चूड़ेल बनाम अप्सरा-अकबर बीरबल की कहानी
Apr 10,2021 03:51 AM posted by Admin
एक बार अकबर बादशाह को चुड़ेल और अप्सरा को साथ साथ देखने की इच्छा हुई। जब बीरबल दरबार में पहुंचे तो अकबर बादशाह ने उनके चुड़ेल और अप्सरा को साथ देखने की इच्छा प्रकट की।
बीरबल अपने घर की दिशा में चले गए। शाम के वक्त बीरबल वैश्या से मिले और उसे दूसरे दिन दरबार में पहुंचने के लिए मना अगली सुबह वह वैश्या बीरबल के पास आ गई और बीरबल उस " और अपनी बीवी को लेकर अकबर बादशाह के पास गए।बीरबल ने पहले अपनी बीवी का परिचय कराते हुए बादशाह से कहा"बंदानवाज़! यह स्वर्ग की अप्सरा है, क्योंकि इसकी सेवा और प्रेम ने मुझे आराम और सुख प्रदान किया है।"बादशाह ने पूछा-"यह कैसे हो सकता है, अप्सराएं तो बहुत सुन्दर हुआ करती हैं, यह स्त्री तो एक एकदम साधारण और सामान्य है, शास्त्रों में तो बताया गया है कि अप्सराएं अत्यंत सुन्दर होती हैं?"
बीरबल ने कहा-"आलमपनाह ! सुन्दरता चरित्र की मानी गई है, शरीर की नहीं। इस नारी के साथ रहकर मुझे असीम सुख प्राप्त होता है।
इसलिए यह अप्सरा हुई।"इसके बाद बीरबल ने वैश्या को बादशाह के पास बुलाया। वैश्या को जब बादशाह ने देखा तो कहने लगे-"वाह! इसकी खूबसूरती के क्या कहने, इसके आभूषण और रंगीन वस्त्रों ने इसकी खूबसूरती को और भी ज्यादा निखार दिया है।"बीरबल ने फिर बादशाह से कहा-'हे महाराज! यह मात्र फांस की कुंजी है, यही है चुड़ेल, जिससे एक बार लिपट जाती है, उसका सर्वनाश करके ही पिंड छोड़ती है, वास्तविकता यह है कि इसका मारा हुआ पानी भी नहीं मांगता।"अकबर बादशाह ने जब बीरबल द्वारा अप्सरा और चुड़ेल की यह व्याख्या सनी तो उनकी आंखें खुल गईं और अकबर बादशाह चुड़ेल और अप्सरा का अंतर आसानी से समझ गए थे। उन्होंने बीरबल की अकल की दाद
दी।