नवरात्री हिन्दू धर्म का एक बहुत ही पवित्र पर्व है। इसमें देवी माँ की सच्चे मन से पूजा आराधना की जाती है। इसमें माँ की नौ दिन तक पूजा की जाती है। कुछ भक्त नौ दिन तक उपवास भी करते है। तो आइये जानते है दुर्गा पूजा (Maa Durga Puja ) के नियम, विधि, सामग्री और अन्य सभी जानकारी…
यहाँ पर लिखी देवी माँ की पूजन सामग्री और विधि पढ़के ( Durga puja vidhi ) आप अपने घर ही बड़ी आसानी से पूजा कर (simple navratri puja at home) सकते है।
Contents
- 1 नवरात्रि पूजन सामग्री: Navratri Pooja Samagri In Hindi
- 2 कलश स्थापना का महत्व – Importance of urn installation in Hindi
- 3 कलश स्थापना की सामग्री – Kalash Installation Materials In Hindi
- 4 कलश स्थापना कैसे करें? – navratri kalash sthapana
- 5 नवरात्रि पूजन विधि – Navratri Puja Vidhi In Hindi
- 6 नौ दिन के लिए हवन सामग्री: Havan saamagree In Hindi
- 7 नवरात्रि में सप्तशती का पाठ – Recitation of saptashati in navratri in Hindi
सबसे पहले आप नीचे लिखी हुई सामग्री इकट्ठा कर ले। ताकि जब आप पूजा शुरू करे तो आपको बार-बार उठना पड़े।
मां के लिए चुनरी | एक कलश | कपूर |
यज्ञोपवित (जनेऊ) | लौंग | इलायची |
ताजा आम के पत्ते | पान | सुपारी |
एक जटा वाला नारियल | रोली | सिंदूर |
फूल माला और कुछ फूल | मौली | अक्षत(चावल) |
कलश स्थापना का महत्व – Importance of urn installation in Hindi
कलश की स्थापना करने से हमारे घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और इसके फल स्वरुप सुख-शांति तथा समृद्धि बनी रहती है। एक माध्यम में, एक ही केंद्र में समस्त देवताओं को देखने के लिए कलश की स्थापना की जाती है। कलश को सुख- समृद्धि, ऐश्वर्य देने वाला माना जाता है। इसलिए समस्त मंगलकारी कार्यों में इसका होना जरूरी होता है। अगर कलश के निवास की बात करे तो कलश के मुख में भगवान विष्णु, गले में रुद्र, मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी का निवास माना गया है। नवरात्रि के समय ब्रह्मांड में उपस्थित सभी शक्तियों का कलश में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है।
कलश स्थापना की सामग्री – Kalash Installation Materials In Hindi
मिट्टी का पात्र | जौ | मिट्टी |
जल से भरा हुआ कलश | मौली | लौंग |
कपूर | साबुत चावल | साबुत सुपारी |
चुनरी | आम के पत्ते | नारियल |
फूलों की माला | सिंदूर | फल-फूल |
चावल या गेहूं | सिक्के | इलायची |
- नवरात्रि में सबसे पहले यानि सुबह स्नान कर लें।
- सुबह स्नान के बाद मंदिर की साफ-सफाई करे। और फिर मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योत जलाएं।
- इसके बाद अब कलश की स्थापना ऐसे करे। कलश स्थापना के लिए मिट्टी के पात्र में मिट्टी डालकर उसमें जौ के बीज बोएं
- अब एक तांबे के लोटे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं।
- लोटे के ऊपरी हिस्से में मौली बांधें।
- लोटे में पानी भरकर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिलाएं। फिर उसमें सवा रुपया, दूब, सुपारी, इत्र और अक्षत डालें।
- कलश में अशोक या आम के पांच पत्ते लगाएं।
- अब एक नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर उसे मौली से बांध दें. फिर नारियल को कलश के ऊपर रख दें।
- अब इस कलश को मिट्टी के उस पात्र के ठीक बीचों बीच रख दें जिसमें आपने जौ बोएं हैं।
- कलश स्थापना के साथ ही नवरात्रि के नौ व्रतों को रखने का संकल्प लिया जाता है।
- आप चाहें तो कलश स्थापना के साथ ही माता के नाम की अखंड ज्योति भी जला सकते हैं।
- नवरात्रि के पहले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें।
- उसके बाद घर के पूजा स्थान को अच्छे से साफ करें।
- फिर पूजा घर में या किसी अन्य किसी पवित्र स्थान पर स्वच्छ मिट्टी से वेदी बना लें
- और उसमें जौ और गेहूं दोनों मिलाकर बो लें।
- वेदी पर या फिर उसके पास पवित्र स्थान पर पृथ्वी का पूजन कर कलश स्थापित करें।
- फिर भगवान गणेश की पूजा करें और बनाई हुई वेदी के किनारे पर देवी मां की मूर्ति स्थापित करें।
- इसके बाद मूर्ति का आसन, पाद्य, अर्ध, आचमन, स्नान, वस्त्र, गंध, अक्षत, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, नमस्कार, प्रार्थना आदि से पूजन करें।
- इस दिन दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करें और इसके बाद देवी अम्बे की आरती कर प्रसाद वितरित कर दें ।
नौ दिन के लिए हवन सामग्री: Havan saamagree In Hindi
हवन कुंड | आम की लकड़ी | काले तिल |
चावल | धूप | जौ |
चीनी | पंच मेवा | घी |
लोबान | गुग्ल | लौंग का जौड़ा |
शुद्ध जल | मिठाई | कपूर |
कमल गट्टा | सुपारी | पंच मेवा |
नवरात्रि में दुर्गा सप्तशती का पाठ जरूर करना चाहिए। दुर्गा सप्तशती का पाठ शुरू करने से पहले प्रथम पूज्य गणेश की पूजा करनी चाहिए। यदि घर में कलश स्थापन किया गया है तो पहले कलश का पूजन, फिर नवग्रह की पूजा और फिर अखंड दीप का पूजन करना चाहिए। दुर्गा सप्तशती पाठ से पहले दुर्गा सप्तशती की किताब को लाल रंग के शुद्ध आसन पर रखें। फिर इसका विधि-विधान पूर्वक अक्षत, चंदन और फूल से पूजन करें। इसके बाद पूरब दिशा की ओर मुंह करके अपने माथे पर अक्षत और चंदन लगाकर चार बार आचमन करें। अब दुर्गा सप्तशती पाठ करे।