Sahir Ludhianvi Shayari In Hindi:दोस्तों यहाँ पर साहिर लुधियानवी की शायरी का संग्रह किया है, इनकी शायरी ग़म शायरी, नफरत शायरी, हर्ट टचिंग लाइन, इंतज़ार शायरी, ख़ुशी शायरी, लव शायरी, रोमांटिक शायरी, सैड शायरी, शिक़वा शायरी, तन्हाई शायरी और दो लाइन शायरी का संग्रह किया गया है –
साहिर लुधियानवी की शायरी इमेज - Sahir Ludhianvi Shayari Image In Hindi
आओ कि कोई ख़्वाब बुनें कल के वास्ते
वर्ना ये रात आज के संगीन दौर की डस लेगी
जान ओ दिल को कुछ ऐसे कि जान ओ
दिल ता-उम्र फिर न कोई हसीं ख़्वाब बुन सकीं

ज़ुल्फ़ों के ख़्वाब होंटों के ख़्वाब और बदन के ख़्वाब
मेराज-ए-फ़न के ख़्वाब कमाल-ए-सुख़न के ख़्वाब
तहज़ीब-ए-ज़िंदगी के फ़रोग़-ए-वतन के ख़्वाब
ज़िंदाँ के ख़्वाब कूचा-ए-दार-ओ-रसन के ख़्वाब
अँधेरी शब में भी तामीर-ए-आशियाँ न रुके
नहीं चराग़ तो क्या बर्क़ तो चमकती है
औरत ने जनम दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा धुत्कार दिया
साहिर लुधियानवी की शायरी प्यार पर - Sahir Ludhianvi Shayari On Love In Hindi
कोई तो ऐसा घर होता जहाँ से प्यार मिल जाता
वही बेगाने चेहरे हैं जहाँ जाएँ जिधर जाएँ
कौन रोता है किसी और की ख़ातिर ऐ दोस्त
सब को अपनी ही किसी बात पे रोना आया
चंद कलियाँ नशात की चुन कर मुद्दतों महव-ए-यास रहता हूँ
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही तुझ से मिल कर उदास रहता हूँ
जज़्बात भी हिन्दू होते हैं चाहत भी मुसलमाँ होती है
दुनिया का इशारा था लेकिन समझा न इशारा दिल ही तो है
जब तुम से मोहब्बत की हम ने तब जा के कहीं ये राज़
खुला मरने का सलीक़ा आते ही जीने का शुऊर आ जाता है
ज़मीं ने ख़ून उगला आसमाँ ने आग बरसाई
जब इंसानों के दिल बदले तो इंसानों पे क्या गुज़री
तुझे भुला देंगे अपने दिल से ये फ़ैसला तो किया है लेकिन
न दिल को मालूम है न हम को जिएँगे कैसे तुझे भुला के
तुम हुस्न की ख़ुद इक दुनिया हो शायद ये तुम्हें मालूम नहीं
महफ़िल में तुम्हारे आने से हर चीज़ पे नूर आ जाता है
साहिर लुधियानवी की गजले - Sahir Ludhianvi Ghazal In Hindi
अक़ाएद वहम हैं मज़हब ख़याल-ए-ख़ाम
अक़ाएद वहम हैं मज़हब ख़याल-ए-ख़ाम है साक़ी
अज़ल से ज़ेहन-ए-इंसाँ बस्ता-ए-औहाम है साक़ी
हक़ीक़त-आश्नाई अस्ल में गुम-कर्दा राही है
उरूस-ए-आगही परवुर्दा-ए-इब्हाम है साक़ी
मुबारक हो ज़ईफ़ी को ख़िरद की फ़लसफ़ा-रानी
जवानी बे-नियाज़-ए-इबरत-ए-अंजाम है साक़ी
हवस होगी असीर-ए-हल्क़ा-ए-नेक-ओ-बद-ए-आलम
मोहब्बत मावरा-ए-फ़िक्र-ए-नंग-ओ-नाम है साक़ी
अभी तक रास्ते के पेच-ओ-ख़म से दिल धड़कता है
मिरा ज़ौक़-ए-तलब शायद अभी तक ख़ाम है साक़ी
वहाँ भेजा गया हूँ चाक करने पर्दा-ए-शब को
जहाँ हर सुब्ह के दामन पे अक्स-ए-शाम है साक़ी
मिरे साग़र में मय है और तिरे हाथों में बरबत है
वतन की सर-ज़मीं में भूक से कोहराम है साक़ी
ज़माना बरसर-ए-पैकार है पुर-हौल शो'लों से तिरे
लब पर अभी तक नग़्मा-ए-ख़य्याम है साक़ी
अपना दिल पेश करूँ..
अपना दिल पेश करूँ अपनी वफ़ा पेश करूँ
कुछ समझ में नहीं आता तुझे क्या पेश करूँ
तेरे मिलने की ख़ुशी में कोई नग़्मा छेड़ूँ
या तिरे दर्द-ए-जुदाई का गिला पेश करूँ
मेरे ख़्वाबों में भी तू मेरे ख़यालों में भी तू
कौन सी चीज़ तुझे तुझ से जुदा पेश करूँ
जो तिरे दिल को लुभाए वो अदा मुझ में नहीं
क्यूँ न तुझ को कोई तेरी ही अदा पेश करूँ
अब आएँ या न आएँ इधर पूछते चलो
क्या चाहती है उन की नज़र पूछते चलो
हम से अगर है तर्क-ए-तअ'ल्लुक़ तो क्या हुआ
यारो कोई तो उन की ख़बर पूछते चलो
जो ख़ुद को कह रहे हैं कि मंज़िल-शनास हैं
उन को भी क्या ख़बर है मगर पूछते चलो
किस मंज़िल-ए-मुराद की जानिब रवाँ हैं
हम ऐ रह-रवान-ए-ख़ाक-बसर पूछते चलो
अब कोई गुलशन ना उजड़े अब वतन आज़ाद है
रूह गंगा की हिमालय का बदन आज़ाद है
खेतियाँ सोना उगाएं, वादियाँ मोती लुटाएं
आज गौतम की ज़मीं, तुलसी का बन आज़ाद है
मंदिरों में शंख बाजे, मस्जिदों में हो अज़ां
शेख का धर्म और दीन-ए-बरहमन आज़ाद है
लूट कैसी भी हो अब इस देश में रहने न पाए
आज सबके वास्ते धरती का धन आज़ाद है
गुलशन गुलशन फूल, दामन दामन धूल
मरने पर ताज़ीर, जीने पर महसूल
हर जज़्बा मस्लूब, हर ख़्वाहिश मक़्तूल
इश्क़ परेशाँ-हाल, नाज़-ए-हुस्न मलूल
ना'रा-ए-हक़ मा'तूब, मक्र-ओ-रिया मक़्बूल
संवरा नहीं जहाँ, आए कई रसूल
गो मसलक-ए-तस्लीम-ओ-रज़ा भी है कोई चीज़
पर ग़ैरत-अरबाब-ए-वफ़ा भी है कोई चीज़
खुलता है हर इक गुंचा-ए-नौ-जोश-ए-नुमू से
ये सच है मगर लम्स-ए-हवा भी है कोई चीज़
ये बे-रुख़ी-ए-फ़ितरत महबूब के शाकी
इतना भी न समझे कि अदा भी है कोई चीज़
इबरत-कदा-ए-दहर में ऐ तारिक-ए-दुनिया
लज़्ज़त-कदा-ए-जुर्म-ओ-ख़ता भी है कोई चीज़
लपकेगा गरेबाँ पे तो महसूस करोगे
ऐ अहल-ए-दुवल दस्त-ए-गदा भी है कोई चीज़