना।में यह मालूम होने पर देवीदास को वह बात बीरबल ने सुझाई थी, बादशाह अकबर बीरबल से भी काफी प्रसन्न हुए।