राहत इन्दौरी शायरी - Rahat Indori Shayari In Hindi

Feb 26,2021 04:30 AM posted by Admin

Rahat Indori Shayari Ghazals :दोस्तों , अगर किसी को शायरी पसंद हो, वह राहत इन्दौरी साहब को न जानता हो ये तो हो नहीं सकता, क्योकि राहत इन्दौरी साहब ने शायरी , कविता  और गजल की दुनिया में इतना नाम कमा लिया है, कि एक इन्सान के लिए बहुत है और ये पहचान इनको विरासत में नहीं मिली है , ये पहचान इन्होने अपने आप बनाई है , तो आये दोस्तों  राहत इन्दौरी के कहे हुए कुछ प्रसिद्ध शायरी कविता और गजलें को पढ़ते है -

राहत इन्दौरी की शायरी कविता और गजलें - Rahat Indori Shayari Poetry Ghazals

राहत इन्दौरी की शायरी कविता और गजलें - Rahat Indori Shayari Ghazals


अजनबी ख़्वाहिशें , सीने में दबा भी न सकूँ |
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे ,  कि उड़ा भी न सकूँ ||

आँख में पानी रखो , होंटों पे चिंगारी रखो |
ज़िंदा रहना है तो , तरकीबें बहुत सारी रखो ||

रोज़ तारों को नुमाइश  में , खलल पड़ता हैं |
चाँद पागल हैं , अंधेरे में निकल पड़ता हैं ||

उसकी याद आई हैं , साँसों ज़रा धीरे चलो |
धड़कनो से भी इबादत में ,  खलल पड़ता हैं ||

ये हादसा तो किसी दिन , गुज़रने वाला था |
मैं बच भी जाता तो , इक रोज़ मरने वाला था ||

ना त-आरूफ़ ना त-अल्लुक हैं , मगर दिल अक्सर |
नाम सुनता हैं , तुम्हारा तो उछल पड़ता हैं ||

अंदर का ज़हर चूम लिया , धुल के आ गए |
कितने शरीफ़ लोग थे , सब खुल के आ गए ||

दो गज सही ये  , मेरी मिलकियत तो हैं |
ऐ मौत तूने मुझे  , ज़मीदार कर दिया ||

मुझसे पहले वो किसी और की थी , मगर कुछ शायराना चाहिए था |
चलो माना ये छोटी बात है , पर तुम्हें सब कुछ बताना चाहिए था ||

राहत इन्दौरी शायरी - Rahat Indori Shayari

राहत इंदौरी की मशहूर गजलें Famous Ghazals of Rahat Indori


" कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूँगा उसे " ,
"जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे" |

"मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उस का" ,
"इरादा मैं ने किया था कि छोड़ दूँगा उसे" |

"बदन चुरा के वो चलता है मुझ से शीशा-बदन",
"उसे ये डर है कि मैं तोड़ फोड़ दूँगा उसे" |

"पसीने बाँटता फिरता है हर तरफ़ सूरज",
"कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूँगा उसे" |

"मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को,
"समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे |

"हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे,
"कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते " | | |
"मेरे जज़्बे को मिरे साथ ही मर जाना है" | |

चलते फिरते हुए महताब-  Rahat Indori Ghazals


" चलते फिरते हुए महताब दिखाएंगे तुम्हें ",
"हमसे मिलना कभी, पंजाब दिखाएंगे तुम्हें" |

"चांद हर छत पर है, सूरज है हर आंगन में",
" नींद से जागो तो कुछ ख्वाब दिखाएंगे तुम्हें" |

"पूछते क्या हो कि रुमाल के पीछे क्या है",
" फिर किसी रोज ये सैलाब दिखाएंगे तुम्हें"||||

 हम अपनी जान के दुश्मन - Rahat Indori Ghazals


" हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं ",
" मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते हैं" |
" जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते हैं खामोशी",
"जो आंखों में दिखाई दे उसे तूफान कहते हैं"||

अगर खिलाफ है होने  - Rahat Indori Ghazals


"अगर खिलाफ है होने दो जान थोड़ी है" ,
"ये सब धुँआ है कोई आसमान थोड़ी है "|
"लगे की आग तो आएंगे घर कई जद्मे में" ,
"यहाँ सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है"|
"हमारे मुह से जो निकले वही सदाकत है" ,
"हमरे मुह में तुम्ही जबान थोड़ी है" |
"मै जानता हूँ कि दुश्मन भी कम नहीं है" ,
"लेकिन हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है"|
"आज शिहिदे मसनद है कल नहीं होंगे" ,
"किरायेदार है जाती मकान थोड़ी है "|
"सभी का खून सामिल इस मिट्टी में" ,
"किसे के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है" |

मेरे हुजरे में नहीं और - Rahat Indori Ghazals


"मेरे हुजरे में नहीं और कही पर रख दो" ,
"आसमा लाये हो ले आओ जमी पर रख दो" |
"अब कहा ढूढने जावोगे हमारे कातिल" ,
"आप तो क़त्ल का इल्जाम हमी पर रख दो" |
"उसने जिस ताख पर कुछ टूटे दिए रखे है",
"चाँद तारो को भी ले जाके वही रख दो" |
"कसती तेरा नसीब चमकदार कर दिया" ,
"इस पार के थपेड़ो ने उस पार कर दिया"

"अफवा थी कि मेरी तबियत ख़राब है" ,
"लोगो ने पूछ-पूछ कर बीमार कर दिया" |
"दो गज सही मगर  ये मिलिकियत तो है" ,
"ऐ मौत तूने मुझे जमीदार कर दिया "|
"सुबह की नई हवाओं कि सोभत बिगाड़ देती है",
"कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती है" |

"जो जुर्म करते है वह इतने बुरे नहीं होते" ,
"सजा न देके अदालत बिगाड़ देती है" |
"मिलना चाहा है  इंसा को जब भी इंसा से" ,
"तो सारे काम सियासत बिगाड़ देती है"|
"हमारे पीर तकीमीर ने कहा था कभी" ,
"मिया ये आशिकी इज्जत बिगाड़ देती है"|

बुलाती है मगर जाने का नईं Famous Rahat Indori Ghazals


बुलाती है मगर जाने का नईं, ये दुनिया है इधर जाने का नईं
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर, मगर हद से गुजर जाने का नईं
सितारें नोच कर ले जाऊँगा,मैं खाली हाथ घर जाने का नईं
वबा फैली हुई है हर तरफ, अभी माहौल मर जाने का नईं
वो गर्दन नापता है नाप ले, मगर जालिम से डर जाने का नईं