कृष्ण जी के 108 नाम - Sri Krishna 108 Names In Hindi

Jun 08,2019 11:15 PM posted by Admin

हम लोगो का पेट भरने वाले भगवान विष्णु के 8वे अवतार थे। भगवान कृष्ण ने महाभारत के युद्ध में अहम भूमिका निभाते हुए विश्व को “श्रीमद्भागवत गीता” का उपदेश प्रदान किया। यदि आप अपने जीवन में सुखो के लाभ उठाना चाहते हो, तो भगवान के नामो का जाप जरूर करे। नीचे भगवान श्री कृष्ण के 108 नाम अर्थ सहित दिए गए है- कृष्ण जी के 108 नाम - Sri Krishna 108 Names In Hindi

कृष्ण जी के 108 नाम - Sri Krishna 108 Names In Hindi


1 अचला  : भगवान। 2 अच्युत  : अचूक प्रभु, या जिसने कभी भूल ना की हो। 3 अद्भुतह  : अद्भुत प्रभु। 4 आदिदेव  : देवताओं के स्वामी। 5 अदित्या  : देवी अदिति के पुत्र। 6 अजंमा  : जिनकी शक्ति असीम और अनंत हो। 7 अजया  : जीवन और मृत्यु के विजेता। 8 अक्षरा  : अविनाशी प्रभु। 9 अम्रुत  : अमृत जैसा स्वरूप वाले। 10 अनादिह  : सर्वप्रथम हैं जो। 11 आनंद सागर  : कृपा करने वाले 12 अनंता  : अंतहीन देव 13 अनंतजित  : हमेशा विजयी होने वाले। 14 अनया  : जिनका कोई स्वामी न हो। 15 अनिरुध्दा  : जिनका अवरोध न किया जा सके। 16 अपराजीत  : जिन्हें हराया न जा सके। 17 अव्युक्ता  : माणभ की तरह स्पष्ट। 18 बालगोपाल  : भगवान कृष्ण का बाल रूप। 19 बलि  : सर्व शक्तिमान। 20 चतुर्भुज  : चार भुजाओं वाले प्रभु। 21 दानवेंद्रो  : वरदान देने वाले। 22 दयालु  : करुणा के भंडार। 23 दयानिधि  : सब पर दया करने वाले। 24 देवाधिदेव  : देवों के देव 25 देवकीनंदन  : देवकी के लाल (पुत्र)। 26 देवेश  : ईश्वरों के भी ईश्वर 27 धर्माध्यक्ष  : धर्म के स्वामी 28 द्वारकाधीश  : द्वारका के अधिपति। 29 गोपाल  : ग्वालों के साथ खेलने वाले। 30 गोपालप्रिया  : ग्वालों के प्रिय 31 गोविंदा  : गाय, प्रकृति, भूमि को चाहने वाले। 32 ज्ञानेश्वर  : ज्ञान के भगवान 33 हरि  : प्रकृति के देवता। 34 हिरंयगर्भा  : सबसे शक्तिशाली प्रजापति। 35 ऋषिकेश  : सभी इंद्रियों के दाता। 36 जगद्गुरु  : ब्रह्मांड के गुरु 37 जगदिशा  : सभी के रक्षक 38 जगन्नाथ  : ब्रह्मांड के ईश्वर। 39 जनार्धना  : सभी को वरदान देने वाले। 40 जयंतह  : सभी दुश्मनों को पराजित करने वाले। 41 ज्योतिरादित्या : जिनमें सूर्य की चमक है। 42 कमलनाथ  : देवी लक्ष्मी की प्रभु 43 कमलनयन  : जिनके कमल के समान नेत्र हैं। 44 कामसांतक  : कंस का वध करने वाले। 45 कंजलोचन  : जिनके कमल के समान नेत्र हैं। 46 केशव  : 47 कृष्ण  : सांवले रंग वाले। 48 लक्ष्मीकांत  : देवी लक्ष्मी की प्रभु। 49 लोकाध्यक्ष  : तीनों लोक के स्वामी। 50 मदन  : प्रेम के प्रतीक। 51 माधव  : ज्ञान के भंडार। 52 मधुसूदन  : मधु- दानवों का वध करने वाले। 53 महेंद्र  : इन्द्र के स्वामी। 54 मनमोहन  : सबका मन मोह लेने वाले। 55 मनोहर  : बहुत ही सुंदर रूप रंग वाले प्रभु। 56 मयूर  : मुकुट पर मोर- पंख धारण करने वाले भगवान। 57 मोहन  : सभी को आकर्षित करने वाले। 58 मुरली  : बांसुरी बजाने वाले प्रभु। 59 मुरलीधर : मुरली धारण करने वाले। 60 मुरलीमनोहर  : मुरली बजाकर मोहने वाले। 61 नंद्गोपाल  : नंद बाबा के पुत्र। 62 नारायन  : सबको शरण में लेने वाले। 63 निरंजन  : सर्वोत्तम। 64 निर्गुण  : जिनमें कोई अवगुण नहीं। 65 पद्महस्ता  : जिनके कमल की तरह हाथ हैं। 66 पद्मनाभ  : जिनकी कमल के आकार की नाभि हो। 67 परब्रह्मन  : परम सत्य। 68 परमात्मा  : सभी प्राणियों के प्रभु। 69 परमपुरुष  : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले। 70 पार्थसार्थी  : अर्जुन के सारथी। 71 प्रजापती  : सभी प्राणियों के नाथ। 72 पुंण्य  : निर्मल व्यक्तित्व। 73 पुर्शोत्तम  : उत्तम पुरुष। 74 रविलोचन  : सूर्य जिनका नेत्र है। 75 सहस्राकाश  : हजार आंख वाले प्रभु। 76 सहस्रजित  : हजारों को जीतने वाले। 77 सहस्रपात  : जिनके हजारों पैर हों। 78 साक्षी  : समस्त देवों के गवाह। 79 सनातन  : जिनका कभी अंत न हो। 80 सर्वजन  : सब- कुछ जानने वाले। 81 सर्वपालक  : सभी का पालन करने वाले। 82 सर्वेश्वर  : समस्त देवों से ऊंचे। 83 सत्यवचन  : सत्य कहने वाले। 84 सत्यव्त  : श्रेष्ठ व्यक्तित्व वाले देव। 85 शंतह  : शांत भाव वाले। 86 श्रेष्ट  : महान। 87 श्रीकांत  : अद्भुत सौंदर्य के स्वामी। 88 श्याम  : जिनका रंग सांवला हो। 89 श्यामसुंदर  : सांवले रंग में भी सुंदर दिखने वाले। 90 सुदर्शन  : रूपवान। 91 सुमेध  : सर्वज्ञानी। 92 सुरेशम  : सभी जीव- जंतुओं के देव। 93 स्वर्गपति  : स्वर्ग के राजा। 94 त्रिविक्रमा  : तीनों लोकों के विजेता 95 उपेंद्र  : इन्द्र के भाई। 96 वैकुंठनाथ  : स्वर्ग के रहने वाले। 97 वर्धमानह  : जिनका कोई आकार न हो। 98 वासुदेव  : सभी जगह विद्यमान रहने वाले। 99 विष्णु  : भगवान विष्णु के स्वरूप। 100 विश्वदक्शिनह : निपुण और कुशल। 101 विश्वकर्मा  : ब्रह्मांड के निर्माता 102 विश्वमूर्ति : पूरे ब्रह्मांड का रूप। 103 विश्वरुपा  : ब्रह्मांड- हित के लिए रूप धारण करने वाले। 104 विश्वात्मा  : ब्रह्मांड की आत्मा। 105 वृषपर्व  : धर्म के भगवान। 106 यदवेंद्रा  : यादव वंश के मुखिया। 107 योगि  : प्रमुख गुरु। 108 योगिनाम्पति : योगियों के स्वामी।