दरबारियों की कढ़ी-अकबर बीरबल की कहानी

दरबारियों की कढ़ी-अकबर बीरबल की कहानी

Apr 16,2021 09:37 AM posted by Admin

एक दिन बीरबल को अपने किसी रिश्तेदार के यहां दावत में जाना था। इसलिए वह दरबार खत्म होने से पहले ही बादशाह से छुट्टी लेकर चले गए। अगले दिन जब बीरबल दरबार में हाज़िर हुए तो बादशाह ने दावत के बारे में पूछा-"खाना कैसा बना था और दावत में क्या-क्या पकवान बना था आदि-आदि।" बीरबल ने कई पकवानों के नाम बताए। वह आगे और भी बताने जा रहे थे कि बादशाह ने उन्हें किसी काम में उलझा दिया, जिससे दावत का वर्णन अधूरा रह गया। यह बात हुए कई सप्ताह बीत गए। एकाएक बादशाह को याद आया कि उस दिन बीरबल ने दावत की भोज्य सामग्री का वर्णन अधूरा छोड़ दिया था।

इसलिए उन्होंने बीरबल की स्मरण शक्ति को परखने का निश्चय किया। वे बोले-"बीरबल, और क्या?"बीरबल तत्काल समझ गए कि उस दिन दावत में बनी हुई चीज़ों के नाम बताते-बताते बादशाह ने उन्हें दूसरे काम में उलझा दिया था और वर्णन अधूरा रह गया था। बादशाह उसी वर्णन को पूरा करने की गरज से यह प्रश्न पूछ रहे हैं। यह विचार कर बीरबल ने तुरन्त उत्तर दिया-"और क्या? कढ़ी।" बीरबल की इतनी अच्छी स्मरण शक्ति से बादशाह बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने अपने गले से मोतियों की माला उतारकर बीरबल को पुरस्कार स्वरूप दे दी।

उपस्थित दरबारी नहीं समझ सके कि किस रहस्यपूर्ण उत्तर पर बीरबल को मोतियों की माला मिली है। उन लोगों ने सोचा कि बादशाह को कढी ज़रूर ही अच्छी लगती होगी तभी तो बीरबल को मोतियों की माला इनाम में मिली है। उनका भी इनाम पाने के लिए जी ललचाने लगा। - यह सोचकर दूसरे दिन सभी ने बढ़िया-से-बढ़िया कढ़ी अपने-अपने यहां तैयार करवाई। कढ़ी को स्वादिष्ट बनाने में उसमें किसी तरह की कमी नहीं छोड़ी गई।

जब दरबार का समय हुआ तो सभी ने अपनी-अपनी कढी की हांडियां बादशाह के सामने ले जाकर पेश कीं। बादशाह की समझ में कुछ नहीं आया। उन्होंने पूछा-"इन हांडियों में क्या है?" दरबारियों ने विनम्रता से निवेदन किया-"जहांपनाह! आपने कल इसी शब्द के कहने पर प्रसन्न होकर बीरबल को मोतियों की माला इनाम में दी थी। हम लोगों ने समझा कि हुजूर को कढ़ी बेहद पसन्द है, इसलिए इन हांडियों में आपको भेंट करने के लिए कढ़ी लाए है यह सुन कर दरबारियों की इस बेवकूफी पर बादशाह तिलमिला उठे गुस्से में उन्होंने उन सबको दरबार से बाहर निकल जाने हुए कहा-"तुम लोग सिर्फ नकल करना जानते हो।

दस फूलता नहीं देख सकते। जाओ, इसका यही दण्ड है।"दरबारियों ने जब देखा कि लालच के चक्कर में नाहकार निकाले जा रहे हैं तो सबने रहम के लिए प्रार्थना की। बाट क्षमा कर दिया और कहा-"आज और अभी यह प्रतिज्ञा कर समझे-बूझे कभी किसी की नकल नहीं करोगे।"सभी दरबारियों ने ऐसा ही किया, तब कहीं जाकर वे वे दण्ड से मुक्त दाम हो पाए। अब मुस्कराने की बीरबल की बारी थी।