भेड़चाल-अकबर बीरबल की कहानी
Apr 09,2021 06:50 AM posted by Admin
एक बार अकबर ने बीरबल को भेड़चाल शब्द को लाग करने को कहा। बीरबल ने कुछ समय मांगा। अकबर ने उसे एक समय दिया। बीरबल ने मोची से एक गज लम्बा जूता बनवाया और उसे चौक में जाकर अपने सिर पर मारने लगा। लोगों ने इसका का बीरबल ने कहा कि मुझे खुदा मिला था। बातचीत होने के बाद जब जाने लगे तो मैंने भी साथ जाने की जिद्द की लेकिन खुदा अपना पैर छुड़ा कर चले गए। इसी चक्कर में उनका एक जूता मेरे हाथ में रह गया, यह वह खुदा का जूता है। लेकिन आप यह जूता अपने सिर पर क्यों मार रहे हैं?-किसी ने पूछा। जो कोई भी इस शुभ घड़ी में इसे खाएगा, वह राजा अकबर के बाद यहाँ का राजा बनेगा। बीरबल ने बताया और फिर अपने सिर में जूते मारने लगा।
दूसरे आदमी ने जल्दी से अपना सिर आगे कर दिया। बीरबल ने उसके सिर दो-चार जूते ठा-ठा करते हुए जड़ दिये। इस तरह लोग लाइन बना कर जूते खाने लगे। काम बढ़ जाने से यह काम दिन-रात होने लगा। राजा अकबर को भी पता लगा, तो उन्होंने देखा कि लोग बीरबल से जूते खा रहे हैं, ये क्या हो रहा है? अकबर ने बीरबल से पूछा, बीरबल ने कोई उत्तर न दिया और लोगों को जूते मारने लगा। बीरबल, मैं पूछता हूँ यह क्या हो रहा है? अकबर बीरबल की बाजू पकड़ कर बोला।
जहाँपनाह, यह खुदा का जूता है, जो भी इस समय जूते खाएगा, वह आपके बाद हिन्दुस्तान का बादशाह बनेगा। बीरबल ने उत्तर दिया फिर और कोई क्यों मैं ही क्यों न बनूं? तू मेरे ही जूते मार, अकबर बादशाह ने कहा। बीरबल ने कुछ जूते प्रसाद के रूप में अकबर के सिर पर जड़ दिये।दिये गए समय के बाद बादशाह अकबर ने दरबार में बीरबल को भेड़चाल के भाव को स्पष्ट करने के लिए कहा।"हुजूर, उस दिन चौक में जूते शायद आप ने भी खाए होंगे" बीरबल ने कहा।"हाँ, खाए थे फिर क्या हुआ?"बस, वो भेड़चाल ही थी महाराज!""क्या मतलब?" "किसी काम को बिना सोचे-समझे किसी के पीछे लगने को ही भेडचाल कहते हैं।"अकबर ने अपने सवाल का जवाब मिल जाने पर बीरबल को काफी इनाम दिया।