जैसे को तैसा - अकबर बीरबल की कहानी
Apr 16,2021 09:45 AM posted by Admin
बीरबल को परेशान करने के उद्देश्य से बादशाह अकबर ने एक दिन एक ऐसा आला बनवाया, जिसमें हाथ डालने पर हाथ फंस जाता था। उस आले में उन्होंने एक सेब रखवा दिया। आले वाला कमरा बादशाह के कमरे से मिला हुआ था।बीरबल जब बादशाह से मिलने आए तो बादशाह ने उन्हें कहा कि बराबर वाले कमरे के आले में सेब रखा है, उसे ले जाओ।बीरबल ने उस कमरे में जाकर आले में से सेब निकालने को हाथ बढ़ाया ही था कि उसका हाथ उसमें फंस गया। दूसरा हाथ उस हाथ को निकालने में फंस गया। थोड़ी देर में बादशाह वहां आए और बीरबल को चिढ़ाने लगे। बीरबल मन मारकर रह गए।
तब बादशाह ने अपने हाथों से उनके हाथ छुड़ा दिए। बीरबल ने भी बादशाह को छकाने का उपाय सोचा।बीरबल ने तीर्थ यात्रा के बहाने बादशाह से छुट्टी ले ली, लेकिन गुप्त रूप से अपने घर ही रहने लगे। कपड़े रंगकर साधुओं का भेष बना लिया और चुपचाप दरबार की खबर लेते रहे।एक दिन बादशाह शिकार खेलने जंगल गए। बीरबल भी साधु के भेष में उनके पीछे हो लिए। बादशाह एक जंगली सूअर का पीछा करते-करते रास्ता भूल गए। शाम होने जा रही थी, इसलिए बादशाह को परेशानी हुई। वे एक तालाब के पास पाखाने के लिए बैठ गए।
थोड़ी देर के बाद उन्होंने एक बड़ा विकराल दैत्य बाल बिखेरे तथा बाहें फैलाए अपनी ओर आते देखा। उसे देखकर बादशाह भयभीत हो गए और हाथ जोड़कर उसके सामने खड़े हो गए। दैत्य ने कड़ककर कहा-"अपनी प्रजा पर जुल्म ढाता है? मैं आज तुझे नहीं छोडूंगा।" यह सुनकर बादशाह गिड़गिड़ाते हुए बोले- "हे भगवान! इस बार मुझे क्षमा करो। अब आपकी आज्ञा से कभी अत्याचार नहीं करूंगा।" तब दैत्य ने कहा-"अच्छा माफ किया, अब अत्याचार मत करना। तू अपने सिर पर मेरा जूता रखकर सीधा महल की ओर भाग जा।" - जैसे-तैसे बादशाह डरते हुए महल में आ गए और बड़ी उदारता के साथ दरबार का काम करने लगे, लेकिन उस दैत्य की याद वह अपने मन से न भुला सके। उन्हीं दिनों बादशाह ने सुना कि बीरबल तीर्थ यात्रा ला भेजा। बीरबल जब बीस से लौट आए हैं।
उन्होंने एक नौकर द्वारा उन्हें बुला भेजा। सभा भवन में पहुंचे तो सभी दरबारी उपस्थित थे। कशल और बाद बादशाह ने फिर वही बात कही-"क्यों बीरबल, आले का दरबारी कुछ न समझ सके। तभी बीरबल बोले-"और वह यह सुनकर बादशाह लज्जित होकर चुप हो गए, उन्होंने फिर बीरबल कभी नहीं चिढ़ाया। बादशाह को उस दैत्य का रहस्य और बीरबल चालाकी मालूम हो गई थी। अकबर मुस्करा कर रह गए।