बीरबल ने पढ़ाया गधा-अकबर बीरबल की कहानी

Apr 10,2021 04:39 AM posted by Admin

बुद्धिमान बीरबल की ख्याति दूर-दूर तक के राज्यों में मन इस बात में कोई सन्देह भी नहीं था कि वह काफी बद्धिमान हाज़िर चतुर और जवाब थे। एक दिन वह अकबर के साथ दरबार में बो टैक्स-चोरों से जब्त की गई चीज़ों में एक बड़ा गधा दरबार किया गया।बादशाह को खुश करने के इरादे से बीरबल ने गधे की तारीफ बांधते हुए कहा-"जहांपनाह! इसके चेहरे से ऐसी बुद्धिमानी झलक है कि शायद सिखाने पर यह पढ़ना-लिखना भी सीख जाए।"बादशाह ने उनकी बात पकड़ ली और सेवक को आदेश दिया कि वह गधे की रस्सी को बीरबल के हाथ में थमा दे। फिर बीरबल ने कहा"ले जाओ इसे, महीने भर में पढ़ा-लिखाकर वापस लाना।" ' बीरबल को यह समझते देर नहीं लगी कि अगर वह इस काम में विफल हो गए तो क्या नतीजा होगा?ठीक एक महीने के बाद उसी गधे की रस्सी थामे बीरबल दरबार में हाज़िर हुए। बादशाह ने पूछा-"क्या गधा पढ़-लिख गया है?"हां, जहांपनाह...।" कहते हुए उन्होंने एक मोटी-सी पोथी गधे के सामने रख दी।

गधा जीभ से पोथी के पन्ने पलटता चला गया और तीसवें पन्ने पर पहुंचकर ज़ोर-ज़ोर से रेंकने लगा।बादशाह और दरबारी चकित रह गए। "तुमने यह चमत्कार कैसे किया?'' बादशाह ने पूछा।बीरबल ने बड़ी शान के साथ समझाया-"जहांपनाह! पहले रोज मन मुट्ठी भर घास पोथी की जिल्द और पहले पन्ने के नीचे रख दी। दूस दिन मैंने घास दूसरे पन्ने पर रख दी और पोथी बन्द कर दी। गधन. खोलकर घास खा ली, फिर रोजाना इसी तरह से आगे के पन्ने पल लगा। जहां घास नहीं मिलती, वहीं गधा गुस्से से रेंकने लगता।बादशाह अकबर बीरबल की चतुराई पर मुस्कराए बिना नहीं रह और उसे इनाम देकर विदा किया।